Gaj Lakshmi Ashtami 2021: कब है गज लक्ष्मी अष्टमी का व्रत? इस विधि से करेंगे पूजा तो दूर होंगे आर्थिक संकट!

पितृ पक्ष की अष्टमी के दिन माँ लक्ष्मी के गज-स्वरूप की पूजा का विधान है. कुछ स्थानों पर इसे गज अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. महालक्ष्मी का व्रत राधा-अष्टमी के दिन से शुरु होकर 16वें दिन आश्विन मास की अष्टमी को समापन किया जाता है. इस दिन विधि-विधान से लक्ष्मीजी एवं उनकी सवारी की पूजा की जाती है.

देवी लक्ष्मी (Photo Credits: File Images)

पितृ पक्ष की अष्टमी के दिन माँ लक्ष्मी के गज-स्वरूप की पूजा का विधान है. कुछ स्थानों पर इसे गज अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. महालक्ष्मी का व्रत राधा-अष्टमी के दिन से शुरु होकर 16वें दिन आश्विन मास की अष्टमी को समापन किया जाता है. इस दिन विधि-विधान से लक्ष्मीजी एवं उनकी सवारी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से धन-धान्य के साथ-साथ सुख एवं शांति की प्राप्ति होती है. इस वर्ष गज लक्ष्मी अष्टमी का व्रत 29 सितंबर दिन बुधवार 2021 को रखा जायेगा. जानें गज लक्ष्मी की पूजा विधि एवं इसका महत्व क्या है.

कौन हैं गज लक्ष्मी?

धर्म ग्रंथों के अनुसार गज लक्ष्मी वस्तुतः अष्ट लक्ष्मी का एक स्वरूप है, जिनकी शास्त्रार्थ विधि से पूजा करने से जीवन धन और ऐश्वर्य से महक उठती है. गज लक्ष्मी का व्रत पूरे पितृपक्ष का एकमात्र ऐसा दिन होता है, जब आप पितृ-पक्ष के तमाम मिथकों को भूलकर स्वर्ण, संपत्ति एवं अन्य महंगी वस्तुएं खरीद सकते हैं.

ऐसे करें गज लक्ष्मी की पूजा

सनातन धर्म के अनुसार आश्विन मास की अष्टमी को देवी लक्ष्मी की सवारी गज यानी हाथी की भी पूजा-अर्चना की जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन मिट्टी या चांदी की हाथी की पूजा की जाती है. अष्टमी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान कर माँ लक्ष्मी के गज स्वरूप की पूजा की जाती है. शुभ मुहूर्त के अनुसार पूरे दिन व्रत रखते हुए शाम के समय लक्ष्मी-पूजा करना श्रेयस्कर माना जाता है. पूजा से पूर्व पूजा के मंदिर के सामने आटे एवं हल्दी से चौकोर स्थान बनाकर इस पर कलश स्थापित करें. कलश के पास देवी लक्ष्मी और हाथी की मूर्ति स्थापित कर इन पर गंगाजल का छिड़काव करें. माता लक्ष्मी के सामने स्वर्ण की कोई एक वस्तु अवश्य रखनी चाहिए. अब लक्ष्मीजी के सामने धूप-दीप प्रज्जवलित करें. अब धूप, अक्षत, दूब, रोली, दीपक, नैवेद्य अर्पित करें, इसके बाद माता लक्ष्मी का स्तुति गान करें और इस मंत्र 'ऊँ नमो नारायणाय’ का 108 बार जाप करें. अंत में माता लक्ष्मी की आरती उतारें. लक्ष्मी पूजन के बाद केले के पत्ते पर दूध की खीर मां की सवारी हाथी को अर्पित करने के बाद चंद्रमा को भोग लगाएं. इसके बाद इस भोग को अगले दिन किसी ब्राह्मण को दें. ऐसा करने से धन का संकट दूर होता है और ऐश्वर्य के योग बनते हैं. चांदी की हाथी को तिजोरी में रख दें.

गज लक्ष्मी व्रत की तिथि एवं मुहूर्त.

अष्टमी प्रारंभः 06.07 PM (28 सितंबर 2021) से

अष्टमी समाप्तः 08.29 PM (29 सितंबर 2021) तक

उदय तिथि के नियमानुसार अष्टमी तिथि 29 सितंबर को ही मानी जाएगी. इसलिए 29 सितंबर 2021 को गज लक्ष्मी का व्रत रखना ज्यादा शुभ रहेगा.

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