International Labour Day 2022: 80 से ज्यादा देशों में मनाये जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस से संबंधित 7 रोचक फैक्ट!

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस प्रत्येक वर्ष 1 मई को मनाया जाता है. यह दिन दुनिया भर के मजदूरों के लिए समर्पित होता है. इस दिन विश्व के प्रत्येक देशों में मजदूरों के हित संबंधित तमाम योजनाओं को क्रियान्वित करने की योजना बनाई जाती है.

International Labour Day 2022: 80 से ज्यादा देशों में मनाये जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस से संबंधित 7 रोचक फैक्ट!

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस प्रत्येक वर्ष 1 मई को मनाया जाता है. यह दिन दुनिया भर के मजदूरों के लिए समर्पित होता है. इस दिन विश्व के प्रत्येक देशों में मजदूरों के हित संबंधित तमाम योजनाओं को क्रियान्वित करने की योजना बनाई जाती है. इसे लेबर डे, श्रमिक दिवस अथवा मजदूर दिवस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भारत समेत 80 से ज्यादा देशों में श्रमिक दिवस के नाम पर सार्वजनिक अवकाश रहता है.

इस अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत अमेरिका में 1 मई 1886 से हुई थी. दरअसल उन दिनों स्थानीय मजदूरों से 15 घंटे काम लिया जाता था, और पारिश्रमिक बहुत कम मिलता था, इससे उपजे असंतोष ने देखते ही देखते एक विशाल जन आंदोलन का रूप अख्तियार कर लिया. अमेरिकी सरकार ने इसे पुरजोर दबाने के लिए मजदूरों पर फायरिंग भी करवाई, जिसमे काफी मजदूर मारे गये और सैकड़ों घायल हुए थे. अंततः साल 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में मजदूरों के हितों को ध्यान में रखते हुए 1 मई को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित हुआ. तभी से 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनायी जा रहा है. आइये जानें इससे जुड़े कुछ रोचक और जानकारी योग्य फैक्ट.

* अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस प्रत्येक वर्ष 1 मई को मनाया जाता है. दरअसल 1 मई 1886 में शिकागो में 15 घंटे के बजाय 8 घंटे के कार्य दिवस को लेकर शुरू हुई क्रांति देखते ही देखते विशाल जन-आंदोलन में बदल गयी. बाद में मजदूरों की समस्याओं को सुना-समझा गया और उन्हें अमल में लाने की प्रक्रिया शुरू हुई. यद्यपि इस संघर्ष में विजय प्राप्ति के लिए कई मजदूरों को शहादत भी देनी पड़ी.

* श्रमिक दिवस मनाने के पीछे उस काले दिन को नहीं भुलाया जा सकता, जो हेमार्केट नरसंहार कांड के रूप में आज भी याद किया जाता है. प्रतिदिन 15 घंटे काम के विरोध में मजदूरों ने विद्रोह किया और अंततः उनकी जीत हुई.

* 4 मई 1886 को एक बड़ा जन आंदोलन छिड़ा. मुद्दा था, प्रतिदिन 15 के बजाय 8 घंटे काम करने की मांग. यह शांतिपूर्ण आंदोलन उस समय खूनी हिंसा में बदल गयी, जब एक अज्ञात व्यक्ति ने भीड़ से पुलिस पर बम फेंका, पुलिस ने बम से खुद को बचाते हुए फायरिंग शुरु कर दी. सूत्रों के अनुसार इस आपमें दर्जन भर लोगों की जानें गईं और साठ से ज्यादा लोग घायल हुए. पुलिस ने चार मजदूरों को गिरफ्तार कर फांसी पर चढ़ा दिया. 1889 के दिन पेरिस में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें 1 मई को मजदूर दिवस मनाने की औपचारिक घोषणा को स्वीकृति मिल गई.

* भारत में पहली बार 1 मई को श्रमिक दिवस साल 1923 में चेन्नई में मनाया गया था. इसका आयोजन द लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने किया था. इस अवसर पर सिंगारवेलु चेट्टियार ने चेन्नई में लाल रंग का ध्वज लहराया था. उन्होंने दो आयोजन किये थे, पहला मद्रास उच्च न्यायालय के सामने समुद्र तट पर और दूसरा त्रिप्लीकेन समुद्र तट पर आयोजित किया था, और दोनों ही आयोजन खूब सफल रहे.


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