Year Ender 2022: फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भारत बना विश्व का पॉवर हाउस, देशवासियों को मिल रही हैं सस्ती दवाएं

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के तहत, जनता को सस्ती दरों पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए पूरे देश में प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (PMBJK) खोले गए हैं.

Medicines (Photo Credit : Twitter)

Year Ender 2022: औषध विभाग ने साल 2022 में विभिन्न कार्यक्रमों और पहलों को लागू किया. औषध विभाग ने प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत गरीबों और वंचितों को सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयाँ उपलब्ध करवाने के साथ ही निवेश और उत्पादन बढ़ाकर औषध क्षेत्र में भारत की विनिर्माण क्षमता को मजबूत करने के लिए पीएलआई योजना की शुरुआत की. इसके अलावा विभाग ने चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और औषध उद्योग को मजबूत करने पर भी विशेष जोर दिया. इस लेख में हम औषध विभाग की महत्वपूर्ण योजनाओं और पहलों के बारे में जानेंगे.

देशवासियों को मिल रही हैं सस्ती दवाएं

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के तहत, जनता को सस्ती दरों पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए पूरे देश में प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (PMBJK) खोले गए हैं. 30 नवंबर 2022 तक देश भर में 8916 PMBJK खोले जा चुके हैं. मार्च 2025 तक इन केंद्रों को बढ़ाकर 10500 करने का लक्ष्य है. जन औषधि दवाओं की कीमतें आम तौर पर ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50%-90% कम होती हैं. PMBJP के उत्पाद संग्रह में 1759 दवाएं और 280 सर्जिकल उत्पाद शामिल हैं जिसमें मार्च 2025 तक 2000 दवाओं और 300 सर्जिकल उत्पादों को शामिल करने का लक्ष्य है.

सेनेटरी नैपकिन मात्र एक रुपए में

देशभर में सभी महिलाओं को मासिक धर्म स्वास्थ्य सेवाओं की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, "जन औषधि सुविधा ऑक्सी-बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी नैपकिन" देश भर के सभी पीएमबीजेपी केंद्रों में उपलब्ध हैं. इन सेनेटरी नैपकिन की कीमत ₹1.00 प्रति सैनिटरी पैड है। इन केन्द्रों के माध्यम से नवंबर, 2022 तक 31 करोड़ से अधिक पैड बेचे जा चुके हैं.

औषध क्षेत्र में एफडीआई

चालू वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान अप्रैल 2022 से सितंबर 2022 तक औषध क्षेत्र (फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों दोनों में) में एफडीआई प्रवाह 8,081 करोड़ रुपये रहा है. यह भी पढ़ें: Medicines To Get Cheaper: देश में सस्ती होगी जरूरी दवाएं, Paracetamol जैसी 127 दवाओं की कीमतों की सीमा तय

पीएलआई योजनाओं से भारत बना आत्मनिर्भर

पीएलआई योजनाओं को महत्वपूर्ण स्टार्टिंग मटीरियल्स (KSM),ड्रग इंटरमीडिएट्स (DI), एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (API), चिकित्सा उपकरण और फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने, आयात कम करने और निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया. पीएलआई योजनाओं से देश में उच्च मूल्य वाले उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ कौशलयुक्त और कौशलरहित दोनों कर्मियों के लिए रोजगार पैदा होने की उम्मीद है. इसमें 20,000 प्रत्यक्ष और 80,000 अप्रत्यक्ष नौकरियों का अनुमान है. सितंबर 2022 तक सृजित वास्तविक रोजगार की संख्या 22,560 है.

एशिया में भारत का चौथा नंबर

चिकित्सा उपकरण क्षेत्र स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का एक आवश्यक और अभिन्न अंग है. भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र का वर्तमान बाजार 11 अरब डॉलर होने का अनुमान है और वैश्विक चिकित्सा उपकरण बाजार में इसकी हिस्सेदारी 1.5% है. भारत जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद चौथा सबसे बड़ा एशियाई चिकित्सा उपकरणों का बाजार है. कोरोना काल में भारत ने वेंटिलेटर, पीपीई, डायग्नोस्टिक किट, सैनिटाइजर और सर्जिकल दस्ताने का निर्यात किया है.

फार्मास्यूटिकल्स निर्यात में 66% वृद्धि

फार्मास्यूटिकल के क्षेत्र में भारत विश्व का पॉवर हाउस है. दुनिया की करीब 70 प्रतिशत दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग भारत में ही होती है. दामों के मामले में भारतीय दवा उद्योग विश्व स्तर पर 14 वें स्थान पर है और आकार के मामले में तीसरे स्थान पर है. हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक भारत के फार्मेसी उद्योग ने भारत के फार्मास्यूटिकल्स निर्यात में 66% की वृद्धि दर्ज की.

कोरोना काल में भारत ने मेडिकल के क्षेत्र में काफी काम किया है। ये केंद्र सरकार की दूरदर्शिता ही है कि भारत कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल कर रहा है. आज भारत एशिया में मेडिकल उपकरणों का चौथा बड़ा बाजार बनकर उभरा है. आने वाले समय में डॉक्टर, दवा और चिकित्सा उपकरणों के मामले में वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति और मजबूत होगी.

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