मंगल पांडे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सबसे प्रतिष्ठित नामों में एक है, जिन्होंने 1857 के सैनिक विद्रोह से ठीक पहले एक जननायक की भांति आम भारतीय में आजाद भारत की चेतना जागृत की. ऊपरी बल्ला जिले के नागवा गांव में पैदा हुए मंगल पांडे 1849 में बंगाल सेना में शामिल हुए. मार्च 1857 में वह 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री (BNI) की 5वीं कंपनी में एक सैनिक के रूप में शिफ्ट किये गये थे. इसी दौरान ब्रिटिश हुकूमत ने कुछ ऐसे आदेश पारित किये, जिनका पालन न हिंदू सिपाही कर सकते थे, न मुसलमान सिपाही. इसी घटना के तहत एक क्रांति ने एक अदम्य क्रांतिकारी मंगल पांडे को जन्म दिया. मंगल साहस एवं जुनून से रातों-रात देश के महानायक बनकर उभरे, उनकी क्रांति ने सोते हुए गुलाम भारत में आजादी का ऐसा बिगुल फूंका, जिसकी परिणति आजाद भारत के रूप में हुई. आखिर क्या किया था मंगल पांडे ने, आइये जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी शौर्य और बलिदान की सिलसिलेवार कहानी..
* साधारण ब्राह्मण परिवार में जन्में मंगल पांडे 1849 में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए. उन्हें 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री (BNI) की 6वीं कंपनी में सिपाही के तौर पर चुना गया, जो ब्रिटिश इंडिया कंपनी की सेना के तहत एक महत्वपूर्ण रेजिमेंट था. इसमें भारी संख्या में ब्राह्मण कार्यरत थे यह भी पढ़ें : Shani Pradosh Vrat 2024: मासिक शिवरात्रि में बन रहा शनि प्रदोष का महासंयोग! जानें इसका महात्म्य, तिथि, मुहूर्त, महत्व एवं पूजा-विधि!
* साल 1850 के दशक में बैरकपुर में तैनात अंग्रेज अधिकारी गैरीसन ने एक नये एनफील्ड राइफल भारत में लाया गया था, जिसमें प्रयुक्त राइफल के मुंह पर गाय और सुअर की चर्बी लगी थी, इसे मुंह से काटकर ही कारतूस को राइफल में लोड किया जा सकता था.
* बैरकपुर छावनी में तैनात मंगल पांडे ने अंग्रेज अफसर के आदेश का कड़ा विरोध करते हुए सभी भारतीय सैनिकों को ऐसा करने से रोक दिया. मंगल पांडे के इस फैसले का सभी सैनिकों ने समर्थन देते हुए राइफल का प्रयोग करने से मना कर दिया. गैरीसन का षड़यंत्र विफल हो गया.
* मंगल पांडे का ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ यह विद्रोह देखते ही देखते देश भर में फैल गया, इसे आजादी का पहला आंदोलन भी कहा जाता है, जिससे ब्रिटिश हुकूमत की चूलें हिल गई.
* मंगल पांडे रातों-रात भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक बन गये. उन्होंने कई ऐसे सैनिकों को इकट्ठा कर उन्हें भारत की आजादी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने के लिए तैयार किया. लेकिन कहा जाता है कि जब मंगल पांडे ने अंग्रेज अफसरों पर विद्रोह स्वरूप पहली गोली चलाई, तब वे सैनिक पीछे हट गये. अंततः मंगल पांडे को गिरफ्तार कर लिया गया.
* मंगल पांडे का कोर्ट मार्शल कर दिया गया. सैनिक कोर्ट ने उन्हें मृत्यु दंड का फैसला सुनाते हुए 18 अप्रैल को फांसी पर चढ़ाने का आदेश दे दिया.
* अदालत के इस फैसले का पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन हुआ, उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग स्वरूप जगह-जगह आंदोलन किया गया. आंदोलन का यह उग्र रूप देख अंग्रेज सरकार भयाक्रांत हो गई. मंगल पांडे पूरे भारत के नायक बन चुके थे.