विजयादशमी 2024: दशहरा पर आज करें शस्त्र पूजा, जानें मंत्र, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की पूरी जानकारी

नई दिल्ली: हर साल विजयादशमी के पर्व पर देशभर में बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है. इस दिन को रामायण में भगवान राम द्वारा रावण का वध करने के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. विजयादशमी का एक महत्वपूर्ण पहलू है 'शस्त्र पूजा', जिसमें लोग अपने हथियारों और औजारों की पूजा करते हैं. यह परंपरा इस दिन विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है.

शस्त्र पूजन मुहूर्त - Shastra Puja Muhurat 2024

दशहरा के दिन शस्त्र पूजा विजय मुहूर्त में करना शुभ माना जाता है. इस साल दशहरा पूजन के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 02 मिनट से शुरू होगा, जो दोपहर 2 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगा.

पूजा की प्रक्रिया Dussehra 2024 Puja Vidhi 

विजयादशमी के दिन, सुबह जल्दी उठकर लोग अपने-अपने शस्त्रों और औजारों को साफ करते हैं और उन पर फूलों की माला चढ़ाते हैं. इस दौरान विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, क्योंकि विजयादशमी का पर्व दुर्गा पूजा का अंतिम दिन भी होता है. भक्तगण अपने शस्त्रों पर 'रक्षा सूत्र' बांधते हैं, जिससे उन्हें विजय और सुरक्षा का आशीर्वाद मिले.

पूजन विधि - Shastra Puja Vidhi

  • दशहरे के दिन जल्दी उठकर स्नान कर लीजिए फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  • फिर गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाएं.
  • गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाकर, एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें.
  • इसके बाद आप प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित करिए.
  • इस दिन दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं.
  • पूजा समाप्त होने के बाद बड़ों का पैर छूकर आशीर्वाद लीजिए.

शस्त्र पूजा मंत्र Weapon worship mantra

आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये। स कालो विजयो ज्ञेयः सर्वकार्यार्थसिद्धये॥

दशहरे पर नीलकंठ पक्षी को लेकर क्या मान्यता है

मान्यता है कि दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. दरअसल, नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना जाता है.

शस्त्र पूजा का महत्व 

शस्त्र पूजा का अर्थ है अपने हथियारों और उपकरणों का सम्मान करना और उन्हें पवित्र मानना. यह प्रथा केवल युद्ध के उपकरणों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सभी प्रकार के औजारों और साधनों के प्रति आदर प्रकट करने का एक तरीका है. लोग इस दिन अपने कृषि उपकरण, वाहन, और व्यवसाय में उपयोग होने वाले औजारों की पूजा करते हैं, ताकि उन्हें सफलताएँ मिल सकें.

विजयादशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, भारत में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन की खास बात यह है कि यह शस्त्र पूजा की परंपरा से भी जुड़ा हुआ है। यह परंपरा केवल आज की नहीं है, बल्कि प्राचीन काल से चली आ रही है।

शस्त्र पूजा क्यों होती है? (Shastra Puja Kyu Kiya Jata Hai)

प्राचीन समय में राजा और योद्धा इस दिन अपने शस्त्रों की पूजा करते थे। उनका मानना था कि इस दिन शस्त्रों की पूजा करने से उन्हें अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति मिलती थी। विजयादशमी का यह पर्व इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन सभी योद्धाओं की याद दिलाता है जिन्होंने अपने धर्म की रक्षा के लिए युद्ध किया.

माता चंद्रिका का स्मरण

नवदुर्गा की उपासना के बाद, दसवें दिन मातृ शक्ति की आराधना का विशेष महत्व होता है. इस दिन देवी चंद्रिका का स्मरण करते हुए शस्त्रों का पूजन किया जाता है. यह पूजा न केवल शस्त्रों की शक्ति को बढ़ाने के लिए की जाती है, बल्कि यह एक प्रतीक भी है कि व्यक्ति अपने जीवन में हर क्षेत्र में विजय प्राप्त कर सके.

 

सामाजिक एकता और त्यौहार का महत्व 

शस्त्र पूजा का आयोजन सामूहिक रूप से भी किया जाता है. कई स्थानों पर लोग एकत्र होकर सामूहिक शस्त्र पूजा करते हैं, जिससे सामाजिक एकता और भाईचारे की भावना मजबूत होती है. यह त्योहार केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग के लोगों को एकजुट करने का एक माध्यम है.

इतिहास और परंपरा Shastra Puja History

भारतीय संस्कृति में शस्त्र पूजा की परंपरा बहुत पुरानी है. इसे विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में भी वर्णित किया गया है. यह परंपरा हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित की गई थी, जिन्होंने अपने उपकरणों और शस्त्रों को शक्ति और सम्मान का प्रतीक माना. विजयादशमी के अवसर पर इस परंपरा को मनाना हमारी संस्कृति की गहराई को दर्शाता है.

विजयादशमी पर शस्त्र पूजा एक ऐसा अवसर है जब लोग अपने शस्त्रों और औजारों को सम्मानित करते हैं और उन्हें शक्ति और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं. यह परंपरा न केवल व्यक्तिगत सफलता का प्रतीक है, बल्कि यह समाज की एकता और संस्कृति को भी दर्शाती है. इस दिन, हम सबको एक साथ मिलकर अपनी परंपराओं का पालन करना चाहिए और विजयादशमी के इस पर्व को एक विशेष तरीके से मनाना चाहिए.