Sharad Navratri 2020: नवरात्रि में की जाती है मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा, जानें महत्व और हर स्वरूप की उपासना करने का खास मंत्र
मां दुर्गा (Photo Credits: Wikimedia Commons)

Sharad Navratri 2020: मां आदिशक्ति दुर्गा (Maa Durga) की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्रि (Sharad Navratri) 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है, जिसका समापन 25 अक्टूबर को होगा. नवरात्रि (Navratri) के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों (Nine Forms of Maa Durga) की पूजा की जाती है. नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा के एक स्वरूप को समर्पित होता है और भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनकी विशेष उपासना करते हैं. देवी दुर्गा के नौ रूपों को नवदुर्गा (Nav Durga) कहा जाता है और सभी का अपना एक अलग महत्व है और हिंदू धर्म में देवी दुर्गा के इन सभी स्वरूपों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. खासकर नवरात्रि में नवदुर्गा की उपासना से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सौभाग्य का आगमन होता है.

मां दुर्गा के नौ स्वरूप इस प्रकार है- मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री. चलिए जानते हैं मां दुर्गा हर स्वरूप का महत्व और उनकी उपासना के लिए विशेष मंत्र.

1- शैलपुत्री

नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्मीं शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल के साथ वृषभ पर विराजमान हैं.

मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम: ।।

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2- ब्रह्मचारिणी

ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा की नौ शक्तियों में दूसरी हैं. यहां ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या से है. वह अपने बाएं हाथ में कमल और दाहिने हाथ में एक माला धारण करती हैं.

मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी के रूप में संस्था। नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नम: ।।

3- चंद्रघंटा

मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है. नवरात्रि के तीसरे दिन उनकी पूजा की जाती है. उनके मस्तक पर अर्धचंद्र विराजमान है और उनके शरीर का रंग स्वर्ण की तरह कांतिमय है. उनका वाहन सिंह है.

मंत्र: पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।

4- कुष्मांडा

मां दुर्गा के चौथे रूप का नाम कुष्मांडा है. उनकी मंद और हल्की मुस्कान के कारण ही उनका नाम कुष्मांडा पड़ा. इनकी उपासना नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि देवी कुष्मांडा की उपासना करने से मनुष्य मुक्त हो जाता है और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

मंत्र- 'ॐ कूष्माण्डायै नम:।।'

5- स्कंदमाता

मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है. नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. देवी का वाहन सिंह है और नवरात्रि के पांचवें दिन इनकी उपासना की जाती है.

मंत्र- ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥

6- कात्यायनी

मां दुर्गा के छठे स्वरूप को कात्यायनी कहते हैं. नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. भक्तों की थोड़ी सी उपासना से भी मां कात्यायनी प्रसन्न हो जाती हैं.

मंत्र- कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

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7- कालरात्रि

नवदुर्गा के सातवें स्वरूप को कालरात्रि कहा जाता है. कालरात्रि का स्वरूप जितना भयानक है वे उतनी ही शुभकारी हैं. नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इनकी उपासनासे भक्तों के लिए ब्रह्मांड प्राप्ति के सभी द्वार खुल जाते हैं.

मंत्र- ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।

8- महागौरी

मां दुर्गा के आठवें स्वरूप का नाम महागौरी है. नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की उपासना की जाती है. उनकी शक्ति अमोघ है और इनकी उपासना शुभ फलदायी है.

मंत्र- श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

9- सिद्धिदात्री

मां दुर्गा के नौवें स्वरूप को सिद्धिदात्री कहा जाता है. नवरात्रि के आखिरी दिन इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

मंत्र- ॐ सिद्धिदात्र्यै नम:।

गौरतलब है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनकी कृपा से जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान होता है. आप सभी को नवरात्रि की ढेरों शुभकामनाएं.