त्रेता युग में पृथ्वी पर असुरों के बढ़ते अत्याचार का दमन करने के लिए भगवान विष्णु ने अयोध्या में राजा दशरथ के पुत्र राम के रूप में अवतार लिया था. पिता के आदेश पर राम ने चौदह वर्ष वनवास में बिताया था. वनवास काल में उन्होंने अत्याचारी रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद का संहार कर पृथ्वी पर अवतार लेने का उद्देश्य पूरा किया. अयोध्या वापस आकर उन्होंने अयोध्या की बागडोर संभाली. उन्हें एक दयालु और न्यायप्रिय शासक के रूप में जाना जाता था.
चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को श्रीराम के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है. लेकिन आज 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में श्रीरामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है. इस उपलक्ष्य में घर-घर श्रीराम की पूजा होने की खबर है, क्योंकि आज का दिन इस पूजा के लिए बहुत शुभ माना जा रहा है. मुहूर्त के अनुसार भगवान श्रीराम की पूजा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं, और घर में सुख-समृद्धि आती है. आप भी घर में श्रीराम की पूजा करना चाहते हैं, तो यहां पूजा की सरल विधि बताई जा रही है. श्रीराम लला की पूजा कर आप भी पुण्यलाभ प्राप्त कर सकते हैं.
पूजा का शुभ मुहर्त
रामलला का अभिषेक एवं पूजाः 12.15 PM से 12. 45 बजे तक (22 जनवरी 2024, सोमवार)
पूजा के लिए आवश्यक वस्तुएं
पूजा समय पर पूरी हो इसके लिए जरूरी है कि पूजा की सारी वस्तुओं की पहले से व्यवस्था कर लें. इसके लिए एक छोटी चौकी. लाल रंग का साटन का कपड़ा. भगवान श्रीगणेश की फोटो या प्रतिमा, श्रीराम दरबार की फोटो, अक्षत, रोली, तुलसी, धूपबत्ती, शुद्ध घी दीपक के लिए, मिट्टी का दीपक, पीला चंदन, फूल एवं फूलों का हार, मौली, गंगाजल, दूध की मिठाई, ताजे फल, पंचामृत, पान, सुपारी इत्यादि.
पूजा विधिः
चौकी को धोकर घर के मंदिर के सामने रखें. उत्तर पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके बैठे. इस पर लाल वस्त्र बिछाएं. चौकी पर गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करें. अब चौकी पर पहले गणेश जी की तस्वीर रखें. इसके पश्चात भगवान श्रीराम दरबार की फोटो या प्रतिमा रखें. धूप-दीप प्रज्वलित करें. भगवान को पुष्प अर्पित करें. सर्वप्रथम प्रथमपूज्य भगवान गणेश जी पूजा निम्न मंत्र से शुरू करें.
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
गणेश जी को दूर्वा की 21 गांठे चढ़ाएं. अब भगवान श्रीराम एवं सीता की पूजा प्रारंभ करें. इन्हें पुष्प अर्पित कर निम्न मंत्र का जाप करें.
ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम, लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !
श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !
श्रीराम को गंगाजल से स्नान कराएं. अब पुष्प, पुष्प हार, मौली, चंदन, रोली, पान एवं सुपारी अर्पित करें. भोग में दूध की मिठाई, फल एवं खीर चढ़ाएं. अब तुलसी के माला के साथ निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें.
‘ॐ श्री रामाय नमः’
रामचरितमानस के बालकांड के कुछ अंश का पठन अवश्य करें. पूजा के अंत में भगवान श्रीराम की आरती उतारें. और सबको आरती घुमाकर प्रसाद बांट दें.