मुंबई: देश में 28 जुलाई से सावन महीने का धूम मचने वाली हैं. इस महीने में हर भक्त भगवान शिव जी का पूजा-पाठ करता है, और कांवड़ यात्रा निकालतें हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी भक्त हैं जिन्हें कांवड़ यात्रा के बारें में नही मालूम हैं कि लोग इस यात्रा को क्यों निकालते हैं. आज हम लोगों को कांवड़ यात्रा के बारें में विस्तार से बताएंगे की कांवड़ यात्रा की शुरुआत कहां से हुई और इसका महत्व क्या हैं.
हिंदू धर्म के मान्यताओं के मुताबिक सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव को खुश करने के लिए कांवड़ यात्रा निकालने की परम्परा काफी पुरानी है. इस यात्रा के बारे में कहावत है कि भगवान परशुराम ने शिव के नियमित पूजा के लिए पूरा महादेव में मंदिर की स्थापना करके कांवड़ में गंगाजल से रख कर पूजा किया था. जिसके बाद से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई.
वैसे तो इस यात्रा से जुडे़ और कई मान्यताएं है, कहा जात है कि जब समुद्र मंथन से निकलने वाले विष पान का सेवन करने से भगवान शिव जी की शरीर जलने लगी तो उसे शांत करने के लिए देवताओं ने नदियों और सरोवर से निकलने वाले जल को लाकर उससे उन्हें स्नान करवाया था.
इस यात्रा के बारे में एक और मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद शिव जी को ताप से शांति दिलाने के लिए रावणों ने कांवड़ में जल ला कर शिव जी को स्नान कराया था. हिंदू धर्म के जानकारों के मुताबिक कांवड़ यात्रा के बारे में वेदों में अलग अलग मान्यताएं हैं परंतु सबसे ज्यादा प्रचलित कथा परशुराम जी की ही है.
सावन महीना लोगों के लिए क्यों है महत्व
हिन्दू धर्म में पूजा पाठ के लिए कई पवित्र महीना है लेकिन सावन का महीना पूजा- पाठ करने वाले भक्तों के लिए बहुत की महत्व होता है. इस महीने को लेकर मान्याता है कि इस महीने में पूजा पाठ करने से भगवान शिव खुश होते है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करतें हैं. वही महिलाओं के बारे में कहा गया है कि जिस महिला को पुत्र की प्रप्ति नही हो रहा है यदि वह कांवड़ यात्रा के बाद शिव जी जो जल चढ़ाती है तो उसे पुत्र की प्राप्ति होती है
बता दें कि सावन का महीना 28 तारीख से शुरु हो रहा है. जो 30 दिन तक चलेगा. इस दौरान लोग भगवावन शिव जी को खुश करने के लिए उनका पूजा पाठ करने के साथ- साथ कांवड़ यात्रा निकालकर भगवान शिव जी को दूध, जल धतुरा चढ़ाते है. ताकि भगवान शिव खुश होकर उनकी मनोकामनाएं पुरी करें .