Dhanteras 2025: गरीब से अमीर तक, धनतेरस पर लोग क्यों खरीदते हैं झाड़ू?

धनतेरस पर हर वर्ग के लोग झाड़ू खरीदते हैं क्योंकि इसे देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन नई झाड़ू घर लाने से दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है. यह परंपरा घर को साफ करके सुख-समृद्धि और धन की देवी का स्वागत करने का एक संकेत है.

(Photo : X)

धनतेरस का त्योहार आते ही बाज़ारों में भीड़ लग जाती है. हर कोई अपनी जेब के हिसाब से कुछ न कुछ नया खरीदना चाहता है. कोई सोने-चांदी के सिक्के खरीदता है, तो कोई स्टील के बर्तन. लेकिन इन सब महंगी चीज़ों के बीच एक ऐसी चीज़ है जिसे हर कोई खरीदता है, चाहे वो गरीब हो या अमीर. और वो चीज़ है - झाड़ू.

अब आप सोच रहे होंगे कि भला त्योहार के दिन कोई झाड़ू क्यों खरीदेगा? लेकिन इसके पीछे एक बहुत गहरी और दिलचस्प वजह है.

झाड़ू और माँ लक्ष्मी का कनेक्शन

हमारे शास्त्रों और मान्यताओं में झाड़ू को सिर्फ़ एक सफ़ाई करने वाली चीज़ नहीं माना गया है. इसे देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि माँ लक्ष्मी हमेशा साफ़-सुथरे घर में ही वास करती हैं. इसलिए, धनतेरस के दिन नई झाड़ू खरीदकर घर लाना एक तरह से माँ लक्ष्मी को अपने घर आने का निमंत्रण देने जैसा है.

यह एक संकेत है कि हम अपने घर को साफ़ करके, धन और समृद्धि की देवी का स्वागत करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

गरीबी और नकारात्मकता को करती है दूर

धनतेरस पर झाड़ू खरीदने का एक और बड़ा कारण है. माना जाता है कि नई झाड़ू घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा, दरिद्रता और परेशानियों को अपने साथ "झाड़ू लगाकर" बाहर कर देती है. जब आप धनतेरस के दिन इस नई झाड़ू से घर की सफ़ाई करते हैं, तो यह सिर्फ़ धूल-मिट्टी ही साफ़ नहीं करती, बल्कि घर के कलेश और आर्थिक तंगी को भी दूर करती है.

यह एक तरह से घर में मौजूद हर बुरी चीज़ को हटाकर सुख-समृद्धि के लिए जगह बनाने का प्रतीक है.

कुछ ज़रूरी बातें जो लोग मानते हैं

संक्षेप में कहें तो, धनतेरस पर झाड़ू खरीदना सिर्फ़ एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह स्वच्छता, सम्मान और समृद्धि की कामना का एक शक्तिशाली प्रतीक है. यह हमें सिखाता है कि धन-दौलत का रास्ता साफ़-सफाई और पवित्रता से होकर ही गुज़रता है. यही वजह है कि इस दिन हर तबके का इंसान बाकी चीज़ों के साथ एक झाड़ू ज़रूर खरीदता है.

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