Subhadra Kumari Chauhan Jayanti 2020: सुभद्रा कुमारी चौहान की 116वीं जयंती, जानें इस महान कवियित्री और लेखिका के जीवन से जुड़ी रोचक बातें
अपनी कविताओं के जरिए लोगों में देशभक्ति का अलख जगाने वाली हिंदी की महान कवियित्री और लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान की आज 116वीं जयंती है. सुभद्रा कुमारी का जन्म 16 अगस्त 1904 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद स्थित निहालपुर में जमींदार परिवार में हुआ था. सुभद्रा कुमारी चौहान को बचपन से ही काव्य-ग्रंथों से विशेष रूचि थी और बहुत कम उम्र में ही उनकी पहली कविता भी प्रकाशित हुई थी.
Subhadra Kumari Chauhan 116th Birth Anniversary: अपनी कविताओं के जरिए लोगों में देशभक्ति का अलख जगाने वाली हिंदी की महान कवियित्री और लेखिका (Indian Poet And Writer) सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) की आज 116वीं जयंती (116th Birth Anniversary) है. सुभद्रा कुमारी चौहान का जब भी जिक्र किया जाता है, जहन में फौरन झांसी की रानी (Queen Of Jhansi) की याद ताजा हो जाती है, क्योंकि उनके द्वारा रचित कविता 'खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी' आज भी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा को बयां करती है. सुभद्रा कुमारी का जन्म 16 अगस्त 1904 में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के इलाहाबाद (Allahabad) स्थित निहालपुर में जमींदार परिवार में हुआ था. सुभद्रा कुमारी चौहान को बचपन से ही काव्य-ग्रंथों से विशेष रूचि थी और बहुत कम उम्र में ही उनकी पहली कविता भी प्रकाशित हुई थी. चलिए उनके जन्म दिवस के इस खास अवसर पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें.
सुभद्रा कुमारी चौहान से जुड़ी रोचक बातें-
- सुभद्रा ने महज 9 साल की उम्र में अपनी पहली कविता 'नीम' की रचना की थी, उनकी इस कविता को पत्रिका 'मर्यादा' में जगह मिली थी.
- अपनी पहली कविता के साथ ही सुभद्रा पूरे स्कूल में लोकप्रिय हो गईं, लेकिन किसी कारणवश उन्हें नौंवी कक्षा के बाद अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी.
- पढ़ाई छोड़ने के बाद भी उन्होंने अपनी कविताओं का शौक नहीं छोड़ा और कविताएं लिखती रहीं. उनकी रचनाओं में कहीं भी यह नहीं झलकता है कि वे दसवीं तक भी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाईं.
- कविताएं लिखने के साथ-साथ उन्होंने पारिश्रमिक के लिए आगे चलकर कहानियां लिखनी भी शुरू कर दी, क्योंकि कविताओं की रचना के लिए उन्हें पारिश्रमिक नहीं मिलता था.
- चार बहनों और दो भाइयों वाली सुभद्रा ने स्वंत्रता संग्राम में भी अहम भूमिका निभाई. आंदोलन में शामिल होने की वजह से उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा. यह भी पढ़ें: रानी लक्ष्मीबाई जन्मदिन विशेष: 'खूब लड़ी मर्दानी वो तो....जानें उस वीरांगना के बारे में जिसनें रखीं थी 1857 के गदर की नींव
- सुभद्रा कुमारी का विवाह मध्य प्रदेश के खंडवा निवासी ठाकुर लक्ष्मण सिंह से हुई थी. अपने पति के साथ वे भी महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन से जुड़ गईं.
- स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के साथ-साथ वे अपनी कविताओं और रचनाओं के माध्यम से लोगों में देशभक्ति का अलख भी जगाती रहीं. उनकी रचनाओं में देशभक्ति की झलक साफ देखने को मिलती है.
- उनका पहला काव्य संग्रह 'मुकुल' साल 1930 में प्रकाशित हुआ था और उनकी चुनी हुई कविताएं 'त्रिधारा' में प्रकाशित हुई. झांसी की रानी उनकी सबसे लोकप्रिय रचना है.
गौरतलब है कि नाग पंचमी के दिन जन्मी महान स्वतंत्रता सेनानी, लोकप्रिय कवयित्री और लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान की कई रचनाओं में आजादी और देशभक्ति की झलक साफ दिखाई देती है. सबसे खास बात तो यह है कि उनकी विभिन्न रचनाओं ने लोगों को अब तक बांध रखा है. उनका निधन बसंत पंचमी के दिन 15 फरवरी 1948 को हुआ था.