हिंदू-मुस्लिम दोनों के लिए बेहद खास है आज यानी 7 मई का दिन, अक्षय तृतीया और रमजान की रौनक से गुलजार हुआ देश
आज (मंगलवार) यानी 7 मई 2019 का दिन भारत में रहने वाले हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समुदाय के लोगों के लिए बेहद खास है, क्योंकि देश में एक ओर जहां हिंदू धर्म के लोग अक्षय तृतीया व परशुराम जयंती का पावन पर्व मना रहे हैं तो वहीं इस्लाम धर्म में रमजान के पाक महीने की शुरुआत के साथ पहला रोजा रखा गया है.
आज (मंगलवार) यानी 7 मई 2019 का दिन भारत में रहने वाले हिंदू और मुस्लिम (Hindu and Muslim) दोनों ही समुदाय के लोगों के लिए बेहद खास है, क्योंकि देश में एक ओर जहां हिंदू धर्म के लोग अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) व परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti) का पावन पर्व मना रहे हैं तो वहीं इस्लाम धर्म में रमजान (Ramadan) के पाक महीने की शुरुआत के साथ पहला रोजा रखा गया है. अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती और रमजान की रौनक से पूरा देश गुलजार हो गया है. अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है और सोने की खरीदारी की जाती है तो वहीं दूसरी तरफ रमजान की शुरुआत के साथ मुस्लिम धर्म के लोग रोज रखकर अल्लाह की इबादत कर रहे हैं.
हिंदू और मुस्लिम धर्म के इन त्योहारों को लेकर न सिर्फ लोगों में उत्साह दिखाई दे रहा है, बल्कि बाजारों में खासा रौनक दिखाई दे रही है. सोने-चांदी के आभूषण निर्माताओं और व्यवसायियों में भी खासा उत्साह नजर आ रहा है.
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का है खास महत्व
वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर पड़ने वाली अक्षय तृतीया को हिंदू धर्म में बेहद शुभ और खास माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है उसका फल कई गुना अधिक बढ़ जाता है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ हुआ था. इस दिन भगवान विष्णु के नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव अवतार पृथ्वी पर हुए थे. इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, जप और तप का अक्षय फल मिलता है. इस दिन सूर्य मेष राशि में, चंद्रमा वृषभ राशि में और शुक्र मीन राशि में रहेंगे. ये तीनों ग्रह अपनी-अपनी उच्च राशि में रहेंगे, जिसे ज्योतिषीय नजरिए से बेहद शुभ संयोग माना जा रहा है. यह भी पढें: Akshaya Tritiya 2019 Wishes and Messages: अक्षय तृतीया के इस पावन अवसर पर WhatsApp Stickers, SMS, Facebook Greetings के जरिए भेजें ये मैसेजेस और दें हर किसी को शुभकामनाएं
सभी मांगलिक कार्यों के लिए शुभ है यह दिन
अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व बताया जाता है. इस दिन की गई पूजा का भक्तों को विशेष लाभ मिलता है. इस दिन शादी-ब्याह, गृह प्रवेश, जप-तप, पूजा-पाठ, नए व्यापार की शुरुआत जैसे तमाम मांगलिक कार्य किए जाते हैं. इस दिन सोने-चांदी के आभूषण खरीदने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. इसके साथ ही गरीबों को भोजन कराने और दान देने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है.
अक्षय तृतीया की शुभ तिथि- मंगलवार, 7 मई 2019.
पूजा का महूर्त- सुबह 6.11 बजे से दोपहर 12.35 बजे तक.
खरीदारी का मुहूर्त- सुबह 06:26 बजे से रात 11:47 बजे तक.
माह-ए-रमजान की शुरुआत
6 मई यानी सोमवार की शाम चांद के दीदार के साथ ही इस्लाम धर्म के पाक महीने रमजान की शुरुआत हो गई है. माह-ए-रमजान की शुरुआत के साथ ही आज मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपना पहला रोजा रखा है. रमजान में लोग 30 दिनों तक रोजा रखते हैं. रोजा रखनेवाले सूर्योदय से सूर्यास्त तक कुछ भी खाने-पीने से बचते हैं. सुबह की सहरी से रोजे की शुरुआत होती है और शाम को इफ्तार करके रोजा खोला जाता है. इस महीने को नेकियों का महीना भी कहा जाता है. यह भी पढ़ें: Ramadan Mubarak 2019 wishes And Messages: शुरू हो गया अल्लाह की इबादत का पाक महीना, इन मैसेजेस को WhatsApp, Facebook, SMS के जरिए भेजकर हर किसी से कहें रमजान मुबारक
रमजान में खुल जाते हैं जन्नत के दरवाजे
कहा जाता है कि रमजान के पाक महीने में अल्लाह अपने बंदों के लिए जन्नत के दरवाजे खोल देते हैं, इसलिए इस महीने 30 दिनों तक लोग रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं. इस दौरान हर कोई अपनी बुरी आदतों से तौबा करके नेकी और अच्छाई के रास्ते पर चलने की कोशिश करता है. कहा जाता है कि इस माह में अल्लाह अपने बंदों की हर दुआ कुबूल करते हैं और उनके गुनाहों को माफ करते हैं.
तीन हिस्सों में बंटता है माह-ए-रमजान
इस्लाम धर्म के पाक महीने रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहले हिस्सा 1 से 10 रोजे तक का होता है, जिसे रहमतों (कृपा) का दौर बताया जाता है. दूसरे हिस्से के दस दिन यानी 11 से 20 रोजे तक को मगफिरत (माफी) का दौर बताया जाता है, जबकि तीसरे और आखिरी हिस्से यानी 21 से 30 रोजे तक को जहन्नुम (नर्क) की आग से बचाने वाला दौर बताया जाता है. रमजान के इस महीने में चार जुमे पड़ रहे हैं. पहला जुमा 10 मई, दूसरा 17 मई, तीसरा 24 मई और आखिरी जुमा 31 मई को होगा.