Gopashtami 2019: क्यों मानते हैं गाय को माता! जानें गोपाष्टमी की परंपरा, पूजा विधि, कथा एवं मुहूर्त!
कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाने वाला गोपाष्टमी हिंदू धर्म का विशेष पर्व माना जाता है. कहा जाता है कि कार्तिक शुक्लपक्ष, प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक भगवान श्रीकृष्ण ने गाय, गोप एवं गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था.
Gopashtami 2019: कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाने वाला गोपाष्टमी हिंदू धर्म का विशेष पर्व माना जाता है. कहा जाता है कि कार्तिक शुक्लपक्ष, प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक भगवान श्रीकृष्ण ने गाय, गोप एवं गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था. गाय की रक्षा करने के कारण ही श्रीकृष्ण भगवान को गोविंद के नाम से भी पुकारा जाता है. इसके बाद से ही कार्तिक मास की अष्टमी को गोपाष्टमी का पर्व मनाने की परंपरा प्रारंभ हुई. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष यानी 4 नवंबर को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा.
हिंदू धर्म में गाय का महात्म्य
सनातन धर्म में संस्कृति में गाय को विशेष स्थान प्राप्त है. माना जाता है कि गोपाष्टमी पर गायों की पूजा करना भगवान श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय था. इनमें सभी देवताओं का वास माना जाता है. हिंदू धर्म में गाय को माँ का दर्जा प्राप्त है. क्योंकि माँ जैसा कोमल ह्रदय गाय का भी होता है. जिस तरह हर अच्छे बुरे समय में माँ बच्चों को सुख एवं सुरक्षा देती है, वैसे ही गाय भी मानव जाति को लाभ प्रदान करती हैं. गोपाष्टमी के दिन मथुरा एवं गोकुल समेत कई जगहों पर गायों के साथ प्रभातफेरी एवं सत्संग एवं अन्नकूट भंडारे का आयोजन किया जाता है. माना जाता है कि गो-सेवा से जीवन धन्य हो जाता है तथा मनुष्य सदैव सुखी रहता है.
गोपाष्टमी के पावन पर्व के दिन गौशाला में गो-संवर्धन हेतु गौ-पूजन का आयोजन किया जाता है. गाय के इस पूजन में परिवार का हर सदस्य उपस्थित होकर गाय की पूजा-अर्चना करता है. गाय की पूजा विधि-विधान से हो, इसके लिए विद्वान पंडितों को आमंत्रित किया जाता है. इनके द्वारा पूजा में उपस्थित सभी लोगों को गौ-माता के वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक महत्व को समझाते हुए गौ-रक्षा व गौ संवर्धन का संकल्प दिलाया जाता है. इसके पश्चात पूजा में उपस्थित सभी को प्रसाद वितरित किया जाता है.
गोपाष्टमी की पौराणिक कथा
किंवदंतियों के अनुसार एक बार बाल कृष्ण ने माँ यशोदा से गाय चराने जाने की अनुमति मांगी. बाल कृष्ण की इस इच्छा को देखते हुए माता यशोदा ने शांडिल्य ऋषि से सुझाव लेकर गाय चराने के लिए एक अच्छा मुहूर्त निकलवाया, कहा जाता है कि वह तिथि आज मनाई जानेवाली गोपाष्टमी यानी कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी ही थी. शांडिल्य ऋषि के दिशा निर्देश पर श्रीकृष्ण ने उपरोक्त मुहूर्त पर गाय की पूजा कर उसे साष्टांग प्रणाम करने के बाद गायों को चराने के लिए वन की ओर प्रस्थान किया.
गोपाष्टमी 4 नवंबर 2019 शुभ मुहूर्त
गोपाष्टमी तिथि प्रारंभः प्रातः 02:56 बजे (04 नवंबर 2019)
अष्टमी तिथि समाप्तः प्रातः 04:57 बजे (05 नवम्बर 2019)
हिंदू धर्म शास्त्रों में गोपाष्टमी पर गायों की विशेष पूजा का विधान है. कार्तिक माह की शुक्लपक्ष की अष्टमी के दिन प्रात:काल गौशाला में जाकर गौओं को स्नान कराकर, उन्हें सुसज्जित किया जाता है. उन पर इत्र एवं पुष्प का छिड़काव कर उनके समक्ष दीप प्रज्जवलित कर तिलक लगाते हैं, एवं गुड़, केला, लडडू, फूल माला एवं गंगाजल अर्पित करते हैं. उन्हें हरा चारा एवं गुड़ खिलाते हुए सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. मान्यता है कि इस दिन गायों को लेकर किसी हरे-भरे चारागाह में ले जाते हैं. ऐसा करने से व्यक्ति विशेष की हर क्षेत्र में तरक्की होती है. वह जिंदगी में सुख, शांति एवं ऐश्वर्य को प्राप्त करता है. इस दिन गायों को भोजन कराने का विधान भी है. कहा जाता है कि इस दिन गाय के चरणों पर मस्तक को स्पर्श करने से सौभाग्य की वृध्दि होती है.