Utpanna Ekadashi 2022 Wishes in Hindi: साल में मनाई जाने वाली 24 एकादशियों में उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) सबसे पहली और महत्वपूर्ण एकादशी मानी जाती है. मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के शरीर से उत्पन्न हुई थीं, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. इस साल उत्पन्ना एकादशी का व्रत 20 नवंबर 2022, रविवार को रखा जा रहा है. इस एकादशी व्रत के प्रभाव से वर्तमान के साथ पिछले जन्म के सभी पापों से मुक्ति मिलती है, इसके साथ ही कई पीढ़ियों के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जो एकादशी का व्रत करता है उसे वैकुंठ धाम में स्थान मिलता है. जो लोग एकादशी का व्रत शुरु करना चाहते हैं, वो मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी से व्रत की शुरुआत कर सकते हैं, क्योंकि शास्त्रों में इसे ही पहली एकादशी माना गया है.
देवउठनी एकादशी मनाए जाने के बाद मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है, जिसे सभी एकादशियों में सबसे पहली एकादशी माना जाता है. उत्पन्ना एकादशी श्रीहरि के भक्तों के लिए बेहद खास होती है, ऐसे में आप इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स और कोट्स के जरिए अपनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- विष्णु जिनका नाम हो,
वैकुंठ जिनका धाम हो,
उत्पन्ना एकादशी के शुभ अवसर पर,
श्रीहरि को शत-शत प्रणाम,
उत्पन्ना एकादशी की शुभकामनाएं
2- ताल बजे, मृदंग बजे,
बजे श्रीहरि की वीणा,
जय राम, जय राम,
जय-जय श्रीकृष्ण हरि.
उत्पन्ना एकादशी की शुभकामनाएं
3- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्,
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्.
उत्पन्ना एकादशी की शुभकामनाएं
4- भगवान विष्णु आपको,
सुख, शांति, समृद्धि,
यश और कीर्ति प्रदान करें.
उत्पन्ना एकादशी की शुभकामनाएं
5- मां तुलसी और भगवान विष्णु,
आप और आपके परिवार पर,
ऐसे ही कृपा बरसाते रहें,
आप ऐसे ही उन्नति करते रहें.
उत्पन्ना एकादशी की शुभकामनाएं
उत्पन्ना एकादशी से जुड़ी कथा के अनुसार, मुर नामक असुर ने सभी देवताओं को पराजित कर दिया था और सभी मदद के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे, तब महादेव ने उन्हें भगवान विष्णु की शरण में जाने के लिए कहा. देवताओं से उनकी पीड़ा जानने के बाद भगवान विष्णु रणभूमि में पहुंच गए और विष्णु जी को रणभूमि में देखते ही मुर की सेना ने उन पर आक्रमण कर दिया.
कहा जाता है कि मुर और श्रीहरि के बीच 10 हजार सालों तक युद्ध चला, जब युद्ध करते-करते भगवान विष्णु थक गए तब बद्रीकाश्रम गुफा में जाकर वो आराम करने लगे, तभी दैत्य मुर भी वहां पहुंच गया. वो श्रीहरि पर वार करने ही वाला था, तभी उनके शरीर से कांतिमय रूप वाली देवी का प्राकट्य हुआ और उन्होंने ही मुर का वध किया. वो देवी कोई और नहीं बल्कि उत्पन्ना एकादशी ही थीं.