Ganesh Chaturthi 2024: मिट्टी ही नहीं, इन चीजों से बनी गणेश-प्रतिमा की करें पूजा! पर्यावरण-सुरक्षा के साथ पुण्यदायी भी होंगे साबित!
गणेशोत्सव को अभी एक सप्ताह शेष हैं, लेकिन घरों से लेकर गणेश मंडपों तक गणेशोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. महाराष्ट्र के विभिन्न गणेश मंडपों पर भव्यतम सेट तो एक माह पूर्व ही बनना शुरू हो गये हैं. हम बात करेंगे घरों में पधारने वाले बप्पा की प्रतिमा के बारे में.
गणेशोत्सव को अभी एक सप्ताह शेष हैं, लेकिन घरों से लेकर गणेश मंडपों तक गणेशोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. महाराष्ट्र के विभिन्न गणेश मंडपों पर भव्यतम सेट तो एक माह पूर्व ही बनना शुरू हो गये हैं. हम बात करेंगे घरों में पधारने वाले बप्पा की प्रतिमा के बारे में. पर्यावरण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अधिकांश घरों में मिट्टी की प्रतिमाएं लाई जाती हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों से गणेश भक्तों को मिट्टी की प्रतिमा के अलावा दूसरे भी विकल्प मिल रहे हैं, जिन्हें सहजता से बगीचे में ड्रम अथवा बड़े टबों में श्रद्धावंत विसर्जित किया जा सकता है. आइये जानते हैं इस संदर्भ में कुछ रोचक जानकारियां.
प्रतिमा के निर्माण में नकारात्मक वस्तुओं का उपयोग वर्जित है.
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश उत्सव शुरू होगा, जो 10वें दिन यानी अनंत चतुर्दशी को गणपति विसर्जन के साथ खत्म हो जाएगा. हालांकि कुछ लोग डेढ़ दिन, तीसरे दिन, पांचवें और सातवें दिन भी गणपति बप्पा की विदाई करते हैं. इस वर्ष गणेश उत्सव 07 सितंबर 2024, से शुरू होगा. जहां तक प्रतिमाओं की बात है, तो पिछले कुछ सालों से सब्जी एवं फलों के बीजों से युक्त मिट्टी की प्रतिमा की पूजा हुई, चॉकलेट की प्रतिमाएं भी पूजी गई हैं. बता दें कि घरों के लिए गणेश प्रतिमा के निर्माण में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि प्रतिमा ऐसी वस्तु से नहीं निर्मित हो, जिससे नकारात्मकता का उजास हो. इससे पूजा का प्रतिफल तो नहीं मिलता, उल्टा गणपति बप्पा रुष्ठ होते हैं और लाभ के बजाए नुकसान हो सकता है. यह भी पढ़ें : Ganesh Chaturthi 2024 Sanskrit Messages: शुभ गणेश चतुर्थी! इन संस्कृत Shlokas, WhatsApp Wishes, Facebook Greetings के जरिए दें बधाई
हल्दी निर्मित गणेश प्रतिमा
हल्दी शुभता का प्रतीक होता है, इसलिए हर शुभ कार्यों में हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है. इसे दो तरह से घर पर ही बनाया जा सकता है, पहला हल्दी को पीस कर पानी में गूंथ का गणेश जी की प्रतिमा बनाएं. हल्दी से बनी प्रतिमा का विसर्जन घर के बगीचे में एक टब में किया जा सकता है, बाद में टब का पानी पेड़ों में डाला जा सकता है, इससे पौधों में कीड़े नहीं लगते. इसके अलावा गांठ वाली हल्दी की सेटिंग करके भी गणेश जी की प्रतिमा का रूप दिया जा सकता है.
लकड़ी की प्रतिमा
गणपति बप्पा की मिट्टी की प्रतिमा की जगह काष्ठ अर्थात लकड़ी से निर्मित भी हो सकती है. लेकिन यह प्रतिमा आम, नीम अथवा पीपल की लकड़ी से बनी होनी चाहिए. लकड़ी की प्रतिमा घर के मुख्य द्वारा से जुड़े कमरे या हॉल में रखनी चाहिए, इससे घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करतीं.
गोबर से बनी प्रतिमाएं
इस अवसर पर गाय के गोबर से बनी गणेश जी की प्रतिमा भी स्थापित कर पूजा की जा सकती है, यह पर्यावरण को तो बढ़ावा देती ही हैं, साथ ही शुभता का भी प्रतीक होती हैं, जिसके तहत जातक को आर्थिक लाभ भी प्राप्त हो सकता है. लेकिन ध्यान रहे केवल गोबर गाय की ही हो, भैंस की नहीं.