शनिवार विशेष: क्या है शनि की पीड़ा, कैसे पाएं शनिदोष से छुटकारा, जानिए उन्हें प्रसन्न करने के उपाय

मान्‍यता है कि शनि जब कर्मों के आधार पर किसी के लिए दंड निर्धारित करते हैं तो किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतते. चूंकि वे न्याय प्रिय हैं और अशुभ अथवा उदण्ड कार्य करने वालों को ही दण्डित करते हैं, इसलिए हमें मानना चाहिए कि शनि किसी निर्दोष को अकारण पीड़ा नहीं देते.

शनि जयंती 2019: (Photo Credits: Facebook)

शनिवार विशेष: ज्‍योतिष शास्‍त्र में कुल नौ ग्रहों का उल्लेख है, जिसमें शनि को सबसे महत्‍वपूर्ण ग्रह के रूप में देखा जाता है. शनि (Shani) को न्‍याय का देवता भी कहा जाता है, जो मनुष्‍य को उसके अच्छे एवं बुरे कर्मों के आधार पर फल अथवा दण्ड देते हैं. मान्‍यता है कि शनि (Shani Dev) जब कर्मों के आधार पर किसी के लिए दंड निर्धारित करते हैं तो किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतते. चूंकि वे न्याय प्रिय हैं और अशुभ अथवा उदण्ड कार्य करने वालों को ही दण्डित करते हैं, इसलिए हमें मानना चाहिए कि शनि किसी निर्दोष को अकारण पीड़ा नहीं देते.

गौरतलब है कि व्यक्ति विशेष को उसके अच्छे अथवा बुरे कर्मों का फल शनि देव ही निर्धारित करते हैं. न्‍याय का देवता होने के कारण शनि कभी किसी को अकारण पीड़ा नहीं देते. अगर कोई व्‍यक्‍ति पाप करता है या बुरे कार्यों में लिप्‍त रहता है तो शनि के दरबार में उसे दण्ड अथवा पीड़ा भुगतना ही पड़ता है. ज्योतिषाचार्य श्री रवींद्र पाण्डेय शनि देव द्वारा प्रदत्त पीड़ा के संदर्भ में कुछ जानकारियां दे रहे हैं, साथ ही उस पीड़ा से होने वाले प्रभाव के बारे में भी बता रहे हैं.

शनि की पीड़ा के संकेत- 

शनि की कृपा के संकेत

जैसा कि पहले बताया गया है कि शनि दुष्कर्म करने वाले को ही पीड़ा देते हैं, लेकिन अच्छे कर्म करने वाले का हित भी करते हैं. शनि की कृपा मिलने पर हर बिगड़े अथवा रूके हुए कार्य पूरे हो जाते हैं. जिन पर शनि की विशेष कृपा बरसती है, उसे किसी की मदद की जरूरत नहीं होती. वे अपने ही दम पर आगे बढ़ते हैं. शून्य से कार्य शुरू करते ही वह शिखर पर पहुंच सकता है. शनि की कृपा जिस पर बरसती है, वे किसी भी प्रकार के छल-प्रपंच से दूर रहते हैं. इस वजह से वे किसी से भी मित्रता आसानी से नहीं बनाते. उसे अकेले रहना ज्यादा अच्छा लगता है. ऐसे लोग दुष्कर्म, अधर्म एवं बुरी आदतों से दूर रहने की कोशिश करते हैं, इसीलिए ये शनि की पीड़ा से मुक्त रहते हैं. कुछ लोग जिन पर शनि की विशेष कृपा होती है, वे वैराग्य भी धारण कर सकते हैं.

ऐसे शांत करें शनि की पीड़ा

शनि शांति का मंत्र

शनि देव की पीड़ा से मुक्‍ति पाने के लिए प्रत्येक दिन कम से कम 108 बार इस मंत्र का जाप करना लाभकारी हो सकता है.

ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्‍चराय नम:।।

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.

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