किसी भी हिंदू के लिए नवरात्रि आस्था और निष्ठा का पर्व होता है. शारदीय नवरात्रि पर नौ दिन उपवास के साथ माँ दुर्गा की नौ शक्तियों की पूजा अर्चना का विधान है. मान्यतानुसार इस पर्व के दरम्यान नौ दिनों तक लोग बिस्तर के बजाय जमीन पर सोते हैं, चप्पल अथवा जूते त्याग कर नंगे पैर रहते हैं. कुछ लोग मन्नत लेने के कारण नंगे पैर मीलों तक मंदिर की परिक्रमा भी करते हैं. चूंकि यह आस्था का विषय है, अतः इसका कोई विकल्प नहीं है, और श्रद्धालुओं का मानना है कि माँ दुर्गा की आराधना से उनमें शक्ति आ जाती है. हालांकि यह आसान नहीं है. लेकिन इस संदर्भ में वैज्ञानिक नजरिया चौंकाने वाला है. उनके अनुसार नंगे पांव चलने से कुछ समस्याएं आ सकती हैं, लेकिन इसके फायदे ज्यादा हैं. आइये जानें नंगे पांव चलना स्वास्थ्य के लिए किस तरह लाभकारी हो सकते हैं अथवा कितने नुकसानदेह हैं.
सबसे पहले बात लाभ की
* सर्वप्रथम बता दें कि आस्था के तहत नंगे पांव चलने से मानसिक रूप से बड़ी शांति मिलती है. जिसके कारण तनाव, डिप्रेशन, मानसिक अवसाद आपके सामने नहीं फटकता.
* शारदीय नवरात्रि का आगमन वर्षा ऋतु की विदाई और और शीत ऋतु के आगमन के मध्य होता है. यानी इस समय न अधिक सर्दी होती है ना अधिक गर्मी. धूप थोड़ी गर्म होती है. आप जब नंगे पांव चलते हैं तो संपूर्ण शरीर को प्रचुर मात्रा में विटामिन डी प्राप्त होता है.
* इन दिनों बहुत से श्रद्धालु नौ दिन उपवास भी रखते हैं, जिसकी वजह से पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा नहीं मिलती. उपवास की स्थिति में जमीन पर नंगे पांव चलने से पैरों के निचले उन हिस्सों पर दबाव पड़ता है, जिसकी वजह से फेफड़े, पेट, किडनी एवं अन्य आंतरिक अंग उत्तेजित होते हैं. इसे एक्यूप्रेशर पद्धति कहते हैं.
* जमीन पर नंगे पैर चलने से मांसपेशियां सक्रिय होती हैं, और जब मांसपेशियां सक्रिय होती हैं, तो शरीर के अन्य अंग भी सुचारू रूप से कार्य करते हैं. जूते-चप्पल पहनकर चलने से आप ये लाभ नहीं उठा पाते.
* नंगे पांव चलने से चूंकि आपके पाँव खुली हवा के संपर्क में रहते हैं, इससे पैरों को भरपूर ऑक्सीजन प्राप्त होता रहता है, जिससे आपका रक्त संचार सुचारू रहता है.
* नवरात्रि के दरम्यान नंगे पैर चलने से शरीर की सर्कैडियन लय स्थिर रहती है, जिसके कारण पर्याप्त नींद आती है. हमारे ऋषि-मुनियों के बारे में भी कहा जाता है कि नंगे पांव चलने से वे अच्छी नींद सोते थे.
* नंगे पैरों चलने से रक्त संचार सुचारू रहता है. जिससे हृदय स्वस्थ रहता है, लंग्स भी सक्रिय रहता है.
अब बात करेंगे नुकसान की
* नंगे पैर चलने से पैरों में छाले अथवा चोट आदि की संभावनाएं ज्यादा होती हैं.
* नंगे पैरों पैदल चलने से पैरों में किलोसिटी (Callosity) जिसे हिंदी में गट्टे कहते हैं, पड़ जाते हैं, जो आंतरिक रूप से तो नुकसान नहीं पहुंचाते, मगर देखने में बुरे लगते हैं.
* नवरात्रि में लगातार नौ दिनों तक पैदल चलने से पैरों में तमाम किस्म के संक्रमण की संभावना रहती है.
* नंगे पैरों चलने से थोड़ी सी असावधानी होते ही किसी नुकीली चीज कांच, कील आदि चुभ सकते हैं, जो खतरनाक भी साबित हो सकते हैं.