World Hemophilia Day 2019: हीमोफीलिया (Hemophilia) एक ऐसी अनुवांशिक बीमारी है, जिसका खतरा महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को ज्यादा होता है. खून के थक्के बनने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाली यह अनुवांशिक बीमारी माता-पिता से उनके बच्चों में हो सकती है. दरअसल, गुणसूत्र यानी क्रोमोसोम (Chromosome) इस बीमारी के वाहक यानी बीमारी को आगे भेजने के लिए जिम्मेदार होते हैं. दुनिया भर के लोगों को इस अनुवांशिक बीमारी के प्रति जागरूक करने के मकसद से हर साल 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस (World Hemophilia Day) मनाया जाता है. इस बीमारी से पीड़ित लोगों में खून का थक्का नहीं बनता है, क्योंकि उनके ब्लड में प्रोटीन (Protein) की कमी होती है, जिसे क्लोटिंग फैक्टर (clotting factor) कहा जाता है.
बताया जाता है कि 10 हजार में से एक व्यक्ति को यह बीमारी होती है. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति अगर किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो उसके बहते हुए खून को आसानी से नहीं रोका जा सकता है, क्योंकि उसके खून में थक्का नहीं जमता है. ऐसे में कई बार लगातार खून बहने की वजह से मरीज की मौत भी हो सकती है. चलिए जानते हैं यह बीमारी कितने प्रकार की होती है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचाव के क्या तरीके हैं?
हीमोफीलिया के प्रकार-
हीमोफीलिया आमतौर पर दो प्रकार का होता है हीमोफीलिया ए और हीमोफीलिया बी. हालांकि इसका एक और प्रकार भी होता है हीमोफीलिया सी. दरअसल, इससे पीड़ित लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में लंबे समय तक रक्तस्राव होता है. हीमोफीलिया ए में फैक्टर 8 की कमी होती है, जबकि हीमोफीलिया बी में फैक्टर 9 की कमी होती है. बता दें कि रक्त या क्लॉट जमाने के लिए आवश्यक तत्व को फैक्टर कहा जाता है. 5,000 हजार से 10,000 पुरुषों में से एक को हीमोफीलिया 'ए' से पीड़ित होने का खतरा रहता है, जबकि 20,000 से 34,000 पुरुषों में से एक के हीमोफीलिया 'बी' से पीड़ित होने का खतरा रहता है. यह भी पढ़ें: व्हाइट ब्लड सेल्स हैं शरीर के लिए बेहद आवश्यक, इन्हें नैचुरली बढ़ाने के लिए रोज खाएं ये 5 चीजें
हीमोफीलिया ए और बी
हीमोफीलिया ए ब्लड में फैक्टर 8 प्रोटीन की कमी की वजह से होता है, जबकि हीमोफीलिया बी ब्लड में फैक्टर 9 की कमी से होता है. एक तिहाई मामलों में इसके सहज आनुवांशिक बीमारी माना जाता है. आमतौर पर हीमोफीलिया ए और बी एक्स गुणसूत्र यानी X क्रोमोसोम द्वारा होता है. दरअसल, महिलाओं में दो X क्रोमोसोम पाए जाते हैं, जबकि पुरुषों में X और Y क्रोमोसोम होते हैं. पुरुषों में X क्रोमोसोम महिला से और Y क्रोमोसोम उसके पिता से आते हैं. इसी से बच्चे का लिंग भी निर्धारित होता है.
ज्यादातर मामलों में महिलाएं ही इस रोग की वाहक होती हैं, क्योंकि बेटे में X क्रोमोसोम उसकी मां से मिलता है और अगर वो क्रोमोसोम हीमोफीलिया से ग्रसित हो तो बेटे को यह बीमारी हो सकती है, जबकि बेटी में एक X क्रोमोसोम मां से मिलता है और अगर वो हीमोफीलिया ग्रसित हो और पिता से मिलने वाला दूसरा X क्रोमोसोम हीमोफीलिया से ग्रसित न हो तो ऐसे में बेटी को यह बीमारी नहीं होगी. आमतौर पर पिता से उनके बच्चों में हीमोफीलिया का खतरा न के बराबर होता है.
हीमोफीलिया सी
हीमोफीलिया ए और बी की तरह की हीमोफीलिया सी भी एक आनुवांशिक विकार है, जो ब्लड में फैक्टर 11 की कमी के चलते होता है. साल 1953 में पहली बार इससे पीड़ित रोगियों की पहचान की गई थी, जब उनके दांत निकाले जाने पर गंभीर रूप से खून बह रहा था. फैक्टर 11 की कमी एक आटोसॉमल अप्रभावी आनुवांशिक पैटर्न (Autosomal Recessive Pattern) से होती है. यह माता पिता दोनों से किसी ऐसे जीन से बच्चे में होती है जो हीमोफीलिया ए और बी के विपरित है.
हीमोफीलिया के लक्षण-
- शरीर पर नीले निशान नजर आना.
- आंख के भीतर से खून निकलना.
- नाक से अचानक खून निकलना.
- जोड़ों में सूजन और खून निकलना.
- कमजोरी और चलने में दिक्कत महसूस होना.
- मांसपेशियों में ऐंठन की शिकायत.
- खून बंद होने के बाद जख्म से दोबारा खून निकलना.
- दांत निकलवाने की वजह से ज्यादा खून बहना.
कैसे करें बचाव?
हीमोफीलिया एक आनुवांशिक बीमारी है जो बच्चे को उसके माता-पिता से होती है. हालांकि महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को इसका खतरा अधिक होता है. बावजूद इसके इस बीमारी से बचाव के लिए कुछ सावधानियां बरतनी आवश्यक है. यह भी पढ़ें: ब्लड ग्रुप के हिसाब से जानिए कैसा होना चाहिए आपका खान-पान, ताकि बने रहें सेहतमंद
- नॉन स्टेरॉयड दवा या एस्परिन लेने से बचें.
- हेपेटाइटिस बी का टीका जरूर लगवाएं.
- पीड़ित अपने डॉक्टर का नंबर हमेशा पास रखें.
- हीमोपीलिया से पीड़ित बच्चे की अच्छी देखभाल करें.
- इस बीमारी के प्रति जागरूकता बेहद आवश्यक है.
विश्व हिमोफीलिया दिवस का इतिहास
दुनिया भर में लोगों को हीमोफीलिया बीमारी के प्रति जागरूक करने के मकसद से साल 1989 में विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाने की शुरुआत की गई. दरअसल, वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया के संस्थापक फ्रैंक कैनबेल के जन्मदिवस के दिन यानी 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है. दरअसल, साल 1987 में संक्रमित खून चढ़ाने की वजह एड्स जैसी जानलेवा बीमारी होने के कारण फ्रैंक की मौत हो गई थी.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को केवल सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसमें दी गई जानकारियों को किसी बीमारी के इलाज या चिकित्सा सलाह के लिए प्रतिस्थापित नहीं किया जाना चाहिए. इस लेख में बताए गए टिप्स पूरी तरह से कारगर होंगे या नहीं इसका हम कोई दावा नहीं करते है, इसलिए किसी भी टिप्स या सुझाव को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.