World Milk Day 2020: वर्ल्ड मिल्क डे विशेष - वायरस से लड़ने में दूध करेगा मदद, सबके लिए एक ग्लास दूध है जरूरी

दूध एक ऐसी खाद्य वस्तु जो दुनिया के लगभग सभी देशों में उपलब्ध है. आज दूध से निर्मित न सिर्फ दही, धी और पनीर के अलावा कई और खाद्य पदार्थ दुनिया भर में मौजूद हैं. दूध और उससे बने उत्पाद की महत्ता के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए ही हर साल 1 जून को विश्व दूध दिवस मनाया जाता है

वर्ल्ड मिल्क डे (Photo Credits: File Image)

World Milk Day 2020:  दूध एक ऐसी खाद्य वस्तु जो दुनिया के लगभग सभी देशों में उपलब्ध है. आज दूध से निर्मित न सिर्फ दही, धी और पनीर के अलावा कई और खाद्य पदार्थ दुनिया भर में मौजूद हैं. दूध और उससे बने उत्पाद की महत्ता के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए ही हर साल 1 जून को विश्व दूध दिवस मनाया जाता . इस बार विश्व दूध दिवस यानी वर्ल्ड मिल्क डे की 20वीं वर्षगांठ है. मालूम हो कि साल 2001 में पहला विश्व दुग्ध दिवस आयोजित किया गया। दुनियाभर के कई देश इसमें हिस्सा लेते हैं और हर साल संख्या बढ़ती ही जा रही है.

एक जून ही क्यों चुना गया ?

विश्व दूध दिवस पहली बार साल 2001 में एफएओ (संयुक्त राष्ट्र का खाद्य और कृषि संगठन) द्वारा स्थापित किया गया था। दुनियाभर के कई देश इसी तिथि के आसपास राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाते थे, इसलिए 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस के लिए चुना गया. एफएओ की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, "दुग्ध दिवस एक दिन दूध पर ध्यान केंद्रित करने, दूध और दुग्ध उद्योग से जुड़ी गतिविधियों को प्रचारित करने का अवसर प्रदान करता है.दूध को वैश्विक भोजन के रूप में मान्यता देते हुए कई देश 1 जून को ही विश्व दुग्ध दिवस मनाते हैं। एफएओ की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में 72 देशों में 586 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। विश्व दुग्ध दिवस दुग्ध उद्योग से जुड़ी गतिविधियों को सार्वजनिक करने में बेहतर और प्रभावी काम करता है. मालूम हो कि भारत में 26 नवंबर को दुग्ध दिवस मनाया जाता है. यह भी पढ़े: कोरोना संकट: दूध दूरंतो से अन्नपूर्णा एक्सप्रेस तक, लॉकडाउन में भारतीय रेलवे ने पूरे देश में संभाली कमान

विश्व दुग्ध दिवस का उद्देश्य

दुनियाभर में दूध के महत्व के बारे में आम लोगों के बीच विश्व दुग्ध दिवस एक असरदार क्रांति लाया है. अंतरराष्ट्रीय डेयरी संघ भी ढेर सारे विज्ञापन संबंधी क्रिया-कलापों के तहत एक स्वस्थ और नियंत्रित भोजन के रूप में दूध के महत्व को बताने की शुरुआत की है. दूध शरीर के लिए जरूरी सभी पोषक तत्वों का एक बहुत अच्छा स्रोत है, जिसमें कैल्सियम, मैग्नीशियम, जिंक, फॉसफोरस, आयोडीन, आयरन, पोटैशियम, फोलेट्स, विटामिन ए, विटामिन डी, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी12, प्रोटीन, फैट आदि मौजूद होता है.

ये बहुत ही ऊर्जायुक्त आहार होता है, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है। इसमें उच्च गुणवत्ता के प्रोटीन समेत आवश्यक और गैर-आवश्यक अमीनो एसिड और फैटी एसिड मौजूद होता है. दूध की महत्ता लोगों को समझाने के लिये विश्व दुग्ध दिवस उत्सव बड़ी जनसंख्या पर असर डालता है.

