विश्वभर में वायु प्रदुषण का प्रकोप किस प्रकार बढ़ रहा है इसका अनुमान हाल ही में हुए अध्ययन से लगाया जा सकता है. नए अध्यन में कई चौकाने वाले तथ्य उजागर हुए है. स्टेट ऑफ ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की करीब 95% आबादी प्रदुषित हवा में साँस लेने के लिए मजबूर है.
अमेरिका में हैल्थ इफैक्ट्स इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने उपग्रह से प्राप्त नए डेटा का अध्ययन करने के बाद पाया की पूरी दुनिया में हर तीन में से एक व्यक्ति असुरक्षित हवा में साँस ले रहा है. इसके साथ ही रिपोर्ट में एक और बात निकल कर सामने आई है की प्रदुषण का सबसे बुरा परिणाम गरीब जनता पर पड़ रहा है.
काल के मुख में समा गए 61 लाख लोग
स्टेट ऑफ ग्लोबल रिपोर्ट बताती है कि 2016 में वायु प्रदूषण ने दुनियाभर में तकरीबन 61 लाख लोगों की जिंदगिया छीन ली है. इसके साथ ही वर्ष 2016 में लगभग 2.6 अरब लोग ठोस ईंधन से होनेवाली प्रदुषण की चपेट में आये.
इसके आलावा रिपोर्ट ने कई देशो के लिए खतरे की घंटी भी बजायी है. अध्यन में चौकाने वाली बात यह भी निकल कर आई है की वायु प्रदुषण का प्रकोप सबसे जादा भारत और उसके पडोसी चीन पर बरपा है. और यही वजह है की दुनियाभर में प्रदुषण की वजह से होने वाली कुल मौतों में से करीब आधी संख्या भारत और चीन के लोगो की है.
गांवों में भी रहना सुरक्षित नहीं
अगर आप सोच रहे है की शहरो के मुकाबले गावं में रहनेवाले लोग प्रदुषित हवा की मार से बच रहे है तो जरा ठहरिये, क्योकि नए अध्यन के मुताबिक शहरों में रहने वाले अरबों लोगों की तर्ज पर ही ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग ठोस ईंधन जलाए जाने के कारण घर के भीतर ही वायु प्रदूषण का सामना करते हैं. भारत में प्रदूषण से होने वाली 267,700 मौतें (लगभग 25 फीसदी) घरों के भीतर उत्पन्न होनेवाले वायु प्रदूषण की बदौलत होती है. जिसमें मुख्य वजह घरों में खाना बनाने हेतु लकड़ी और कोयला को जलावन के तौर पर इस्तेमाल करना बताया गया है.
सबसे आगे भारत, चीन
भारत और चीन में घरेलू वायु प्रदूषण का सामना करने वालों की संख्या भी सबसे ज्यादा रही. भारत में पीएम 2.5 की कुल मात्रा के 24 फीसदी हिस्से के लिए घरों में इस्तेमाल होने वाले जैव ईंधन को जिम्मेदार बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार चीन में यह आंकड़ा 20 फीसदी है.
क्या है शुद्ध हवा के मानक
डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मानकों के अनुसार पीएम 2.5 सूक्ष्म कणों की वायु में मौजूदगी 10 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. आपको बता दें की दुनियाभर में वायु प्रदूषण ही मृत्यु का चौथा सबसे बड़ा कारण बन गया है. आज के इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लगातार जहरीली हवा के संपर्क में आने से दिल के दौरे, स्ट्रोक, फेफड़ों की बीमारी, कैंसर और सांस संबंधी बीमारियां होने का खतरा कई गुना बढ़ गया है.
वायु प्रदूषण से कैसे बचें
आप खुद को घर और आफिस दोनों जगहों पर वायु प्रदूषण से होने वाली परेशानियों से बचा सकते हैं
-प्रदूषण से बचने के लिए चेहरे पर एंटी पॉल्यूशन मास्क का इस्तेमाल करें
-सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करें
-अपने घरों के आस-पास पेड़-पौधें लगाये
-जहरीली गैसों को कम करने के लिए कुछ पौधे बेहद काम आ सकते हैं. इन पौधों को एयर फिल्टरिंग प्लांट भी कहा जाता है. भारत में इस तरह के पौधों में एलो वेरा, लिली, स्नेक प्लांट (नाग पौधा), पाइन प्लांट (देवदार का पौधा) मनी प्लांट,अरीका पाम और इंग्लिश आइवी
-अपनी डाइट में ऐसे आहार शामिल करने की जरूरत है जो हमें प्रदूषण से बचाए रखेंगे क्योंकि --प्राकृतिक एंटी-ऑक्सिडेंट आहार इस खतरनाक प्रदूषण से लड़ने में मददगार साबित होते है विटामिन सी, ई, बीटा कैरोटिन व ओमेगा 3 फैट हमारे इम्युन सिस्टम को मजबूत करती हैं
-कूड़ा कर्कट को जलाएं नहीं
-सफाई के लिए झाड़ू की बजाए गीले पौंछे का इस्तेमाल करें ताकि धूल मिट्टी उड़ेगी नहीं
-धुल वाली जगहों पर पानी का हल्का छिड़काव करे ताकि धूल-मिट्टी ना उड़े