क्या आप जानते हैं हिंदू धर्म में होती है कुल 8 तरह की शादियां, जानिए सबका महत्व

हिंदू धर्म में शादी के कुल आठ प्रकार बताए गए हैं, लेकिन सामाजिक तौर पर सबसे ज्यादा अहमियत ब्रह्म विवाह यानी अरैंज मैरेज को ही दी जाती है, क्योंकि विवाह के इस प्रकार में वर-वधू पक्ष के लोग शामिल होते हैं और दोनों परिवारों की मौजूदगी में ये शादी होती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Facebook)

हिंदू धर्म (Hindu Religion) में कुल सोलह संस्कार (16 Sanskar) होते हैं और विवाह (Marriage) को इन संस्कारों में से एक माना जाता है. इस धर्म में शादी को सात जन्मों का पवित्र बंधन माना जाता है, जब  अग्नि के सात फेरे लेकर दूल्हा-दुल्हन (Bride Groom) एक अटूट बंधन में बंध जाते हैं. विवाह सिर्फ एक लड़का और लड़की (Boy And Girl) का मिलन नहीं है, बल्कि यह दो परिवारों का मिलन होता है. हिंदू विवाह में पति-पत्नी के संबंध को इसलिए पवित्र माना जाता है, क्योंकि उनके बीच शारीरिक संबंध से ज्यादा आत्मिक जुड़ाव को महत्व दिया जाता है. विवाह के बाद पति-पत्नी दोनों मिलकर अपनी संतान को जन्म देकर कुल को आगे बढ़ाने की परंपरा निभाते हैं.

बेशक, हिंदू धर्म में विवाह एक पवित्र बंधन है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस धर्म में कुछ 8 प्रकार की शादियां (8 Types of Marriage in Hindu Religion) होती हैं. चलिए इन शादियों के प्रकार के बारे में विस्तार से जानते हैं.

1- ब्रह्म विवाह

जब दो परिवारों की आपसी सहमति से सुयोग्य वर से वधु का रिश्ता तय करके उनका विवाह संपन्न कराया जाता है तो विवाह के इस प्रकार को ब्रह्म विवाह कहा जाता है. विवाह के इस प्रकार को आम भाषा में अरेंज मैरेज कहा जाता है. यह भी पढ़ें: शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं तो जरूर जान लें ये 5 बातें, पार्टनर के साथ मजबूत बना रहेगा आपका रिश्ता

2- दैव विवाह

जब किसी सेवा कार्य यानी धार्मिक अनुष्ठान के लिए कन्या को दान कर दिया जाता है तो इसे दैव विवाह कहा जाता है. विवाह के इस प्रकार में कन्या को अनुष्ठान के मूल्य के तौर पर दान किया जाता है.

3- आर्श विवाह

जब वर पक्ष के लोग कन्या पक्ष के लोगों को उनकी कन्या का मूल्य देते हैं या गौदान करते हैं और फिर उस कन्या से वर का विवाह कराया जाता है तो इसे आर्श विवाह कहा जाता है.

4- प्रजापत्य विवाह

कन्या की सहमति के बिना ही उसका विवाह किसी लड़के से करा देने को प्रजापत्य विवाह कहा जाता है. दरअसल, विवाह के इस प्रकार में कन्या की मर्जी के बिना उसकी शादी अभिजात्य वर्ग के वर से करा दिया जाता है.

5- गंधर्व विवाह

जब परिवार वालों से बगावत करके लड़का और लड़की रीति-रिवाजों के विरुद्ध जाकर एक-दूसरे से शादी कर लेते हैं तो उसे गंधर्व विवाह कहते हैं. कहा जाता है कि राजा दुष्यंत ने शकुंतला से गंधर्व विवाह किया था.

6- असुर विवाह

असुर विवाह में कन्या की कीमत चुकाकर उसे खरीद लिया जाता है और फिर उससे विवाह किया जाता है. इस तरह का विवाह बहुत ज्यादा चलन में नहीं है.

7- राक्षस विवाह

जबरन लड़की का अपहरण कर लेना और फिर उसकी मर्जी के बिना उससे जबरदस्ती शादी कर लेना राक्षस विवाह कहलाता है. यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2019: नवरात्रि में क्यों नहीं किए जाते हैं शादी जैसे मांगलिक कार्य, हर किसी को पता होनी चाहिए इससे जुड़ी ये मान्यताएं

8- पैशाच विवाह

गहरी नींद में सोती हुई या फिर किसी कन्या की मानसिक दुर्बलता का फायदा उठाकर उससे शारीरिक संबध बना लेना और फिर उससे शादी करना पैशाच विवाह कहलाता है.

गौरतलब है कि हिंदू धर्म में शादी के कुल आठ प्रकार बताए गए हैं, लेकिन सामाजिक तौर पर सबसे ज्यादा अहमियत ब्रह्म विवाह यानी अरैंज मैरेज को ही दी जाती है, क्योंकि विवाह के इस प्रकार में वर-वधू पक्ष के लोग शामिल होते हैं और दोनों परिवारों की मौजूदगी में ये शादी होती है.

नोट- नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.    

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