महाबली हनुमान जी अपने भक्तों के बीच संकटहर्ता के रूप में पहचाने जाते हैं. भक्तों का अदम्य विश्वास है कि कितना भी बड़ा संकट हो हनुमान जी को याद करने मात्र से संकट खत्म हो जाता है. लेकिन यह तभी होगा जब हनुमान जी के प्रति भक्तों के मन में सच्ची आस्था एवं भक्तिभाव होगा. नवाबों का शहर कहे जाने वाले लखनऊ शहर में इन दिनों ऐसी आस्था एवं भक्ति की मिसाल देखी जा सकती है. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष के प्रारंभ होने के साथ ही पूरे शहर में ‘ बड़ा मंगल ’ का पर्व शुरु हो चुका है. पूरा शहर हनुमान जी की भक्ति में रचा-बसा महसूस हो रहा है. आखिर क्या है ‘बड़ा मंगल’ एवं इसके पीछे की कहानी आइए जानें...
‘बड़ा मंगल’ का महात्म्य
ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष की तृतीया (21 मई) से ही बड़का मंगल की शुरुआत हो चुकी है. प्रत्येक वर्ष इसी माह पूरे ज्येष्ठ मास के मंगलवार का दिन ‘बड़का मंगल’(बड़ा मंगल) का मेला पूरे लखनऊ शहर को हनुमानमय बना देता है. अगला यानी ज्येष्ठ माह का दूसरा मंगल 28 मई को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में पड़ेगा. इस नक्षत्र का स्वामी गुरू है. यानी दूसरे बड़े मंगल का भी खास प्रभाव शहर में देखा जा सकेगा. इसके पश्चात 04 जून को शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के साथ मृगशिरा नक्षत्र भी रहेगा. इस नक्षत्र का स्वामी मंगल है, जो सबका मंगल करता है, यानी यह मंगल भी भक्तों के लिए एक शुभ संकेत माना जा सकता है.
कब और कैसे शुरू हुआ ‘बड़ा मंगल’ का मेला
इस संदर्भ में लेटेस्टली के पाठकों के लिए पूर्व में लखनऊ के इस मंदिर विशेष की सच्ची कथा प्रकाशित की जा चुकी है. कहा जाता है कि इस मेले की शुरुआत आज से चार सौ साल पूर्व लखनऊ के मुगलशासक नवाब मोहम्मद अली शाह ने करवाई थी. इस संदर्भ में बताया जाता है कि एक बार नवाब के बेटे की तबियत इतनी खराब हो गई कि सारे वैद्य एवं चिकित्सकों ने जवाब दे दिया कि उसका बचना मुश्किल है. हर जगह निराश होने के पश्चात अली शाह की बेगम रूबिया अपने बेटे को अलीगंज स्थित इसी हनुमान मंदिर में लेकर आई. पुजारी ने बच्चे की हालत देखने के बाद कहा कि वह चाहें तो बच्चे को मंदिर में ही छोड़कर चली जाएं. अगर हनुमान जी चाह लेंगे तो सुबह तक बच्चा पूरी तरह स्वस्थ हो जाएगा. अगले दिन नवाब और उसकी बेगम मंदिर में आए तो यह देखकर आश्चर्यचकित रह गए कि उनका बेटा खेल रहा है. वह पूरी तरह स्वस्थ हो चुका था. अपने बच्चे को पूरी तरह स्वस्थ देखकर नवाब ने पुजारी के सामने भारी मात्रा में धनराशि देने की पेशकश की, तब पुजारी ने कहा कि इस मंदिर की स्थिति अच्छी नहीं होने से यहां भक्त काफी कम आ पाते हैं. अगर आप इस मंदिर के लिए एक भव्य मेले का आयोजन करवा सकें तो यही आपकी दक्षिणा होगी. बताया जाता है कि नवाब ने न केवल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया बल्कि पुजारी के कहे अनुसार एक पुण्य मुहूर्त वाले मंगल के दिन विशाल मेले का आयोजन करवाया. इसके बाद से ही न केवल इस प्राचीन मंदिर में बल्कि शहर के सारे मंदिरों में पूरे ज्येष्ठ मास के मंगलवार को बड़ा मंगल के रूप में मेले का सिलसिला प्रारंभ हो गया. नवाब ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराते समय मंदिर के गुंबद पर चांद तारा का प्रतीक भी लगवाया. यह चांदतार आज भी इस मंदिर में देखा जा सकता है.
पौराणिक कथानुसार
पौराणिक कथा के अनुसार श्रीराम के भाई लक्ष्मण ने मंगलवार के ही दिन लखनऊ शहर को बसाया था. उसी समय उऩ्होंने बड़का मंगल मनाने की परंपरा प्रारंभ की. तभी से ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार के दिन लखनऊ में बड़ा मंगल मनाने का प्रचलन जारी है.
क्या बड़ा मंगल का मेला
यह सच है कि बड़े मंगल के मेले की शुरुआत लखनऊ से ही हुई, लेकिन नागपुर में भी इसी माह यह मेला बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. ज्येष्ठ मास के पहले मंगल से अंतिम मंगल तक प्रत्येक हनुमान मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है. प्रातःकाल एवं सायंकाल हनुमान जी की पूजा आरती होती है. इस दिन हनुमान भक्तों का तांता लगा रहता है. हनुमान जी के मंदिरों में. इस आयोजन में हिंदुओं के अलावा भारी संख्या में मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्म के लोग शिरकत करते हैं. प्रत्येक हनुमान मंदिर के बाहर सुबह से ही प्रसाद, शर्बत, खिचड़ी, सब्जी-पूरी, हलवा, बूंदी, रसगुल्ला, आइसक्रीम, कढ़ी-चावल आदि के भंडारे लगाए जाते हैं और पूरे दिन श्रद्धालु यहां आकर प्रसाद ग्रहण करते हैं. भोग करानेवालों में अधिकांशतया वे लोग होते हैं जिसकी कोई मन्नत हनुमान जी की कृपा से पूरी हुई होती है, जबकि कुछ लोग किसी मन्नत विशेष के तहत हनुमान भक्तों के लिए भंडारा का आयोजन करवाते हैं.