Sawan Somwar 2021: आज है सावन का अंतिम सोमवार? पहले तीन सोमवार का व्रत नहीं रखे हैं तो करें चौथे सोमवार को व्रत एवं पूजन! मिलेगी सुख, समृद्धि एवं मान-सम्मान?

सावन माह का यह चौथा सोमवार 16 अगस्त 2021 पड़ रहा है. कहा जाता है कि अगर किसी कारणवश आप पहले तीन सोमवार का व्रत नहीं रख सके हैं तो इस चौथे सोमवार का व्रत अवश्य रहना चाहिए. सावन के इस अंतिम सोमवार को माता पार्वती एवं भगवान शिव का षोडषोपचार विधि से पूजा करनी चाहिए. चौथे सोमवार को शिव मंदिर में शिव पुराण का पाठ करते हैं.

सावन 2021 (Photo Credits: File Image)

सावन (Sawan) शुक्लपक्ष का पवित्र महीना अपने अंतिम सप्ताह में प्रवेश कर चुका है. भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित सावन माह एवं सोमवार के दिन का एक और संयोग 16 अगस्त को हो रहा है. सावन मास को वण मास के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि सावन मास के सोमवार को भगवान शिव की सच्ची निष्ठा एवं भक्त के साथ व्रत एवं पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामनाओं को पूरी करते हैं. आइये जानें सावन मास के इस अंतिम सोमवार के दिन भगवान शिव की किस तरह पूजा एवं अऩुष्ठान करना चाहिए.  VIDEO: सावन के दूसरे सोमवार पर उज्जैन के महाकाल मंदिर में बिना श्रद्धालुओं के हुई भस्म आरती, वाराणसी के काशी विश्वनाथ में उमड़ी भक्तो की भीड़

सावन के चौथे सोमवार का महात्म्य

सावन माह का यह चौथा सोमवार 16 अगस्त 2021 पड़ रहा है. कहा जाता है कि अगर किसी कारणवश आप पहले तीन सोमवार का व्रत नहीं रख सके हैं तो इस चौथे सोमवार का व्रत अवश्य रहना चाहिए. सावन के इस अंतिम सोमवार को माता पार्वती एवं भगवान शिव का षोडषोपचार विधि से पूजा करनी चाहिए. चौथे सोमवार को शिव मंदिर में शिव पुराण का पाठ करते हैं. कहते हैं शिव पुराण का पाठ करने अथवा सुनने से भक्तों पर शिवजी की विशेष कृपा बरसती है.  अगर कोरोना काल के गाइड लाइन्स को फालो करते हुए घर से बाहर निकलना संभव नहीं है तो शिव-भक्तों को घर पर ही शिवलिंग की विधिवत पूजा करके शिव पुराण पढ़ना चाहिए. शिव पुराण पढ़ने से पहले शिवलिंग का गंगाजल एवं पंचामृत से अभिषेक कर बेल-पत्र, पुष्प एवं अबीर अवश्य चढ़ाना चाहिए. कहते हैं कि सावन के अंतिम सोमवार की पूजा में समस्त शिव परिवार की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा से सुख, शांति एवं मान-सम्मान की प्राप्ति होती है.

कैसे करें पूजा

सोमवार की प्रातःकाल उठकर स्नानादि के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद घर के मंदिर की अच्छे से सफाई करके उस पर गंगाजल का छिड़काव करें. अब शिव पूजन के लिए मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा करें. अगर यह संभव नहीं है तो भगवान शिव की तस्वीर की भी पूजा की जा सकती है. इसके पश्चात घर पर ही शिवलिंग को अच्छी से धोकर गंगाजल से स्नान करायें, अब दही, शक्कर, शहद, दूध, दही अर्पित करें. इसके बाद फूल, बेलपत्र, धतूरा, भस्म, शमी पत्र, बर्फी एवं नारियल चढ़ाएं. शिवलिंग की पूजा करने के बाद शिवलिंग की परिक्रमा डेढ़ परिक्रमा करें. पूजा के दरम्यान ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. अंतिम में भगवान शिव जी की आरती करें. अगले दिन प्रातःकाल सुर्योदय से पूर्व स्नानादि करके किसी ब्राह्मण को अन्न-वस्त्र दान देने के बाद पारण करें.

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