Ugadi 2023 Messages in Hindi: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को जहां देशभर में चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) की शुरुआत होती है तो वहीं महाराष्ट्र (Maharashtra) में गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) का त्योहार मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारतीय राज्यों तेलंगना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में उगादि (Ugadi) का पर्व मनाया जाता है, जिसे तेलुगु नव नर्ष (Telugu New Year) के तौर पर जाना जाता है. दक्षिण भारतीय राज्यों में आज (22 मार्च 2023) उगादि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. उगादि संस्कृत के शब्द युग और आदि से आया है, जिसका अर्थ है एक नए युग की शुरुआत. उगादि यानी तेलुगु नव वर्ष के दिन दक्षिण भारत के लोग नए व्यापार, गृह प्रवेश जैसे नए कार्यों का शुभारंभ करते हैं, क्योंकि इस दिन को बेहद शुभ माना जाता है. इसके साथ ही इस दिन सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है.
तेलुगु न्यू ईयर यानी उगादि पर पच्चड़ी नाम का खास पेय पदार्थ बनाया जाता है, जिसे सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. इस दिन लोग घरों की साफ-सफाई करके मुख्य द्वार पर रंगोली बनाते हैं, नए वस्त्र पहनते हैं और शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं. ऐसे में आप भी इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए उगादि की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- शुभ हो नया साल आपका,
ऊंची उड़ान भरे हर पल आपका,
जैसे आसमान में उड़ती पतंग,
वैसे ही उगादी पर्व की सजे हर एक तरंग.
उगादि की शुभकामनाएं
2- खुशियां आएं, सुख-समृद्धि लाए,
घर आपके भगवान आएं,
करके कृपा आप पर अपनी,
हसरतें सारी आपकी करें पूरी.
उगादि की शुभकामनाएं
3- पेड़ों पर सजता रहे पत्तियों का श्रृंगार,
स्वादिष्ट व्यंजनों की बनी रहे बहार,
मीठे वचनों से करें एक-दूसरे का दीदार,
चलो मनाएं उगादी का ये त्योहार.
उगादि की शुभकामनाएं
4- पेड़ों पर सजती है नए पत्तों की बहार,
हरियाली से महकता प्रकृति का व्यवहार,
ऐसा लगता है उगादी का त्योहार,
मौसम भी करता नव वर्ष का सत्कार.
उगादि की शुभकामनाएं
5- छोटों को करो प्यार,
बड़ों को दो सम्मान,
यह संकल्प लेकर,
मनाओ उगादी का त्योहार.
उगादि की शुभकामनाएं
गौरतलब है कि उगादि के त्योहार को दक्षिण भारत के लोग विधिपूर्वक मनाते हैं. इस दिन लोग जल्दी उठकर अपनी शरीर पर उबटन और तिल का तेल लगाकर स्नान करते हैं, फिर नए वस्त्र पहनकर मंदिर जाते हैं. हाथ में गंध, अक्षत, चमेली के फूल और जल लेकर भगवान ब्रह्मा के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है. इस दिन पच्चड़ी बनाने की परंपरा है, जिसे इमली, आम, नारियल, नीम के फूल और गुड़ इत्यादि से बनाया जाता है.