Rakshabandhan 2025: रक्षाबंधन पर बहनें क्यों भेजती हैं भारतीय सैनिकों को राखियां? जानें कब और कैसे शुरू हुई यह परंपरा!
रक्षाबंधन महज भाई-बहन के बीच प्रेम और सुरक्षा के बंधन का पर्व नहीं, बल्कि उस व्यापक भावना को भी दर्शाता है, जिसमें सरहद पर हमारी रक्षा करने वाले सैनिक भाइयों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान भी छिपा होता है. सीमा पर विषम परिस्थितियों में भी तैनात रहते हुए हमारे राष्ट्र के मान-सम्मान और सुरक्षा के संरक्षक हमारे सैनिकों को राखी भेजने की पुरानी परंपरा है.
रक्षाबंधन महज भाई-बहन के बीच प्रेम और सुरक्षा के बंधन का पर्व नहीं, बल्कि उस व्यापक भावना को भी दर्शाता है, जिसमें सरहद पर हमारी रक्षा करने वाले सैनिक भाइयों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान भी छिपा होता है. सीमा पर विषम परिस्थितियों में भी तैनात रहते हुए हमारे राष्ट्र के मान-सम्मान और सुरक्षा के संरक्षक हमारे सैनिकों को राखी भेजने की पुरानी परंपरा है. आज रक्षाबंधन के पावन पर्व पर हम सैनिकों को राखी भेजने की परंपरा और महत्व की बात करेंगे
सैनिक भाइयों को राखी भेजने का प्रमुख उद्देश्य
हमारे देश में सीमा सुरक्षा प्रहरियों को राखी भेजने की पुरानी परंपरा है, इसका मुख्य उद्देश्य देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे सैनिकों को यह एहसास दिलाना कि देश की बहनें उनके साथ हैं और उनके लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं. इस परंपरा की शुरुआत साल 1962 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद हुई, जब भारी संख्या में हताहत हुए सैनिकों के बलिदान से भारतीय जनता भावुक हो गई थी, और तब भारी तादाद में बहनें सैनिक भाइयों को राखी बांधने सीमा पर पहुंची थीं, और उनकी सुरक्षा की कामना की. वह काफी इमोशनल दृश्य था. यह भी पढ़ें : Raksha Bandhan 2025: रंगों की भी भाषा होती है! जाने किस रंग की राखी आपके भाई के लिए शुभता का प्रतीक हो सकती है!
इस परंपरा का महत्व
रक्षकों को सम्मान देना: सैनिक हमारे देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं. उन्हें राखियां भेजकर हम उनके प्रति सम्मान और अपनापन को दर्शाते हैं, और उन्हें यह महसूस नहीं होने देते कि वे अपने परिवार से दूर हैं.
देशभक्ति और भाईचारे की भावना: सैनिकों को राखियां भेजना या उनकी कलाई में राखी बांधना केवल एक रिवाज़ नहीं, बल्कि राष्ट्र के लिए प्रेम और एकता का प्रतीक है.
सैनिकों का मनोबल बढ़ता है: देश की बहनों द्वारा भेजी गई राखियां उन सैनिकों को भावनात्मक सहारा देते हैं, जो अपने परिवार विशेष कर बहनों से दूर विषम परिस्थितियों में देश की सुरक्षा करते हैं.
पारिवारिक भावनाओं की भरपाई: जिन सैनिकों की अपनी बहनें दूर हैं या नहीं हैं, उनके लिए ये राखियां एक भावनात्मक खालीपन को भरने का काम करती हैं.
नवोदित पीढ़ी को प्रेरणा: बच्चों और युवाओं में यह परंपरा देश के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता का भाव पैदा करती है.
कैसे भेजते हैं राखियां?
* राखी से कुछ दिन पूर्व स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संस्थाओं द्वारा सैनिकों को राखियां भेजने का विशेष अभियान चलाए जाते हैं, जिनमें छात्राएं और महिलाएं राखियां बनाकर या खरीदकर भेजती हैं.
* इस अवसर पर डाक विभाग (भारतीय डाक) विशेष रक्षाबंधन पोस्टल सर्विस भी चलाता है. विशेष व्यवस्था के तहत भारतीय बहनों द्वारा भेजी गई राखियां जवानों से समय से पहुंचाई जाती हैं.
* रक्षाबंधन के अवसर पर बहुत सारी स्वयं सेवी संस्थाएं भी इस पहल में भाग लेती हैं.