Mahaparinirvan Diwas Messages 2021: भीमराव रामजी अम्बेडकर (Bhimrao Ramji Ambedkar) का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था. बी आर अम्बेडकर ने एक न्यायविद, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक के रूप में एक प्रमुख भूमिका निभाई. भारत के संविधान को आकार देने में अम्बेडकर की बहुत बड़ी भूमिका थी. अम्बेडकर ने निचली जाति और अछूतों के विकास और उत्थान के लिए लड़ाई लड़ी. 31 मार्च 1990 को उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया. अम्बेडकर की मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को उस समय हुई जब वे सो रहे थे. वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री बने. उन्हें भारतीय संविधान का पितामह कहा जाता है. यह भी पढ़ें: Mahaparinirvan Diwas 2020 Quotes: महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को करें याद, उनके अनमोल विचारों को करें प्रियजनों के साथ शेयर
बौद्ध नेता के रूप में उनकी स्थिति के कारण, अम्बेडकर की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में जाना जाता है. अम्बेडकर, जो हिंदू धर्म में अछूत मानी जाने वाली महार जाति के थे, उन्होंने 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में 500,000 समर्थकों के साथ वर्षों तक धर्म का अध्ययन करने के बाद बौद्ध धर्म अपना लिया. अपना अंतिम कार्य, बुद्ध और उनका धम्म, बुद्ध के जीवन और बौद्ध धर्म पर एक ग्रंथ को पूरा करने के कुछ ही दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गई. अम्बेडकर का मानना था कि हिंदू धर्म के भीतर दलितों को उनका अधिकार कभी नहीं मिल सकता है. बाबासाहेब आंबेडकर की 65 वीं पुण्यतिथि पर हम आपके लिए ले आए हैं मैसेजेस जिन्हें आप HD Images और GIF के जरिए भेजकर उन्हें याद कर सकते हैं.
1-कर गुजर गए जो वो भीम थे,
दुनिया को जगाने वाले भीम थे,
हमने तो सिर्फ इतिहास पढ़ा है यारो,
इतिहास को बनाने वाले मेरे भीम थे.
महापरिनिर्वाण दिवस
2- भारतीय संविधान के रचयिता,
भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को,
महापरिनिर्वाण दिवस पर कोटी-कोटी प्रणाम!
महापरिनिर्वाण दिवस
3- नींद अपनी खोकर जगाया हमको,
आंसू अपने गिराकर हंसाया हमको,
कभी मत भूलना उस महान इंसान को,
जमाना कहता है आंबेडकर जिनको.
महापरिनिर्वाण दिवस
4- कुरान कहता है मुसलमान बनो,
बाइबल कहता है ईसाई बनो,
भगवत गीता कहती है हिंदू बनो,
लेकिन मेरे बाबासाहेब का,
संविधान कहता है इंसान बनो.
महापरिनिर्वाण दिवस
5- फूलों की कहानी बहारों ने लिखी,
रातों की कहानी सितारों ने लिखी,
हम नहीं है किसी के गुलाम,
क्योंकि हमारी जिंदगानी बाबा साहेब ने लिखी.
उनके समर्थक उन्हें प्यार से बाबा साहेब बुलाते हैं, उनका का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था. अपनी जाति के कारण अम्बेडकर ने बचपन से ही आर्थिक और सामाजिक भेदभाव देखा. अम्बेडकर के जीवन को सम्मानित करने वाले इन दर्दनाक अनुभवों में से अधिकांश को उन्होंने अपनी आत्मकथा पुस्तक वेटिंग फॉर ए वीज़ा में लिखा है.