Giloy Benefits: गिलोय (Giloy) या गुडुची (टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया) का प्रभाव हमारे शरीर पर किसी अमृत से कम नहीं. जी हां, देखने में पान के पत्तों जैसा गिलोय औषधीय गुणों से भरपूर है, इसलिए इसे आयुर्वेदिक गुणों का भण्डार भी माना जाता है. गिलोय हमें रोगों से लड़ने की क्षमता देता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण जो पाए जाते हैं. यह गुण हमें गंभीर रोगों से बचाए रखते हैं. यह हमें बैक्टीरिया, संक्रमण और लीवर की बीमारियों (Liver Related Disease) से भी बचाते हैं. केवल इतना ही नहीं यह बुखार के समय आई कमजोरी कम करने में भी मदद करता है.
गिलोय का शरीर पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं
वहीं हाल ही में मीडिया के कुछ वर्गों ने एक बार फिर गिलोय या गुडुची का लीवर की खराबी से संबंध जोड़ा है, जिसे आयुष मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है. आयुष मंत्रालय ने गिलोय को लीवर खराब होने से जोड़ने वाली रिपोर्ट को बुधवार को खारिज करते हुए कहा कि गुडुची सुरक्षित जड़ी-बूटी है और इसका शरीर पर कोई विषाक्त प्रभाव नहीं पड़ता है. गुडुची से लीवर खराब होने की बात सत्य नहीं है। मंत्रालय ने यह बात उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार कही है. यह भी पढ़ें: Benefits of Dry Fruits: रोजाना खायें ड्राय फ्रूट्स, रहें चुस्त-दुरुस्त! जानें कौन-सा ड्राय फ्रूट कब खायें और इनसे शरीर को क्या लाभ-लाभ मिलते हैं?
अध्ययन में निकला नतीजा
किए गए एक अध्ययन के अनुसार फल मक्खियों (ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर) के जीवन काल को बढ़ाने में गुडुची पाउडर की कम सांद्रता सहायक पाई गई. यह दर्शाता है कि इच्छित प्रभाव प्राप्त करने के लिए दवा की आदर्श खुराक को बरकरार रखा जाना चाहिए, इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि औषधीय जड़ी-बूटियों का योग्य चिकित्सक द्वारा निर्धारित उचित खुराक के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए, तभी उसका उचित औषधीय प्रभाव प्राप्त किया जा सकता है.
आयुर्वेद में भी माना कायाकल्प करने वाली जड़ी-बूटी
आयुर्वेद में भी गिलोय को एक सबसे अच्छी कायाकल्प करने वाली जड़ी-बूटी कहा गया है. यह सुरक्षित है और उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार लीवर पर इसका कोई जहरीला प्रभाव नहीं है. गिलोय के जलीय अर्क के तीव्र विषाक्तता अध्ययन से यह पता चलता है कि इससे शरीर पर कोई विषाक्त प्रभाव नहीं पड़ता है. बयान में आगे कहा गया कि हालांकि, किसी भी दवा की सुरक्षा इस बात पर निर्भर करती है कि उसका किस प्रकार उपयोग किया जा रहा है. दवा की खुराक एक प्रमुख कारक है, जिससे उस विशेष दवा की सुरक्षा का निर्धारण होता है.
कोरोना काल में भी गिलोय का हुआ सेवन
कोरोना संकट के दौरान लोगों ने गिलोय या गुडुची का सेवन कर जबरदस्त लाभ प्राप्त किया था. दरअसल, इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए उपयोग किए गए कई उत्पादों में से गिलोय को सबसे कारगर और बेहतर औषधि माना गया है. इस कारण कोरोना काल में इम्यूनिटी को बेहतर करने के लिहाज से लोगों ने गिलोय का सेवन किया. गिलोय हर्बल दवा स्रोतों में एक वास्तविक खजाना आयुष मंत्रालय ने कहा है कि औषधीय जड़ी बूटी का उपयोग एक योग्य डॉक्टर द्वारा निर्धारित औषधीय प्रभाव प्राप्त करने के लिए उचित खुराक में किया जाना चाहिए. मंत्रालय के अनुसार, गिलोय के कई औषधीय स्वास्थ्य लाभ हैं, क्योंकि यह विभिन्न विकारों का मुकाबला करता है। गुडुची हर्बल दवा स्रोतों में एक वास्तविक खजाना है. यह भी पढ़ें: Over Eating Problem: पेट भरने के बाद भी कोई क्यों खाता है? जानें इसका कारण और कैसे पायें इससे निजात?
गिलोय के औषधीय गुण
गिलोय के कुछ औषधीय गुण हैं जिनमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक, एंटी-हाइपरलिपिडेमिक, हेपेटोप्रोटेक्टिव, कार्डियोवस्कुलर प्रोटेक्टिव, न्यूरोप्रोटेक्टिव, ऑस्टियोप्रोटेक्टिव, रेडियोप्रोटेक्टिव, एंटी-चिंता, एडाप्टोजेनिक, एनाल्जेसिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-पायरेटिक, एंटीडायरियल, एंटी-अल्सर, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-कैंसर इत्यादि शामिल हैं. मेटाबॉलिक रोगों के उपचार में भी सहायक इसके अलावा विभिन्न मेटाबॉलिक रोगों के उपचार में इसके स्वास्थ्य लाभों और प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में इसकी क्षमता पर विशेष ध्यान दिया गया है. मानव जीवन की अपेक्षा को बेहतर बनाने में सहायता प्रदान करते हुए मेटाबॉलिक, एंडोक्राइनल और अन्य कई बीमारियों का इलाज करने के लिए गुडुची का चिकित्सा विज्ञान के एक प्रमुख घटक के रूप में उपयोग किया जाता है.इन सभी स्वास्थ्य लाभों को ध्यान में रखते हुए इस जड़ी-बूटी के जहरीला होने का दावा नहीं किया जा सकता है.