Mother’s Day 2021: 9 माह शिशु को कोख में पालनेवाली माँ के जीवन को सुरक्षित रखने वाले 9 टिप्स!
‘माँ’ इस छोटे से शब्द में विशाल भाव निहित हैं. वह दया, ममता, करुणा और धैर्य की मूरत होती है. वह मां ही है, जो प्रकृति को जीवित रखती है, उसे संचालित करती है. माँ के बिना परिवार के अस्तित्व की कल्पना बेमानी होगी.
‘माँ’ इस छोटे से शब्द में विशाल भाव निहित हैं. वह दया, ममता, करुणा और धैर्य की मूरत होती है. वह मां ही है, जो प्रकृति को जीवित रखती है, उसे संचालित करती है. माँ के बिना परिवार के अस्तित्व की कल्पना बेमानी होगी. लेकिन कभी हमने सोचा कि इस प्रक्रिया में कोई माँ कितनी पीड़ा सहती है? कोख में 9 माह शिशु के स्वरूप को गढ़ते-पोषते हुए वह अपने जीवन के साथ हर पल जोखिम लेती है. यह सुखद पहलू है कि पहले की तुलना में मातृ-मृत दर में किंचित कमी आई है. लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है, और यह तभी संभव होगा जब सरकार और परिवार मिलकर मातृत्व को संरक्षित करेंगे. यहां हम एक शिशु को नौ माह कोख में पालकर जन्म देने वाली माँ को सुरक्षित रखने वाले 9 टिप्स बता रहे हैं,
* लड़की से माँ बनने के बाद परिवार का पहला दायित्व है कि उसे मानसिक रूप से अहसास कराया जाये, कि उसे तो परमब्रह्म परमेश्वर ने इतनी शक्ति दे रखी है कि वह स्वयं इस अनुभव को यादगार बनाये.
* प्रिगनेंसी अति पीड़ादायक होती है, इसलिए संतान को जन्म देते समय गर्भवती को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए, परिवार में कोई महिला सदस्य नहीं है तो एक नर्स को हायर कर लेना चाहिए.
* मातृत्व के पहले अहसास के समय उसकी अच्छी देखभाल की जानी चाहिए, उसे उसकी पीड़ा अथवा प्रेशर का अहसास नहीं करवाना चाहिए.
* इस नाजुक वक्त पर उसके पास पति का होना आवश्यक है, जो उसकी शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा में प्यार और स्नेह का संचार कर सकता है. एक पत्नी को यह सब उसका पति ही बेहतर तरीके से दे सकता है. यह भी पढ़ें : Mother’s Day 2021 Google Doodle: मदर्स डे पर गूगल ने शानदार पॉप अप डूडल बनाकर कर दुनिया भर की मांओं को किया विश
* बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया में माँ शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो जाती है, इसलिए इस वक्त उसे संतुलित, स्वादिष्ट एवं ठोस आहार की जरूरत होती है, क्योंकि अब उसे नवजात शिशु को भी स्तनपान कराना होता है.
* नौ माह तक कोख में पालते हुए एक मां तमाम पीड़ा को सहती है. शिशु को जन्म देने के पश्चात उसे हर तरफ से खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए. विशेषकर उसे पर्याप्त नींद लेने का अवसर प्रदान करना चाहिए.
* शिशु को जन्म देने की प्रक्रिया में कोई भी औरत शारीरिक रूप से क्षीण हो जाती है. चूंकि उसे शिशु को दुग्धपान भी कराना होता है, इसलिए उसका हर दृष्टि से स्वस्थ रहना जरूरी है. इसलिए पहले एक माह तक उसे किसी गायनकोलॉजिस्ट के संरक्षण में रखना चाहिए.
* दुर्भाग्यवश आज भी हमारे यहां पुत्र-पुत्री में अतंर रखा जाता है. अगर माँ ने पुत्री को जन्म दिया है तो उसे अहसास कराया जाना चाहिए कि घर में लक्ष्मी आई है, उस पर पुत्र न पैदा कर पाने का लांछन नहीं लगाना चाहिए.
* 9 माह तक कोख में पालने के लिए माँ को तमाम पीड़ा अकेले सहन और वहन करना पड़ता है, लेकिन शिशु को सुरक्षित जन्म देने के बाद पति को पिता का दायित्व निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए.