Subhash Chandra Bose Jayanti 2020: सुभाषचंद्र बोस की संदिग्ध मृत्यु के 75 वर्ष, जांच आयोगों की रिपोर्ट में विभिन्नता क्यों? नेताजी का परिवार क्यों चाहता है उनकी अस्थियों का हो DNA टेस्ट?
नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में हुआ था. तथ्यों के मुताबिक 18 अगस्त, 1945 को नेताजी हवाई जहाज से मंचुरिया जा रहे थे. इसी दौरान वे लापता हो गए. नेताजी का परिवार चाहता है कि जापान के रैंकोजी मंदिर में रखी नेताजीकी अस्थियों की डीएनए जांच करवाई जाए, ताकि उनके संदिग्ध निधन पर पूर्णविराम लगाया जा सके.
Subhash Chandra Bose Jayanti 2020: नेताजी सुभाषचंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) का जन्म 23 जनवरी 1897 में हुआ था. इस साल उनकी 123वीं जयंती (123rd Birth Anniversary of Subhash Chandra Bose) मनाई जा रही है. हैरत की बात तो यह है कि उनकी संदिग्ध मौत के 75 साल बाद भी उनकी मौत गुत्थी अब तक अनसुलझी है. तथ्यों के मुताबिक 18 अगस्त, 1945 को नेताजी हवाई जहाज से मंचुरिया जा रहे थे. इसी दौरान वे लापता हो गए. हालांकि, जापान की एक संस्था ने उसी साल 23 अगस्त को ये खबर जारी किया कि ताइवान (Taiwan) में हुई एक हवाई जहाज की दुर्घटना में नेताजी की मौत हो गई. लेकिन इसके कुछ ही दिन बाद खुद जापान सरकार ने इस बात की पुष्टि की थी कि 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में कोई विमान हादसा हुआ ही नहीं था. उधर तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरु की बहन विजयालक्ष्मी भी नेताजी की मृत्यु का सच उद्घाटित करना चाहती थीं, कि नेताजी की मौत की खबर के बाद उन्होंने नेताजी को रूस में देखा था, उन दिनों विजयालक्ष्मी रूस में इंडियन अंबेसडर थीं, लेकिन कहते हैं कि नेहरुजी ने उन्हें कोई भी बयान देने से रोक दिया. इसके बाद से आज तक नेताजी की मृत्यु को लेकर अटकलें लग रही हैं.
स्वतंत्रता के पश्चात भारत सरकार की ओर से नेताजी की संदिग्ध मौत से पर्दा उठाने के लिए समय-समय पर तीन आयोग गठित किये गये. यहां भी रिपोर्ट चौंकाने वाली थी. क्योंकि पहले दो आयोग ने जहां विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु की पुष्टि करते हुए बताया कि नेताजी के अंतिम संस्कार के बाद उनका अस्थिकलश जापान के एक मंदिर में रखा है, वहीं तीसरे आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जापान के मंदिर में रखे अस्थि कलश में नेताजी की अस्थियां नहीं हैं. आखिर कहानी क्या थी उस अस्थिकलश की?
अस्थियों के टोक्यो तक पहुंचने की कहानी
शाहनवाज रिपोर्ट के अनुसार नेताजी की मृत्यु के पश्चात 20 अगस्त को जापान में तायहोकू के होंगाजी मंदिर के पीछे वहां के बौद्ध पुजारी की उपस्थिति में पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार के अगले दिन शवदाह गृह से उनकी अस्थियां एक लकड़ी के बॉक्स में इकट्ठी कर एक फुट क्यूबिक बॉक्स में रखकर कुछ दिनों तक वहीं मंदिर में रखा गया. बाद में इसे टोक्यो स्थित रैंकोजी मंदिर में रख दिया गया. आज भी वह अस्थिकलश उसी मंदिर में रखा हुआ है.
जांच आयोग का रिपोर्ट भी संदिग्ध
किंवदती बन चुके नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु के संदर्भ में तीन जांच आयोग गठित किये गये. दो आयोग कांग्रेस सरकारों के कार्यकाल में बने और तीसरे जस्टिस मनोज मुखर्जी आयोग का गठन 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने किया था. पहले दो आयोगों के रिपोर्ट में हवाई हादसे में नेताजी की मृत्यु की पुष्टि की तो वहीं, मुखर्जी आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि नेताजी का निधन 18 अगस्त 1945 में तायहोकु में हुआ ही नहीं. आयोग ने रैंकोजी मंदिर में रखी अस्थियों को किसी अन्य ताइवानी सैनिक की अस्थियां बताया था. यह भी पढ़ें: सुभाष चंद्र बोस की 123वीं जयंती: झारखंड में 23 जनवरी को रहेगा अवकाश, सीएम हेमंत सोरेन ने की घोषणा
नेताजी के परिवार में भी उनकी मृत्यु को लेकर नहीं हैं एकमत
नेताजी का परिवार उनके संदिग्ध निधन की खबर पर एकमत नहीं है. नेताजी के बड़े भाई शरत बोस जो शाहनवाज खान जांच आयोग में शामिल थे, उन्होने आयोग की रिपोर्ट से असहमति जताते हुए कहा था कि नेताजी का निधन तायहोकु में विमान हादसे में नहीं हुआ, जबकि शरत के बेटे शिशिर की पत्नी कृष्णा बोस का कहना था कि उन्हें जो जानकारी है, उसके अनुसार नेताजी विमान हादसे में मारे जा चुके हैं. जबकि शरतचंद्र के ज्येष्ठ पुत्र अमीयनाथ और उनके बेटे चंद्रकुमार बोस ने कभी नहीं माना कि नेताजी विमान हादसे का शिकार हुए हैं. चंद्रकुमार तो कई बार मांग कर चुके हैं कि नेताजी की अस्थियों की जांच कराकर पूरे मामले का ‘दी एंड’ कर दिया जाए. इस मामले में नेताजी की बेटी अनीता बोस भी उनसे सहमत हैं. अनीता भी उन्हें मृत मानती हैं, लेकिन वो ये भी चाहती हैं कि जापान के जिस मंदिर में उनके पिता की अस्थियां रखी हैं, उसका डीएनए टेस्ट कराकर उन्हें भारत लाया जाए. अगर ये अस्थियां उनके पिता की हैं तो उसे गंगा नदी में अर्पण कर उनका विधिवत तर्पण किया जा सके, ताकि पिता की आत्मा को शांति मिले. गौरतलब है कि 1941 में नेताजी ने जर्मनी में अपनी स्टेनो एमिली शेंकल से गुप्त शादी की थी, अनिता उन्हीं की संतान हैं.
प्रधानमंत्री मोदी से अपील
नेताजी का परिवार चाहता है कि जापान के रैंकोजी मंदिर में रखी नेताजीकी अस्थियों की डीएनए जांच करवाई जाए, ताकि उनके संदिग्ध निधन पर पूर्णविराम लगाया जा सके. वे चाहते हैं कि अगले साल जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत की यात्रा पर आ रहे हैं, तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके सामने यह मुद्दा रखें.