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डायबिटीज के मरीजों में आंखों से जुड़ी समस्याओं का खतरा होता है ज्यादा, अध्ययन में हुआ खुलासा

डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को आंखों से जुड़ी समस्याओं का खतरा आम लोगों की तुलना में अधिक होता है. डायबिटीज यानी मधुमेह के कारण डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (डीएमई) हो सकता है, जो रेटिना का तेजी से फैलने वाला रोग है, जिससे दृष्टिहीनता भी हो सकती है.

सेहत IANS|
डायबिटीज के मरीजों में आंखों से जुड़ी समस्याओं का खतरा होता है ज्यादा, अध्ययन में हुआ खुलासा
प्रतीकात्मक तस्वीर(File Image)

नई दिल्ली: भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसके कारण धीरे-धीरे शरीर कई अन्य बीमारियों की गिरफ्त में आ जाता है. डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को आंखों से जुड़ी समस्याओं का खतरा आम लोगों की तुलना में अधिक होता है. डायबिटीज यानी मधुमेह के कारण डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (डीएमई) हो सकता है, जो रेटिना का तेजी से फैलने वाला रोग है, जिससे दृष्टिहीनता भी हो सकती है. डायबिटीज से पीड़ित लोगों में अन्य लोगों की तुलना में दृष्टिहीन होने का जोखिम 25 प्रतिशत अधिक होता है. यह तथ्य एक शोध में सामने आया है.

डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (डीएमई) में रेटिना में तरल संचित हो जाता है. ऐसा रिसती रक्त वाहिकाओं के कारण होता है. यदि किसी व्यक्ति में डायबेटिक रेटिनोपैथी (डीआर) पाई जाती है तो उसे डीएमई हो सकता है और डीएमई डीआर का सबसे आम रूप है.

डायबिटीज से पीड़ित हर मरीज को डीआर होने का जोखिम रहता है. डीएमई के लक्षणों में धुंधला या अस्पष्ट दिखना, सीधी लाइनों का लहरदार दिखना, कॉन्ट्रैस्ट कम होना या रंग समझने की क्षमता जाना, एक दूरी से देखने में कठिनाई, दृष्टि के केंद्र में छोटा, लेकिन बढ़ता हुआ धब्बा शामिल है. यह %BC%E0%A5%80+%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%93%E0%A4%82+%E0%A4%95%E0%A4%BE+%E0%A4%96%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%BE+%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BE+%E0%A4%B9%E0%A5%88+%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%BE%2C+%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AF%E0%A4%A8+%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82+%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%86+%E0%A4%96%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%BE https%3A%2F%2Fhindi.latestly.com%2Flifestyle%2Fhealth-wellness%2Fdiabetes-patients-are-more-prone-to-eye-related-problems-72881.html',900, 600)" title="Share on Whatsapp">

सेहत IANS|
डायबिटीज के मरीजों में आंखों से जुड़ी समस्याओं का खतरा होता है ज्यादा, अध्ययन में हुआ खुलासा
प्रतीकात्मक तस्वीर(File Image)

नई दिल्ली: भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसके कारण धीरे-धीरे शरीर कई अन्य बीमारियों की गिरफ्त में आ जाता है. डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को आंखों से जुड़ी समस्याओं का खतरा आम लोगों की तुलना में अधिक होता है. डायबिटीज यानी मधुमेह के कारण डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (डीएमई) हो सकता है, जो रेटिना का तेजी से फैलने वाला रोग है, जिससे दृष्टिहीनता भी हो सकती है. डायबिटीज से पीड़ित लोगों में अन्य लोगों की तुलना में दृष्टिहीन होने का जोखिम 25 प्रतिशत अधिक होता है. यह तथ्य एक शोध में सामने आया है.

डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (डीएमई) में रेटिना में तरल संचित हो जाता है. ऐसा रिसती रक्त वाहिकाओं के कारण होता है. यदि किसी व्यक्ति में डायबेटिक रेटिनोपैथी (डीआर) पाई जाती है तो उसे डीएमई हो सकता है और डीएमई डीआर का सबसे आम रूप है.

डायबिटीज से पीड़ित हर मरीज को डीआर होने का जोखिम रहता है. डीएमई के लक्षणों में धुंधला या अस्पष्ट दिखना, सीधी लाइनों का लहरदार दिखना, कॉन्ट्रैस्ट कम होना या रंग समझने की क्षमता जाना, एक दूरी से देखने में कठिनाई, दृष्टि के केंद्र में छोटा, लेकिन बढ़ता हुआ धब्बा शामिल है. यह भी पढ़ें: डायबिटीज से बचना है तो रोजाना पीएं 3-4 कप कॉफी, इस बीमारी का खतरा भी होता है 25 फीसदी तक कम

दिल्ली आई केयर में ऑफ्थेल्मोलॉजिस्ट एवं आई सर्जन डॉ. शशांक राय गुप्ता ने बताया, "मेरे क्लीनिक में आखों की जांच के लिए आने वाले 75 प्रतिशत मधुमेह रोगियों में डायबेटिक रेटिनोपैथी की कोई न कोई अवस्था पाई जाती है. मधुमेह और डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (डीएमई) के बढ़ते मामलों को देखते हुए हमें प्रारंभिक अवस्था में रोगियों की पहचान करने के लिए मजबूत दृष्टिकोण की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि मधुमेह रोगियों को अपनी आंखों के प्रति सजग रहना चाहिए और नियमित अंतराल पर आंखों की जांच करवानी चाहिए, ताकि नेत्र रोग का पता चल सके, खासकर रेटिना के रोग का. यह भी पढ़ें: मातृत्व सुख से महरूम रह सकती हैं डायबिटीज ग्रस्त महिलाएं, मां और बच्चे के लिए बेहद खतरनाक है यह बीमारी 

बरतें ये सावधानियां-

  • मधुमेह से पीड़ित रोगियों को हर 6 महीने में ऑफ्थेल्मोलॉजिस्ट से अपनी आंखों की जांच ककानी चाहिए और  तय अपॉइंटमेंट से चूकना नहीं चाहिए.
  • रोगियों को डीएमई के लक्षणों के प्रति सचेत रहना चाहिए, जैसे धुंधला या अस्पष्ट दिखाई देना, सीधी लाइनें लहरदार दिखाई देना, रंगों के प्रति असंवेदनशीलता, केंद्रीय दृष्टि में धब्बे, आदि और दृष्टि  में परिवर्तन होने पर तुरंत विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए.

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