नई दिल्ली, 25 अगस्त : भारत एक ऐसा देश है, जहां त्योहारों का मतलब भावनाओं, परंपराओं और रिश्तों की मिठास से भरा होता हैं. यहां हर पर्व की अपनी एक कहानी है. ऐसा ही एक खास पर्व है हरतालिका तीज, जिसे विशेष रूप से महिलाओं का त्योहार माना जाता है. इस दिन महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं और अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य, लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन की कामना करती हैं. वहीं अविवाहित लड़कियां इस व्रत को एक मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए करती हैं. इस बार हरतालिका तीज बेहद खास संयोग लेकर आ रहा है. इस बार पर्व पर चार शुभ और दुर्लभ योग बन रहे हैं.
हरतालिका तीज, जिसे गौरी तृतीया भी कहा जाता है, भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की पौराणिक कथा से जुड़ा है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र के लिए और अविवाहित कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति की कामना से व्रत रखती हैं. व्रत बेहद कठिन होता है क्योंकि इसमें दिनभर निर्जला उपवास किया जाता है, यानी बिना अन्न और जल के पूरी भक्ति से पूजा होती है. इस साल यह पर्व 26 अगस्त, मंगलवार को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 25 अगस्त को सुबह 11 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर 26 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि यानी जिस तिथि का सूर्योदय के समय प्रभाव हो, उसी दिन व्रत करना शास्त्रों में मान्य है, इसलिए व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा. उपवास समाप्त करने की प्रक्रिया 27 अगस्त को चतुर्थी तिथि में सूर्योदय के बाद होगी. यह भी पढ़ें : Rabi ul Awal 2025 Mubarak Wishes: रबी-उल-अव्वल के इन हिंदी Quotes, WhatsApp Messages, Facebook Greetings को भेजकर प्रियजनों को दें मुबारकबाद
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, इस बार संयोगों के कारण यह तीज व्रत न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण रहेगा, बल्कि ज्योतिष के लिहाज से भी अत्यंत फलदायक माना जा रहा है. मान्यता है कि जब व्रत ऐसे योगों में किया जाए, तो उसका प्रभाव और पुण्य कई गुना बढ़ जाता है. अब बात करें इन चार शुभ योगों की, तो पहला योग सर्वार्थ सिद्धि योग है, जो हर कार्य को सफल बनाने वाला माना जाता है. यह योग जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर इच्छित फल देता है दूसरा है शोभन योग, जिसे हर प्रकार के शुभ कामों के लिए आदर्श माना गया है. यह योग व्रत, पूजा, विवाह, और गृह प्रवेश जैसे धार्मिक कार्यों के लिए उत्तम होता है.
तीसरा है गजकेसरी योग, जिसे ज्योतिष में अत्यंत प्रभावशाली योग माना गया है. यह योग चंद्रमा और गुरु की युति से बनता है और बुद्धि, प्रतिष्ठा, सौभाग्य और सम्मान बढ़ाता है. चौथा और सबसे प्रभावशाली योग है पंचमहापुरुष योग, जो ग्रहों के विशेष स्थान पर होने से बनता है. यह योग साधक को उच्च स्थान, दीर्घायु और विशेष फल देता है. तीज के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं. फिर घर के पवित्र स्थान पर मिट्टी, चांदी या पीतल की शिव-पार्वती प्रतिमा की स्थापना की जाती है. इसके बाद भगवान गणेश के साथ पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है. पूजन में बेलपत्र, धूप, दीप, फूल, मिष्ठान्न, फल, और ऋतुफल अर्पित किए जाते हैं. पूजा के बाद हरतालिका व्रत कथा का श्रवण अनिवार्य माना गया है. इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित होता है. यदि अनजाने में चंद्रमा का दर्शन हो जाए तो स्वमंतक मणि की कथा सुनना आवश्यक बताया गया है. रात भर महिलाएं जागरण करती हैं, भजन-कीर्तन होता है.












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