Muharram HD Wallpapers 2022: मुहर्रम की शुरुआत पर ये मैसेजेस HD Wallpapers और GIF Images के जरिए भेजकर इमाम हुसैन की शहादत को करें याद
ईद के बाद मुहर्रम (Muharram 2022) इस्लाम में दूसरा सबसे पवित्र महिना है. मुहर्रम 2022 के 7 या 8 अगस्त को मनाए जाने की उम्मीद है. मुहर्रम का स्मरणोत्सव, रमज़ान की तरह, चाँद के दिखने पर निर्भर करता है. इसे "अल्लाह के पवित्र महीने" के रूप में जाना जाता है, मुहर्रम इस्लामी चंद्र कैलेंडर में पहला महीना है और 30 जुलाई को शुरू होने की उम्मीद है....
Muharram HD Wallpapers 2022: ईद के बाद मुहर्रम (Muharram 2022) इस्लाम में दूसरा सबसे पवित्र महिना है. मुहर्रम 2022 के 7 या 8 अगस्त को मनाए जाने की उम्मीद है. मुहर्रम का स्मरणोत्सव, रमज़ान की तरह, चाँद के दिखने पर निर्भर करता है. इसे "अल्लाह के पवित्र महीने" के रूप में जाना जाता है, मुहर्रम इस्लामी चंद्र कैलेंडर में पहला महीना है और 30 जुलाई को शुरू होने की उम्मीद है. यह वर्ष के चार पवित्र महीनों में से एक है, जिसके दौरान किसी भी तरह की लड़ाई की अनुमति नहीं है. रमजान के बाद इसे दूसरा सबसे पवित्र महीना माना जाता है. मुहर्रम के दसवें दिन आशूरा (Ashura) का दिन आता है. यह भी पढ़ें: When Is Muharram 2022 Starting In India: मोहर्रम कब है, और क्यों मनाया जाता है? आशूरा से मोहर्रम का क्या ताल्लुक है?
मुहर्रम का इतिहास 662 ईस्वी पूर्व का है, जब मुहर्रम के पहले दिन पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों को मक्का से मदीना जाने के लिए मजबूर किया गया था. ऐसा माना जाता है कि पैगंबर मक्का चले गए क्योंकि उन्हें इस्लाम की शिक्षाओं को फैलाने से प्रतिबंधित कर दिया गया था. मुहर्रम के 10वें दिन पड़ने वाले आशूरा के दिन, हज़रत अली के पुत्र और पैगंबर के पोते इमाम हुसैन, 680 ई. में अशूरा के दिन कर्बला के युद्ध में शहीद हुए थे. तबसे इस दिन इस्लाम के लिए उनकी शहादत को याद किया जाता है. इस दिन पाक दिन पर हम आपके लिए ले आए कुछ मैसेजेस जिन्हें आप HD Wallpapers और GIF Images के जरिए भेज सकते हैं और इमाम हुसैन की शहादत को याद कर सकते हैं. ये मैसेज हमने इंटरनेट से लिए हैं.
1. खुशियों का सफर तो गम से शुरू होता है,
हमारा तो नया साल मुहर्रम से शुरू होता है
2. फलक पर शोक का बादल अजीब सा छाया है,
जैसे कि माह मुहर्रम का नजदीक आया है.
कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है
उस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ है
यूं तो लाखों सिर झुके सज़दे में लेकिन
हुसैन ने वो सज़दा किया, जिस पर खुदा को नाज़ है
4. करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने,
ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,
लहू जो बह गया कर्बला में,
उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने.
5. अपनी तकदीर जगाते हैं, तेरे मातम से,
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से,
अपन इजहारे-ए-अकीदत का सिलसिला ये है,
हम नया साल मनाते हैं तेरे मातम से
मुहर्रम को अन्य इस्लामी रीति-रिवाजों से बहुत अलग माना जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यह शोक का महीना है. मुहर्रम उपवास, प्रार्थना और शोक पर केंद्रित है. इस महीने में कोई उत्सव नहीं होता है. यह स्वीकार करना आवश्यक है कि मुहर्रम के शोक और पालन के पीछे सुन्नी और शिया मुसलमानों के लिए अलग-अलग कारण हैं. हालाँकि, यह पालन सभी द्वारा चिह्नित किया जाता है.