World Post Day 2023: कब और कैसे शुरू हुआ विश्व डाक दिवस? जानें डाक के बारे में कुछ रोचक प्रसंग!
विश्व डाक दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में लोगों के दैनिक जीवन व्यापार, सामाजिक और आर्थिक विकास में डाक विभाग की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. यह दिवस लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी में डाक सेवा के क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है.
चिट्ठी, पार्सल अथवा कोई भी विशिष्ठ वस्तु एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने में डाक विभाग की अहम भूमिका होती है. यह व्यक्ति विशेष के संवादों का लिखित रूप में आदान-प्रदान करता है. डाकघर का प्राथमिक कार्य पत्रों, धनराशि एवं पार्सल का संग्रह, प्रोसेसिंग, प्रसारण और वितरण इत्यादि है. डाकघर उन लोगों को लिखित संवाद करने में मदद करता है, जो लंबी दूरी पर हैं. यद्यपि बदलते दौर में सोशल मीडिया के जरिये भी ये कार्य निपटाए जा रहे हैं, लेकिन डाक की अहमियत को आज भी नकारा नहीं जा सकता. आज विश्व डाक दिवस 9 अक्टूबर के अवसर पर हम बात करेंगे, इसके महत्व, इतिहास एवं इससे जुड़े कुछ रोचक प्रसंगों के बारे में.
विश्व डाक दिवस का इतिहास
1840 में चिट्ठी एवं अन्य वस्तुओं को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए विशेष प्रणाली की शुरुआत इंग्लैंड के सर रॉलैंड द्वारा की गई थी, इसका पूर्व भुगतान (prepaid) करना पड़ता था. इसके तहत तमाम सेवाओं के लिए भिन्न-भिन्न श्रेणियां निर्धारित की गई थी, जिससे वजन के अनुसार पूर्व निर्धारित राशि वसूली जाती थी. Surya Grahan 2023: कब है साल का आखिरी सूर्य ग्रहण? जानें सूतक काल, टाइमिंग और इस खगोलीय घटना से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
भुगतान को सरल बनाने के लिए सर रॉलैंड ने ही दुनिया का पहला डाक टिकट भी प्रस्तुत किया था, लेकिन जहां तक विश्व डाक दिवस की शुरुआत की बात है तो 9 अक्टूबर 1969 में कांग्रेस द्वारा टोक्यो (जापान) में 151 देशों की उपस्थिति में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) कांग्रेस द्वारा विश्व डाक दिवस के रूप में घोषित किया. इस आयोजन में 151 देश शामिल हुए थे. साल 1874 में बर्न (स्विट्जरलैंड) में 9 अक्टूबर से नियमित रूप से विश्व डाक दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई.
विश्व डाक दिवस का महत्व
विश्व डाक दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में लोगों के दैनिक जीवन व्यापार, सामाजिक और आर्थिक विकास में डाक विभाग की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. यह दिवस लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी में डाक सेवा के क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है. सामाजिक एवं आर्थिक विकास में डाक सेवा के क्षेत्र के योगदान की अहम भूमिका को ध्यान में रखकर विश्व डाक दिवस मनाया जाता है. इस दिवस से युवाओं को जोड़ने के उद्देश्य से यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन युवाओं के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन भी करता है.
विश्व डाक दिवस के बारे में रोचक तथ्य!
* भारत में सर्वप्रथम शेरशाह सूरी बंगाल और सिंध के बीच घोड़ों के माध्यम से डाक सेवा की शुरुआत की थी.
* साल 1766 में रॉबर्ट क्लाइव ने एक नियमित डाक प्रणाली की स्थापना की.
* डाक सेवा में वास्तुशिल्प मूल्य वाली 38 विरासत इमारते हैं, जिनमें क्रमशः कोलकाता एवं मुंबई में जीपीओ शामिल है.
* डाकघर की सभी बचत योजनाओं के तहत अनुमानित बकाया राशि 6 करोड़ से अधिक है, इसमें खाताधारकों की अनुमानित संख्या 33.03 करोड़ से अधिक है.
* बदलते दौर के साथ डाक व्यवस्था में भी नई तकनीक जोड़े गये हैं, जिसके तहत डाक विभाग ने सामान की सुरक्षित और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए मेल वैन में जीपीएस डिवाइस लगाये गये हैं.