Uttar Pradesh Sthapana Diwas 2024: क्या है उत्तर प्रदेश का स्वर्णिम इतिहास? क्यों कहते हैं इसे धर्म, संगीत, साहित्य, कला और राजनीति का सर्वोत्तम प्रदेश?
हर साल 24 जनवरी को मनाया जाने वाला उत्तर प्रदेश दिवस, भारत के इस विशाल और ऐतिहासिक राज्य के गौरवशाली अतीत और उज्ज्वल भविष्य का उत्सव है. 1950 में इसी दिन उत्तर प्रदेश को इसका नाम मिला, तब से यह दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों, रंगारंग जुलूसों और देशभक्ति के रंग में सराब हो जाता है.
Uttar Pradesh Foundation Day 2024: क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तर प्रदेश भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन जनसंख्या के मामले में नंबर एक पर आता है. ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 7.30 प्रतिशत है, पिछली जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या 8 करोड़ 65 लाख बताई जा रही है, लेकिन क्या आपको पता है कि उत्तर प्रदेश का यह मूल नाम नहीं है, दरअसल आजादी के पूर्व तक इसे संयुक्त प्रांत के नाम से जाना जाता था.
बता दें कि 24 जनवरी 1950 के दिन भारत के गवर्नर जनरल ने ‘संयुक्त प्रांत’ को ‘उत्तर प्रदेश’ नाम से नामकरण किया. इसके बाद से ही प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. आइये जानते हैं उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस के इतिहास, महत्व एवं नाम-परिवर्तन के बाद की इस राज्य के बारे में विस्तार से...
क्या है उत्तर प्रदेश के जन्म की कहानी?
अभिलेखों के अनुसार 1834 तक बंगाल, बंबई और मद्रास ये कुल तीन सूबे थे. ऐसे में चौथे सूबे के गठन की आवश्यकता महसूस की जा रही थी, जिसकी परिणति आगरा सूबे के रूप में हुई. ब्रिटिश शासन के अनुसार सूबे का प्रमुख गवर्नर होता था. जनवरी 1858 में लॉर्ड कैनिंग इलाहाबाद (अब प्रयागराज) आ बसे. इस तरह उत्तरी पश्चिमी सूबा का गठन हुआ. इस तरह शासन की सारी शक्ति आगरा से इलाहाबाद पहुंच गई. इसी क्रम में 1868 में उच्च न्यायालय भी आगरा से इलाहाबाद स्थानांतरित हो गया. 1856 में अवध को मुख्य आयुक्त के अधीन किया गया. तत्पश्चात विभिन्न जनपदों का उत्तरी पश्चिमी सूबे में विलय की प्रक्रिया शुरू हुई.
1877 में उत्तर पश्चिमी सूबा अवध के नाम से लोकप्रिय हुआ. 1902 में पूरे सूबे को ‘यूनाइटेड प्रोविंस ऑफ आगरा एंड अवध’ नाम मिला. 1920 में विधान परिषद का गठन हुआ. मंत्रियों एवं गवर्नर को लखनऊ ही रहना था. इसलिए तत्कालीन गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर ने अपना मुख्यालय लखनऊ स्थापित कर दिया. 1935 तक लखनऊ सूबे की राजधानी बन चुका था. अप्रैल 1937 में यूनाइटेड प्रोविंस रखा गया. आजादी के बाद 24 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के तहत उत्तर प्रदेश कर दिया गया.
उत्तर प्रदेश का बहुमुखी महत्व!
श्रीराम, श्रीकृष्ण एवं भगवान शिव का प्रदेश उत्तर प्रदेश सदा से धर्म, कला, संस्कृति, साहित्य, राजनीति का केंद्र रहा है. यह प्रदेश आदिकाल से प्राचीन सभ्यताओं एवं संस्कृति की पहचान रहा है. यहां आश्रमों में वैदिक साहित्य मन्त्र, मनुस्मृति, महाकाव्य-वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस एवं महाभारत के उल्लेखनीय हिस्सों का जीवंत दस्तावेज उपलब्ध है.
संगीत के क्षेत्र में जहां मुगल युग में तानसेन और बैजू बावरा जैसी विभूतियां दी, वहीं आधुनिक काल में संगीत सम्राट नौशाद, नृत्य कला में बिरजू महाराज, लच्छू महाराज आदि इसी प्रदेश की मिट्टी से उपजे. भारतीय संगीत के दो विख्यात वाद्य यंत्र सितार और तबला भी इसी प्रदेश की उपलब्धि है.
18 वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के वृंदावन और मथुरा के मंदिरों में भक्तिपूर्ण नृत्य की शास्त्रीय नृत्य शैली कथक यहीं उत्पन्न हुई. भोजपुरी की लोकप्रिय कजरी लोकगीत यहीं से दुनिया तक पहुंची. हिंदी साहित्य की तो यह विशेष धरा रही है. तुलसीदास, कबीरदास, सूरदास, भारतेंदु हरिश्चंद्र, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', सुमित्रानंदन पंत, मैथिलीशरण गुप्त, सोहन लाल द्विवेदी, हरिवंशराय बच्चन, महादेवी वर्मा, रामकुमार वर्मा, राही मासूम रजा, हजारी प्रसाद द्विवेदी, अज्ञेय ऐसे सैकड़ों नगीने हैं, जिनकी कलम ने हिंदी साहित्य को एक ऊंचाई दी.
हिंदी के साथ उर्दू भाषा के नगीने फ़िराक़ गोरखपुरी, जोश मलीहाबादी, अकबर इलाहाबादी, नजीर, वसीम बरेलवी, चकबस्त भी यहीं से उभरे. हालिया अयोध्या और काशी के जीर्णोद्धार के बाद यहां के पर्यटन ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है. यद्यपि चित्रकूट, मथुरा, वृंदावन, आगरा, प्रयागराज, विंध्याचल, शाकंभरी देवी, जैसी लंबी सूची पहले से लाखों-करोड़ों पर्यटकों को लुभाता रहा है. यही नहीं राजनीति के मैदान से अधिकांश सिपहसालार मोतीलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय, पंडित जवाहर लाल, लाल बहादुर शास्त्री, विश्वनाथ प्रताप सिंह, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसे नेताओं ने भी उत्तर प्रदेश से केंद्र तक की राह पाई थी.