Vijay Diwas 2020 Wishes in Hindi: साल 1971 के युद्ध में भारत (India) को पाकिस्तान (Pakistan) पर ऐतिहासिक विजय प्राप्त हुई थी, जिसके परिणाम स्वरूप विश्व के मानचित्र पर बांग्लादेश का उदय हुआ. भारत ने पाकिस्तान पर 16 दिसंबर 1971 को विजय प्राप्त की थी, इसलिए हर साल इस दिन विजय दिवस (Vijay Diwas) मनाया जाता है. दरअसल, बांग्लादेश (Bangladesh) को पहले पूर्वी पाकिस्तान (East Pakistan) के नाम से जाना जाता था. पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान के जुल्मों से आजादी दिलाने के लिए भारत-पाकिस्तान के बीच 3 दिसंबर 1971 को युद्ध शुरु हुआ. यह युद्ध करीब 13 दिनों तक चला और 16 दिसंबर को बिना किसी शर्त के पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. इस युद्ध की समाप्ति के साथ बांग्लादेश स्वतंत्र हुआ था, तब से हर साल 16 दिसंबर को भारत और बांग्लादेश में विजय दिवस मनाया जाता है.
साल 1971 में भारतीय सेना की पाकिस्तान सेना पर ऐतिहासिक जीत का जश्न 16 दिसंबर को मनाया जाता है और इस दिन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है. इस अवसर आप विजय दिवस के इन शानदार हिंदी वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेजेस, जीआईएफ इमेजेस, ग्रीटिंग्स, कोट्स, एसएमएस के जरिए अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- मिलते नहीं जो हक वो लिए जाते हैं,
हैं आजाद हम पर गुलाम किए जाते हैं,
उन सिपाहियों को रात-दिन नमन करो,
जो मौत के साए में जीए जाते हैं.
विजय दिवस की शुभकामनाएं
2- भारत माता तेरी गाथा,
सबसे ऊंची तेरी शान,
तेरे आगे शीश झुकाएं,
दे तुझको हम सब सम्मान.
भारत माता की जय !!
विजय दिवस की शुभकामनाएं
3- कुछ नशा तिरंगे की आन का है,
कुछ नशा मातृभूमि की शान का है,
हम लहराएंगे हर जगह यह तिरंगा,
नशा ये हिंदुस्तान की शान का है.
विजय दिवस की शुभकामनाएं यह भी पढ़ें: Vijay Diwas 2020: 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान पर भारत को मिली थी ऐतिहासिक जीत, जानें इस दिवस का इतिहास और महत्व
4- जब आंख खुले तो धरती हिंदुस्तान की हो,
जब आंख बंद हो तो यादें हिंदुस्तान की हो,
हम मर भी जाएं तो कोई गम नहीं,
लेकिन मरते वक्त मिट्टी हिंदुस्तान की हो.
विजय दिवस की शुभकामनाएं
5- उनके हौसले का भुगतान क्या करेगा कोई,
उनकी शहादत का कर्ज देश पर उधार है,
आप और हम इसलिए खुशहाल हैं क्योंकि,
सीमा पर सैनिक शहादत को तैयार हैं.
विजय दिवस की शुभकामनाएं
गौरतलब है कि इस युद्ध में पाकिस्तान को 8 हजार लोगों की मौत और 25 हजार से अधिक घायलों का सामना करना पड़ा था, जबकि भारत ने करीब 3000 सैनिकों को खो दिया और 12 हजार घायल हो गए थे. हालांकि इस युद्ध में पाक जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी के नेतृत्व में लगभग 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने बिना किसी शर्त आत्मसमर्पण किया था.