National Unity Day: 31 अक्टूबर को ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय एकता दिवस? जाने इस दिन का महत्व एवं इतिहास?
अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिलने के वक़्त भारत 565 रियासतों में बँटा हुआ था, इन्हें एक राष्ट्र के तले लाना मेढक तौलने से कम नहीं था, लेकिन सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस असंभव कार्य को बड़ी सूझ-बूझ से संभव कर दिखाया. हैदराबाद जूनागढ़, कश्मीर जैसे कुछ रियासतों द्वारा ना-नुकूर करने पर उन्हें साम-दाम-दंड-भेद से दबाकर भारत को एकता के सूत्र में पिरोया, और भारत को एक सशक्त राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिलने के वक़्त भारत 565 रियासतों में बँटा हुआ था, इन्हें एक राष्ट्र के तले लाना मेढक तौलने से कम नहीं था, लेकिन सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस असंभव कार्य को बड़ी सूझ-बूझ से संभव कर दिखाया. हैदराबाद जूनागढ़, कश्मीर जैसे कुछ रियासतों द्वारा ना-नुकूर करने पर उन्हें साम-दाम-दंड-भेद से दबाकर भारत को एकता के सूत्र में पिरोया, और भारत को एक सशक्त राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. सरदार पटेल के इस प्रयास के कारण उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए साल 2014 से 31 अक्टूबर (सरदार पटेल की जन्म-तिथि) के दिन संपूर्ण देश में राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Days) मनाने की शुरूआत हुई.
कौन हैं सरदार पटेल ?
ब्रिटिश हुकूमत से देश को आजादी दिलाने में हजारों स्वतंत्रता सेनानियों एवं क्रांतिकारियों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया. ऐसे ही एक क्रांति योद्धा थे, सरदार वल्लभ भाई पटेल. बारडोली (गुजरात) की महिलाओं ने उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि दी, जिसका अर्थ ‘प्रमुख या नेता’ होता है. कहा जाता है कि आजादी मिलने के बाद जब देश के पहले प्रधान मंत्री के चुनाव का वक़्त आया, तो सरदार पटेल को बहुमत से प्रधानमंत्री चुना गया था, लेकिन गांधीजी की ईच्छा से नेहरूजी को देश का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया. सरदार पटेल गांधीजी की इच्छा को सम्मान देते हुए उपप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री के पद तक सिमट कर रह गये. यह भी पढ़ें : Ahoi Ashtami 2021 Greetings: अहोई अष्टमी पर ये हिंदी ग्रीटिंग्स HD Wallpapers और GIF Images के जरिए भेजकर दें बधाई
सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था. गुलाम भारत की आजादी के लिए वह तमाम मोर्चों पर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ते हुए जेल गए, और अंततः देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई. आजादी मिलने के पश्चात सरदार पटेल ने आजाद भारत में फैले 565 रियासतों को एक सूत्र में बांधने में अहम भूमिका निभाई. कहा जाता है कि नेहरूजी ने अगर कश्मीर रियासत की जिम्मेदारी अपने हाथ नहीं ली होती, तो पटेल कश्मीर का भी मुद्दा निपटा चुके होते, और आज कश्मीर का कोई विवाद ही नहीं होता. 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अंतिम सांस ली. साल 1991 में उन्हें मरणोपरान्त 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया. संपूर्ण भारत को एकता के सूत्र में पिरोने वाले सरदार पटेल को को आज उनके जन्म दिन पर श्रद्धांजलि स्वरूप राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है.
जन्म-दिन सेलेब्रेशन
आज 31 अक्तूबर के दिन संपूर्ण भारत में इस महान योद्धा स्वर्गीय सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. इस महान दिवस पर सरदार पटेल के राष्ट्रीय अखंडता और एकता में योगदान के विषय में जागरूकता फैलाने के लिये देश भर में ‘रन फॉर यूनिटी (Run For Unity)’ जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. साल 2018 में इसी दिन भारत सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue Of Unity) का अनावरण किया था. इसे विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा होने का सम्मान प्राप्त है.