दूध क्यों है जरूरी

दूध का हर किसी के दैनिक जीवन में खास महत्व है. यह प्रोटीन और पोषक तत्वों से भरा है, जो जीवन के सभी चरणों में विकास के लिए आवश्यक है. हर व्यक्ति के लिए दिन में कम से कम एक वक्त दूध जरूरी बताया गया है.  इस वक्त कोरोना वायरस की वजह से लोगों को इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सलाह दी जा रही है. यह एक सिद्ध तथ्य है कि प्रतिदिन एक गिलास दूध पीने से हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यूनिटी में सुधार होता है और यह बीमारियों को दूर रखता है.  इसके अलावा दूध में हल्दी डालकर पीने से भी शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है। विदेशों में हल्दी वाला दूध गोल्डन मिल्क के नाम काफी प्रचलित है.  गौरतलब है कि सादा दूध नहीं पीने के बदले आप दही, पनीर, मक्खन, आइसक्रीम, पनीर या फ्लेवर्ड मिल्क के तौर पर अन्य तरीके से इसको अपने आहार में शामिल कर सकते हैं.

भारत में दुग्ध दिवस

2014 में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB), इंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) नऔर 22 राज्य स्तर के दुग्ध संघों ने मिलकर 26 नवंबर को दूध उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाले डॉ वर्गीज कुरियन का जन्मदिन मनाने का फैसला किया.  पहला राष्ट्रीय दुग्ध दिवस 26 नवंबर, 2014 को मनाया गया और तब से हर साल 26 नवंबर को भारत में दुग्ध दिवस मनाया जाता है. कभी दूध की कमी से जूझने वाले देश को दुनिया का सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला देश बनाने में डॉ वर्गीज कुरियन ने अहम भूमिका निभाई.  साल 1970 में भारत में ऑपरेशन फल्ड नाम से एक अभियान चलाया गया था, जो कि आगे चलकर श्वेत क्रांति के रूप में जाना गया.

वर्गीज कुरियन इस क्रांति के जनक थे.

भारत में दूध का उत्पादन

भारत को दुनिया में सबसे बड़े दूध उत्पादक के रूप में जाना जाता है, खासकर भैंस के दूध का. मालूम हो कि भारतीय बाजार में दूध की अन्य किस्मों, जैसे गाय का दूध, बकरी का दूध और ऊंट का दूध भी उपलब्ध है, जिसका हर दिन भारी मात्रा में सेवन किया जाता है.  वित्तिय वर्ष 2020-21 में भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता को 53.5 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़ाकर 108 मिलियन माउंट करने की सुविधा प्रदान की है। भारत में दूध उत्पादन पिछले 5 वर्षों के दौरान 6.4% बढ़ा है और 2014-15 में 146.3 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर 2018-19 में 187.7 मिलियन मीट्रिक टन हो गया है.

लॉकडाउन की स्थिति में भारत में दूध की खपत

कोरोना वायरस की वजह से विश्व के कई देशों में लॉकाडाउन है। जिसकी वजह से दूध की सप्लाई भी प्रभावित हुई है. अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्सों में कई टन दूध को फेंकना पड़ा. गौरतलब है कि भारत में विशाल सहकारी नेटवर्क और लाखों डेयरी किसानों ने लॉकडाउन के दौरान भी पूरे देश में दूध की कमी नहीं होने दी और दूध की खपत होती रही। मदर डेयरी, अमूल, नंदिनी, पराग और कई अन्य समितियों ने किसानों से अधिशेष दूध खरीदने के लिए अतिरिक्त मील की दूरी तय की। वहीं देशभर में सैकड़ों दुग्ध प्लांट्स ने अतिरिक्त दूध की आपूर्ति का उपयोग करने के लिए स्किम्ड मिल्क पाउडर का उत्पादन किया.

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