शिवलिंग को लेकर कुछ लोगों की धारणा है कि घर पर शिवलिंग नहीं रखना चाहिए. इसलिए अधिकांश लोग महाशिवरात्रि अथवा मासिक शिवरात्रि पर करीबी शिव मंदिरों में अभिषेक करने जाते हैं. इस संदर्भ में पंडित संजय शुक्ल का कहना है कि घर पर शिवलिंग रखने से कोई दोष नहीं है, लेकिन शिवजी के प्रबल प्रतीक शिवलिंग को घर पर तभी स्थापित करनी चाहिए, जब हम उनका प्रतिदिन और नियमित जलाभिषेक करें. समयाभाव अथवा सेहत आदि के कारणों से अगर शिवलिंग पर नियमित जलाभिषेक नहीं किया जाता है तो शिवलिंग घर पर नहीं रखना चाहिए. वरना शिवजी के कोप का भाजन अथवा किसी बड़े अनिष्ठ का सामना करना पड़ सकता है. यहां हम बात करेंगे कि अगर घर पर शिवलिंग है तो किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि हिंदू मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भोलेनाथ बहुत जल्दी भक्त पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं.
* शिव पुराण के अनुसार घर में शिवलिंग स्थापित करने में कोई दोष नहीं है, मगर इस बात का ध्यान रहे कि शिवलिंग की लंबाई आपके अंगूठे से बड़ी नहीं होनी चाहिए. ज्यादा बड़े आकार के शिवलिंग की पूजा अशुभ परिणाम दे सकते हैं. यह भी पढ़ें : Swami Dayananda Saraswati Jayanti 2024 Quotes: महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती आज, अपनों संग शेयर करें उनके ये 10 अनमोल विचार
* भगवान शिव जलाभिषेक करते समय इस बात का ध्यान रहे कि स्टील अथवा लोहे के लोटे से शिवलिंग पर जलाभिषेक नहीं करनी चाहिए. यह अशुभता का संकेत दर्शा सकता है. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर जलाभिषेक तांबे के लोटे से ही करना श्रेयस्कर है, अगर तांबे का लोटा नहीं है तो पीतल के लोटे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
* घर पर शिवलिंग स्थापित करते समय ध्यान पूर्व अपना चेहरा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही जलाभिषेक करें. इसके विपरीत भूलकर भी पश्चिम तथा दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके शिवलिंग का जलाभिषेक नहीं करना चाहिए. नियमपूर्वक जलाभिषेक करने से शिवजी के साथ-साथ माता पार्वती की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है.
* घर में भगवान शिव की मूर्ति, प्रतिमा लगाते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखें की शिवजी की क्रोधित मुद्रा वाली तस्वीर अथवा प्रतिमा ना रखें, ना पूजा के लिए ना ही सजावट आदि के लिए. इस तरह की तस्वीर या प्रतिमा से परिजनों में लड़ाई, झगड़े एवं कलह आदि होते रहते हैं.
* महाशिवरात्रि के दिन जलाभिषेक करने से पूर्व शिवलिंग को एक थाली में रखें, जलाभिषेक का जल अथवा दूध, दही आदि जो थाली में गिरे, उसे नाली के बजाय फूलों के गमले में डालें.