Veer Savarkar Punyatithi 2024 Messages in Marathi: भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानियों में शुमार वीर सावरकर (Veer Savarkar) का निधन 26 फरवरी 1966 को मुंबई में हुआ था, इसलिए हर साल 26 फरवरी को उनकी पुण्यतिथि (Veer Savarkar Punyatithi) मनाई जाती है. उनका जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र (Maharashtra) के नासिक जिले (Nashik) में स्थित भागुर गांव में हुआ था. उनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) था. बताया जाता है कि युवावस्था में वीर सावरकर ने मित्र मेला के नाम से एक युवा संगठन बनाया था, उनके साहस के लिए ही उन्हें वीर उपनाम दिया गया था. गणेश सावरकर ने सन 1909 में ब्रिटिश सरकार के मॉर्ले-मिंटो सुधारों का विरोध किया था, जिसमें वीर सावरकर ने भी उनका समर्थन किया था, जिसके बाद उन्हें 50 साल की सजा सुनाई गई थी.
विनायक दामोदर सावरकर के निधन का कारण आज तक पता नहीं चल सका है, लेकिन बताया जाता है कि उनकी मृत्यु के पीछे मुख्य वजह उपवास थी, जिसका चयन उन्होंने खुद किया था. वीर सावरकर की पुण्यतिथि पर आप इन मराठी मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फोटो एसएमएस और कोट्स को प्रियजनों के साथ शेयर करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
1- स्वातंत्र्यलढ्यातील नायक, महान क्रांतिकारक,
विचारवंत, लेखक, कवी, ओजस्वी वक्ता
आणि दूरदर्शी विनायक दामोदर सावरकर जी
यांना पुण्यतिथीनिमित्त विनम्र अभिवादन!
2- राष्ट्रभक्तीची धगधगती ज्वाळा, अखंड हिंदू राष्ट्राचे पुरस्कर्ते,
भारतीय क्रांतिकारकांचे मुकुटमणी आणि हिंदू तेज सुर्य
भारतीय स्वातंत्र्य लढ्यातील अग्रनेते, विचारवंत, तत्त्वज्ञ
स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर यांना पुण्यतिथीनिमित्त विनम्र अभिवादन!
3- वीरतेचे मूर्तिमंत, भारतमातेचे सुपुत्र लेखक,
कवी आणि निर्भय स्वातंत्र्यसैनिक
स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर यांना पुण्यतिथीनिमित्त विनम्र अभिवादन!
4- खरे देशभक्त, अनुकरणीय युगद्रष्टा,
अद्वितीय स्वातंत्र्य सेनानी
वीर सावरकर यांना
पुण्यतिथीनिमित्त त्रिवार अभिवादन!
5- स्वातंत्र्य संग्रामचा अमर सेनानी,
स्वातंत्र्य वीर सावरकरांना
पुण्यतिथीनिमित्त कोटी कोटी प्रणाम!!
हा देश नेहमीच त्यांचा कृतज्ञ राहील.
बता दें कि सावरकर ने दो-राष्ट्र नीति को स्वीकार करने के लिए कांग्रेस पार्टी की कड़ी आलोचना की थी. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कट्टर आलोचक थे. उन्होंने अपने जेल के समय में द इंडियन वॉर ऑप इंडिपेंडेंस 1857 किताब लिखी थी, जिससे कई भारतीयों में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए प्रेरणा मिली थी.
कहा जाता है कि अपने निधन से दो साल पहले 1964 में सावरकर ने 'आत्महत्या या आत्मसमर्पण' नाम का एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने अपनी इच्छा मृत्यु की बात कही थी. वे 1966 से ही व्रत करने लगे थे और अपनी दवाइयां भी लेनी बंद कर दी थी, जिसके बाद 26 फरवरी को उनका निधन हो गया.