Ganeshotsav 2019: अष्टविनायक के स्वरूपों में छठे महागणपति हैं श्री गिरिजात्मज, जानिए क्यों पड़ा था बाप्पा का ये नाम
श्री गिरिजात्मज मंदिर, (फोटो क्रेडिट्स: Wikimedia Commons)

Ganeshotsav 2019: आज गणेशोत्सव का छठा दिन है, लोग बाप्पा के रंग में रंगे हुए हैं. भगवान गणेश की चतुर्थी के दिन स्थापना की जाती है. पौराणिक कथा अनुसार चतुर्थी के दिन बाप्पा का जन्म हुआ था. इसलिए गणेशोत्सव को उनके जन्मदिन के रूप में धूम-धाम से मनाया जाता है. 10 दिन तक बाप्पा की पूजा आराधना की जाती है और ग्यारहवें दिन गाजे बाजे के साथ उनका विसर्जन कर दिया जाता है. गणेश स्थापना के छठे दिन बाप्पा के छठे स्वरूप श्री गिरिजात्मज की पूजा की जाती है. ये मंदिर स्वयं प्रकट हुआ था, इसलिए इसे स्वयं भू मंदिर कहते हैं. बाप्पा का श्री गिरिजात्मज मंदिर पुणे के लेण्याद्री में है. लेण्याद्री एक प्रकार की पर्वत श्रृंखला है, जिसे गणेश पहाड़ी भी कहा जाता. ये मंदिर शिवनेरी किले के पास कुकड़ी नदी परिसर के पास पहाड़ी पर स्थित है. पेशवा काल में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया. अष्टविनायक मंदिरों में से ये एक मात्र मंदिर है जो पहाड़ी पर बना है. गिरिजा का अर्थ है देवी पार्वती और अटमाज का रथ है पुत्र. इसलिए इस मंदिर को पार्वती के पुत्र यानी गिरिजात्मज के नाम से जाना जाता है.

पौराणिक कथा के अनुसार देवी पार्वती ने 12 साल तक लेण्याद्री पर्वत पर तपस्या की, जिसके बाद उन्हें गणेश पुत्र रूप में प्राप्त हुए. ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती ने बाप्पा को लेण्याद्री पर्वत पर ही जन्म दिया था. इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से बाप्पा की पूजा करता हैं उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. निसंतान लोग संतान प्राप्ति की मन्नत मांगने के लिए बाप्पा के मंदिर श्री गिरिजात्मज में आते हैं. ये मंदिर बहुत उंचाई पर है, यहां पहुंचने के लिए 283 सीढियां चढ़नी पड़ती है.

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श्री गिरिजात्मज मंदिर दक्षिणभिमुख है, एक ही चट्टान पर बाप्पा की प्रतिमा उकेरी गई है. मंदिर का सभामंडप 53 फीट लंबा और ऊंचा है, लेकिन इसके सपोर्ट के लिए कोई भी स्तंभ नहीं है. सभामंडप के भीतर ध्यान के लिए 18 छोटे-छोटे कमरे हैं और इन कमरों के भीतर गिरिजात्मज की मूर्ति है.