Pitru paksha 2018: किसी की मृत्यु के बाद घर में गरुड़ पुराण का पाठ कराना क्यों होता है जरूरी?

हिंदू धर्म में श्राद्धपक्ष यानी पितृपक्ष का बहुत महत्व बताया गया है, लेकिन इसके अलावा भी कुछ ऐसी परंपराएं भी हैं, जिन्हें व्यक्ति के मौत के बाद परिवार वालों की ओर से निभाई जाती हैं. मान्यता है कि किसी व्यक्ति की मौत हो जाने पर उसके घर में गरुड़ पुराण का पाठ जरूर कराना चाहिए.

गरुड़ पुराण (Photo Credits: Facebook)

हर साल पितृपक्ष के दौरान लोग अपने घर-परिवार के पूर्वजों और पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान जैसे श्राद्ध कर्म करते हैं, ताकि पितरो के आशीर्वाद से उनका जीवन सुख-संपत्ति से भरा रहे. बेशक हिंदू धर्म में श्राद्धपक्ष यानी पितृपक्ष का बहुत महत्व बताया गया है, लेकिन इसके अलावा भी कुछ ऐसी परंपराएं भी हैं, जिन्हें व्यक्ति की मौत के बाद परिवार वालों की ओर से निभाई जाता है. मान्यता है कि किसी व्यक्ति की मौत हो जाने पर उसके घर में गरुड़ पुराण का पाठ जरूर कराना चाहिए.

इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि जिस व्यक्ति ने जन्म लिया है एक न एक दिन उसकी मृत्यु भी निश्चित है. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि किसी की मौत के बाद उसके घर में गरुड़ पुराण का पाठ कराना क्यों जरूरी होता है.

1- आत्मा को मिलती है शांति

किसी की मौत हो जाने पर घर में गरुड़ पुराण का पाठ मृतक की आत्मा की शांति के उपाय के तौर पर किया जाता है. हिंदू धर्म में मृत्यु के पश्चात 12-13 दिनों तक घर में गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है. मान्यता है कि इससे मृतक की आत्मा को शांति मिलती है. यह भी पढ़ें: भारत के इन तीर्थ स्थलों पर करें पिंडदान, जन्म-मृत्यु के बंधन से पितरों को मिलेगी मुक्ति

2- परिवार को मिलती है शक्ति

बेशक घर में किसी मौत हो जाने से पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है और घर के सभी सदस्य बुरी तरह से टूट जाते हैं. मान्यता है कि गरुड़ पुराण का पाठ कराने और सुनने से परिवार वालों को कष्ट सहने की शक्ति मिलती है. इस पुराण से व्यक्ति को जीवन में हमेशा अच्छे कर्म करते रहने की प्रेरणा मिलती है.

3- मिलता है मुक्ति का मार्ग

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि व्यक्ति को उसके अच्छे और बुरे कर्मों का फल जीते जी धरती पर ही मिलता है. माना जाता है कि मौत के बाद मृतक की आत्मा 12-13 दिनों तक घर में ही निवास करती है ऐसे में जब गरुड़ पुराण का पाठ कराया जाता है तो मृतक की आत्मा पाठ सुनती है जिससे उसे मुक्ति का मार्ग मिलता है.

4- आत्मा को मिलता है कर्मों का फल

कहते हैं कि अच्छे कर्म करने वाले को अच्छा फल मिलता है और बुरे कर्म करने वालों को बुरे परिणाम भुगतने पड़ते हैं. गरुड़ पुराण में इस बात का जिक्र किया गया है कि मौत के बाद भी आत्मा को अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल भुगतना पड़ता है. यह भी पढ़ें: जानें सबसे पहले किसने किया था श्राद्ध और कैसे शुरू हुई थी ये परंपरा?

5- होता है श्रीहरि का गुणगान

एक ओर जहां गरुड़ पुराण मृत आत्मा के लिए मुक्ति के द्वार खोलता है तो वहीं इसका पाठ करने से श्रीहरि का गुणगान भी होता है. इस पुराण में भगवान विष्णु के 24 अवतारों का विस्तार से वर्णन किया गया है. इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि किन परिस्थियों में उन्हें ये सारे अवतार लेने पड़े थे.

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