राजस्थान: अजमेर शरीफ में 807 वें उर्स की शुरुआत, जियारत के लिए खुला जन्नत का दरवाजा

अजमेर शरीफ में 807 वें उर्स की शुरूआत हो चुकी है. गुरूवार चांद रात के मौके पर चांद के दीदार के बाद सुबह साढ़े चार बजे जन्नत का दरवाजा खोल दिया गया. रजब का चांद दिखाई देने के बाद रात में सारी रस्मों की शुरुआत हो चुकी है. जियारत के लिए जन्नत का दरवाजा खुल चुका है...

अजमेर शरीफ (Photo Credit-Wikimedia Commons)

अजमेर शरीफ (Ajmer Sharif) में 807 वें उर्स की शुरूआत हो चुकी है. गुरूवार चांद रात के मौके पर चांद दिखाई देने के बाद सुबह साढ़े चार बजे जन्नत का दरवाजा खोल दिया गया. रजब का चांद दिखाई देने के बाद रात में सारी रस्मों की शुरुआत हो चुकी है. जियारत के लिए जन्नत का दरवाजा खुल चुका है और लोगों का आना शुरू हो चुका है. सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के दर पर देश विदेश से लोग आते हैं. हर साल यहां बड़ी ही धूम-धाम से उर्स मनाई जाती है. उर्स के मौके पर पाकिस्तान से भी लोग आते हैं. लेकिन इस साल आतंकी हमले की वजह से दोनों देशों में संबंध अच्छे न होने की वजह से भारत सरकार ने पाकिस्तान के लोगों को वीजा देने से मना कर दिया.

3 मार्च को ख्वाजा गरीब नवाज के दर पर झंडा लहराया गया था. इस रश्म के साथ ही उर्स की सारी तैयारियां शुरू हो गईं थीं. अजमेर शरीफ में सूफी संत मोईनुद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में उर्स के रूप में 6 दिन का वार्षिक उत्सव रखा जाता है. ख्वाजा मोईनुद्दीन के दरबार में नरेंद्र मोदी, बड़े -बड़े बिजनेसमैन और अभिनेता चादर चढ़ाने आते हैं. उर्स पर दरगाह परिसर में बड़े-बड़े कड़ाहों में हलवा और मालपुए बनाए जाते हैं. उर्स पर यहां लगातार 6 दिन तक मेला लगा रहता है. बड़े-बड़े सूफी संत और कव्वाल आकर ख्वाजा गरीब नवाज की शान में कव्वाली गाते हैं.

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आपको बता दें कि अकबर बादशाह ने जहांगीर के रूप में पुत्र रत्न की प्राप्ति के बाद अजमेर शरीफ के अंदर मस्जिद का निर्माण किया था. इस मस्जिद को अकबर मस्जिद कहा जाता है. जहां बच्चों को कुरान की शिक्षा भी प्रदान की जाती है.

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