Important Health Tip: क्या कम खाना खाने से वजन घटेगा? क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट!

आज रोजमर्रा की व्यस्ततम जिंदगी एवं प्रतिस्पर्धा की होड़ में पूरी लाइफ स्टाइल बदल गयी है. इस फास्टेस्ट लाइफ में अपने लिए वक्त निकाल पाना मुश्किल हो रहा है. असंतुलित, असंयमित एवं असमय भोजन की वजह से शरीर पर अतिरिक्त चर्बी चढ़ने लगती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo: Pixabay)

इन दिनों फिटनेस और चुस्ती-दुरुस्ती को मेंटेन रखने तथा अपना वजन कम करने के लिए लोग तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं. कोई घर पर व्यायाम करता है तो कोई जिम जाता है, और कोई कठिन डायट करते हुए एक ही समय भोजन ग्रहण करता है.अब सवाल उठता है, क्या खाने में कटौती करने या एक समय भोजन नहीं करने से वजन कम किया जा सकता है? आखिर वजन कम करने के लिए क्या करना चाहिए? आइये जानें इस संदर्भ में एक्सपर्ट क्या कहती हैं.

आज रोजमर्रा की व्यस्ततम जिंदगी एवं प्रतिस्पर्धा की होड़ में पूरी लाइफ स्टाइल बदल गयी है. इस फास्टेस्ट लाइफ में अपने लिए वक्त निकाल पाना मुश्किल हो रहा है. असंतुलित, असंयमित एवं असमय भोजन की वजह से शरीर पर अतिरिक्त चर्बी चढ़ने लगती है. जब तक होश आता है, तब तक देर हो चुकी होती है. यहीं से शुरु होती है अतिशीघ्र वजन कम करने की प्रक्रिया.सबसे पहले खाना-पान में कटौती शुरू होती है. क्या खान-पान में कटौती ही वजन कम करने का विकल्प है? डॉ हनी जैन कहती हैं, 'अगर आप अपने नियमित भोजन में कटौती करते हैं, विशेषकर सुबह के नाश्ते में,आपको भूख लग सकती है. इस भूख को शांत करने के लिए अकसर लोग हैवी लंच ले लेते हैं, इस तरह आपके शरीर में ज्यादा कैलोरी चली जाती है, इसलिए कम खाने से बेहतर होगा कि आप कैलोरी खपाने की तरफ ध्यान दें. यहां बतला दूं कि एक बालिग एवं स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन 18 सौ से 2 हजार कैलोरी वाला भोजन ही करना चाहिए.

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लेकिन अगर कोई इससे अधिक कैलोरी वाला भोजन करता है तो उसे मैनेज करने के लिए व्यायाम अथवा दूसरी गतिविधियों में सक्रिय होना चाहिए, अगर ऐसा नहीं करते हैं तो वजन कम करना आसान नहीं होगा.' यद्यपि कुछ विशेषज्ञों की मानें तो भोजन पर नियंत्रण करके वजन कम किया जा सकता है, लेकिन इसका यह मतलब भी नहीं कि पेट को पीड़ा पहुंचाकर वजन कम किया जाये. ऐसा करना सेहत के साथ खिलवाड़ हो सकता है. अलबत्ता इस संदर्भ में 'इंटरमिटेंट फास्टिंग' एक लाभकारी प्रक्रिया हो सकती है, जो भोजन और वजन में दोनों में बेहतर संतुलन रखते हुए आपको चुस्त-दुरुस्त रख सकता है.

क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग?

इंटरमिटेंट फास्टिंग ऐसा डाइट प्लान है, जिसमें लंबे समय तक भूखे रहकर भोजन में ब्रेक लेना होता है. किस समय भोजन करना है और किस समय नहीं, यह पहले से एक चार्ट के माध्यम से तय कर लिया जाता है. कुछ लोग 12 घंटे के अंदर भोजन ले लेते हैं तो कुछ14 से 18 घंटे भोजन नहीं करते. इस फास्टिंग में ब्रेक के बाद जब भोजन लेते हैं तो इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा कम और प्रोटीन एवं फाइबर युक्त भोजन की मात्रा अधिक होना चाहिए. इस तरह आसानी से शरीर का वजन क्रमशः कम होता है. इंटरमिटेंट फास्टिंग के संदर्भ में डॉ. हनी जैन बताती हैं, -इंटरमिटेंट फास्टिंग प्रक्रिया कई तरह से की जा सकती है. पहली प्रक्रिया में 16 घंटे भोजन से दूर रहना होता है. मसलन शाम 7 बजे भोजन करने के उपरांत 16 घंटे के अंतराल यानी दिन के 11 बजे भोजन करना चाहिए. यानी यहां आपको नास्ता छोड़ना होगा. इसके बाद डिनर 8 घंटे के बाद यानी शाम 7 बजे लंच लेना चाहिए. इसकी दूसरी प्रक्रिया के तहत सप्ताह में दो दिन पेट भर खाना खाने से बचना चाहिए.

शेष 5 दिन रुटीनी भोजन करनी चाहिए. लेकिन जिन 2 दिन पेटभर भोजन से परहेज रखना है, इन दोनों दिन इतना ही भोजन करें, जिससे शरीर को 500 से 600 कैलोरी ही प्राप्त हो. तीसरी प्रक्रिया के तहत 20 घंटे खाने से परहेज रखना होता है. इन 20 घंटों में फल और लाइट प्रोटीन लिया जा सकता है. इसके बाद अगले 4 घंटे में आप हरी सब्जियां, प्रोटीन और फैट ही अधिक लेना है, लेकिन कार्बोहाइड्रेट्स तभी लिया जा सकता है, जब बहुत तेज भूख लगी हो. इसके बाद की प्रक्रिया के तहत 24 घंटे में 1 या 2 बार खाने से दूरी बनानी होती है, शेष दिन सामान्य डायट ली जा सकती है.' डॉ. हनी जैन के अनुसार वजन कम करने के लिए इसमें से किसी एक प्रोसेस को अमल में लाया जा सकता है.

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