Shrawan Maas 2023: रावण ने कब और क्यों रचा शिव तांडव स्तोत्र? जानें इसका आध्यात्मिक एवं सांसारिक लाभ तथा इसकी कथा!

शिव तांडव एक सार्वभौमिक दिव्य नृत्य है, जिसे भगवान शिव ने किया था, यह नृत्य सृजन और विनाश के ब्रह्मांडीय चक्र का प्रतीक है. पौराणिक घटनाओं के अनुसार रावण ने कष्ट से मुक्ति पाने हेतु भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए स्वयं इस श्लोक की रचना और गान किया था.

सावन सोमवार 2023 (Photo Credits: File Image)

शिव तांडव एक सार्वभौमिक दिव्य नृत्य है, जिसे भगवान शिव ने किया था, यह नृत्य सृजन और विनाश के ब्रह्मांडीय चक्र का प्रतीक है. पौराणिक घटनाओं के अनुसार रावण ने कष्ट से मुक्ति पाने हेतु भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए स्वयं इस श्लोक की रचना और गान किया था. मान्यता है कि प्रदोष के दिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से जातक के सारे कष्ट एवं पाप मिट जाते हैं, तथा आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ प्राप्त होते हैं. शिव तांडव स्तोत्र का पुण्य फल समझने के लिए इस श्लोक की अंतिम दो पंक्तियां पढ़ें. आइये जानते हैं श्रावण माह पर शिव तांडव स्तोत्र के संदर्भ में महत्वपूर्ण बातें... यह भी पढ़ें: National Cousins Day 2023 Messages: नेशनल कजिन्स डे की इन हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes, Facebook Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं

शिव तांडव स्तोत्र का महात्म्य

तांडव-नृत्य ‘शिव तांडव स्तोत्रम’ वस्तुतः 1008 छंदों पर आधारित है, जो सनातन धर्म के दिव्य भजनों में एक है. यह स्तोत्र शिव की शक्ति और महात्म्य को दर्शाता है. यह स्तोत्र महाबलशाली रावण और भगवान शिव के भक्त एवं आराध्य के संबंधों का प्रमाण है, क्योंकि शिव तांडव स्तोत्रम् को स्वयं रावण ने रचा है. इसकी नौवीं एवं दसवीं पंक्तियां शिव के विध्वंसक स्वरूप वाले शिव की महिमा का मंडन करता है. इस स्तोत्रम् का गायन करने से दिव्यता का अहसास कराता है.

कब किसने और कैसे रचा शिव तांडव स्तोत्रम्

रावण के अति गुरूर स्वभाव को देखते हुए महर्षि नारद ने रावण से कहा, अगर तुम सर्वशक्तिशाली हो तो भगवान शिव को यहां लाओ. रावण ने शिव के निवास को हिमालय पर्वत समेत उखाड़ कर लाने का फैसला किया. वह हिमालय पर चढ़ने लगा, तो देवी पार्वती रावण को ऊपर आते देख परेशान हुईं कि यहां केवल दो की जगह है, यह यहां कैसे आ सकता है. उन्होंने शिवजी को देखा. शिवजी ने पैर के अंगूठे से हिमालय को दबाया. हिमालय के नीचे दबा रावण दर्द से चीख उठा. उसने खुद को हिमालय से छुड़ाने की तमाम कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ. रावण ने पीड़ा से बचने हेतु शिव-मंत्र जपते हुए छमा याचना की, लेकिन भगवान शिव ने उसकी नहीं सुनी. तब भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने प्रदोष के दिन 1008 छंदों से युक्त रचना का गान प्रारंभ किया, जिसे बाद में ‘शिव तांडव स्तोत्रम्’ कहा गया. रावण के मुख से यह छंद सुनकर शिव बहुत प्रसन्न हुए, उन्होंने मुस्कुराते हुए माँ पार्वती को देखा. पार्वती ने शिव से रावण को मुक्त करने की प्रार्थना की. शिव जी ने रावण को मुक्त करते हुए शिव तांडव स्तोत्र से प्रसन्न होकर कई वरदान दिये.

शिव तांडव स्तोत्रम जाप के लाभ

* इस बात का ध्यान रखें कि शिव तांडव स्तोत्रम् बेहद कठिन संस्कृत लिखित स्त्रोत है. इसलिए पूजा के समय जाप करने से पूर्व इसे अच्छी तरह कंठस्थ जरूर कर लें. मंत्रों की अशुद्ध विपरीत परिणाम भी दे सकती है.

* इस मंत्र के जाप से प्रसन्नता, संज्ञानात्मक शक्ति, सुख, शांति, स्मृद्धि एवं शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

* इस मंत्र का जाप सूर्यास्त एक घंटे के बाद करना प्रभावशाली एवं लाभकारी होता है. इस मंत्र के जाप से भगवान शिव जातक के सारे पाप कर्मों से मुक्ति दिला देते हैं.

* आपको सांसारिक संकट हो, आर्थिक संकट हो, सामाजिक संकट हो अथवा सेहत संबंधी समस्या हो, आप सच्ची आस्था एवं निष्ठा के साथ शिव तांडव स्तोत्र का जाप करें, आपसे सारे संकट मिट जाएंगे.

Share Now

\