Phoolera Dooj 2024: कब है फुलेरा दूज? क्यों इसे दोष-मुक्त दिन माना जाता है? जानें फुलेरा दूज के बारे में कुछ रोचक जानकारियां!

कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में बसंत पंचमी से ही होली की सुगबुगाहट शुरू हो जाती है. लेकिन परंपरागत तरीके से फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन वृंदावन में फूलों की होली खेली जाती है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने राधा के साथ इसी दिन से फूलों की होली खेलकर होली की शुरुआत की थी.

Phoolera Dooj 2024

कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में बसंत पंचमी से ही होली की सुगबुगाहट शुरू हो जाती है. लेकिन परंपरागत तरीके से फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन वृंदावन में फूलों की होली खेली जाती है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने राधा के साथ इसी दिन से फूलों की होली खेलकर होली की शुरुआत की थी. इसे फुलेरा दूज भी कहते हैं. इसके बाद से इस दिन फूलों की होली खेलने की परंपरा निभाई जा रही है. इस पर्व की धूम समस्त ब्रज क्षेत्र में देखी जा सकती है, मगर मथुरा के ब्रज और वृंदावन में मुख्य रूप से इसकी छटा देखते बनती है. आइये जानते हैं इस पारंपरिक पर्व की शुरुआत कब और कैसे हुई.

फुलेरा दूज का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फुलेरा दूज का दिन सभी प्रकार के दोषों से मुक्त होता है, इसलिए सनातन धर्म में इस दिन को अबूझ मुहूर्त कहते हैं, और इस दिन हिंदू घरों में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य उदाहरणार्थ विवाह, मुंडन, जनेऊ संस्कार आदि बिना पंचांग देखे मंगल कार्य करना अत्यधिक शुभ माना जाता है. फुलेरा दूज के दिन मथुरा स्थित कृष्ण मंदिरों में फूलों की झांकियां सजाई जाती है. इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. यह भी पढ़ें : सपने में कोई राक्षस या बुरा व्यक्ति दिखे तो इसका क्या आशय हो सकता है? जानें क्या कहता है स्वप्न शास्त्र?

फुलेरा दूज 2024 तिथि एवं राधा-कृष्ण पूजा का शुभ मुहूर्तः

फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष द्वितीया प्रारंभः 10.44 AM (11 मार्च, सोमवार)

फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष द्वितीया समाप्तः 07.33 AM (12 मार्च, मंगलवार)

उदया तिथि के नियमों के अनुसार 12 मार्च 2024 को फुलेरा दूज मनाया जाएगा

राधा-कृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्तः 09.32 AM से 02.36 PM तक

फुलेरा दूज सेलिब्रेशन

फुलेरा दूज के दिन कृष्ण भक्त स्नान-ध्यान कर अपने घरों को विशेषकर मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों सजाते हैं. चौखट पर रंगोली सजाते हैं. द्वार पर तोरण सजाते हैं. इसके बाद मुहूर्त तिथि के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण एवं राधा की पूजा की प्रक्रिया शुरू होती है. श्रीकृष्ण-राधा की प्रतिमा का श्रृंगार करते हैं. उन्हें गले तक फूलों से ढक दिया जाता है, बड़ा ही रमणीय दृश्य हे. इसके बाद धूप दीप प्रज्वलित करते हैं. भोग के लिए मिठाई एवं फल चढ़ाते हैं, लेकिन फुलेरा दूज पर विशेषकर पोहा का स्वादिष्ट व्यंजन अर्पित करते हैं. भगवान श्रीकृष्ण एवं राधा की आरती उतारते हैं. अंत में प्रसाद वितरण करते हैं.

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