International Womens Day 2023: ‘भारत-रत्न’ पाने में भी पीछे नहीं हैं देश की बेटियां,  जानें इस प्रतिष्ठित अवार्ड से सम्मानित पांच महिलाएं!
International Women Day 2023

साल 1954 में शुरु हुए भारत-रत्न अवॉर्ड के 68 वर्षों में 48 शख्सियतें भारत सरकार द्वारा सम्मानित की जा चुकी हैं, इनमें 5 महिलाएं भी हैं. यानी 48 विजेताओं में मात्र 5 महिलाएं! साल 2001 के बाद तो एक भी महिला देश के इस सर्वोच्च अवॉर्ड में अपना स्थान नहीं बना सकी. यूं तो कहा जाता है, यह अवॉर्ड कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय एवं असाधारण योगदान के लिए दिया जाता है, लेकिन अवॉर्ड विजेताओं की सूची पर सरसरी नजर डालें, तो दो बातें उजागर होती हैं, पहला यह अवॉर्ड राजनीति-प्रेरित ज्यादा लगती है, दूसरा कि अभी भी हम पुरुष सत्तात्मक व्यवस्था से उबर नहीं सके हैं. बहरहाल इस क्या, क्यों और कैसे का मुद्दा बहस को अन्यंत्र ले जा सकता है. फिलहाल हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Womens Day) पर उन पांच महिलाओं की बात करेंगे, जिन्हें देश ने इस सबसे बड़े अवॉर्ड से गौरवान्वित किया है.

श्रीमती इंदिरा गांधी (1971)

भारत की लौह-महिला के नाम से विख्यात जवाहरलाल नेहरू की सुपुत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ऐसी पहली महिला थीं. जिन्हें 1971 में भारत-रत्न से नवाजा गया. गौरतलब है कि श्रीमती गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं. उन्होंने 1966-77 और 1980-84 तक भारत की कमान संभाली थी. श्रीमती गांधी की सबसे बड़ी उपलब्धि भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान पर जीत के साथ उसके दो टुकड़े कर स्वतंत्र बांग्लादेश का गठन कराना था. यह अवॉर्ड उनके प्रधानमंत्रित्व काल में प्रदान किया गया था. साल 1984 में उनकी अपने आवास पर अपने ही सुरक्षागार्डों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यह भी पढ़ें :

मदर टेरेसा (1980)

1971 में श्रीमती इंदिरा गांधी को भारत-रत्न से विभूषित करने के नौ साल बाद साल 1980 में भारत-रत्न अवॉर्ड से मदर टेरेसा को सम्मानित किया गया. कलकत्ता (अब कोलकाता) की कैथोलिक नन और मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्थापक मदर टेरेसा को यह सम्मान उनके समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिये प्रदान किया गया था. गौरतलब है कि इससे एक साल पूर्व 1979 में उन्हें नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका था. 4 सितंबर 2016 में पोप फ्रांसिस ने उन्हें ‘संत’ घोषित किया था. 1997 में 87 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई.

अरुणा आसफ अली (1997)

साल 1997 में समाज सेवा के क्षेत्र में विशिष्ठ कार्य करने के परिणामस्वरूप अरुणा आसफ अली को जब भारत-रत्न देने की घोषणा हुई तो बहुत से लोग चौंक पड़े थे, क्योंकि युवाओं के लिए यह नया नाम था. 1942 में अरुणा ने बंबई (अब मुंबई) के ग्वालिया टैंक में तिरंगा फहराकर ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन की शुरुआत की थी. उन्हें भारत-छोड़ो आंदोलन की मुख्य नायिका माना जाता है. 1958 में वह दिल्ली की पहली महिला मेयर बनी. इस दरम्यान उन्होंने दिल्ली के विकास के लिए कई यादगार कार्य किये. 29 जुलाई 1998 में दिल्ली में उनकी मृत्यु हुई थी.

एमएस सुब्बुलक्ष्मी (1998)

साल 1998 में भारत-रत्न अवॉर्ड प्राप्त करनेवाली तीसरी भारतीय महिला एमएस सुब्बुलक्ष्मी थीं. कला के क्षेत्र में भारत-रत्न का अवॉर्ड पाने वाली प्रथम महिला थीं सुब्बुलक्ष्मी. इससे पूर्व 1974 में उन्हें रेमन मेग्सेसे अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका था. तमिलनाडु की मदुरै शहर में जन्मीं सुब्बुलक्ष्मी पहली भारतीय थीं, जिन्हें साल 1966 में संयुक्त राष्ट्र संघ की सभा में क्लासिकल संगीत कार्यक्रम की प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया था. 11 दिसंबर 2004 में सुब्बुलक्ष्मी का चेन्नई में निधन हुआ था.

लता मंगेशकर (2001)

अटल बिहारी बाजपेई के प्रधान मंत्रित्वकाल में साल 2001 में भारत-रत्न का सम्मान पानेवाली लता मंगेशकर कला के क्षेत्र की दूसरी महिला थीं. उनकी कर्णप्रिय आवाज से प्रभावित होकर कोई उन्हें ‘स्वर कोकिला’ कहता था तो कोई ‘भारत की नाइटिंगेल’ के नाम से पुकारता था. इंदौर में जन्मीं लता ने एक हजार से ज्यादा फिल्मों में 36 से ज्यादा भाषाओं में गाने गाये थे, साल 1989 में उन्हें सिनेमा जगत के सबसे प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से भी पुरस्कृत किया जा चुका है. हाल ही में 6 फरवरी 2022 में लता मंगेशकर का मुंबई में निधन हो गया.