Sankashti Chaturthi June 2020: संकष्टी चतुर्थी के व्रत से दूर होते हैं जीवन के सारे कष्ट, जानें  शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और चंद्रोदय का समय
भगवान गणेश (Photo Credits: Pixabay)

Sankashti Chaturthi June 2020: सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय भगवान गणेश (Lord Ganesha) को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) अतिप्रिय है. संकष्टी चतुर्थी का मतलब है संकटों को हरने वाली तिथि. जून महीने की संकष्टी चतुर्थी 8 जून (सोमवार) को पड़ रही है. इस दिन भक्त व्रत रखकर भगवान गणेश (Bhagwan Ganesh) की विधि-विधान से पूजा करते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की संकष्टी चतुर्थी को कृष्णपिंगला चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. भगवान गणेश को सुखकर्ता और विघ्नहर्ता कहा जाता है, इसलिए माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से भगवान गणेश अपने भक्तों के जीवन से सारे संकटों को दूर करते हैं. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है और रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है.

भविष्य पुराण के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी की पूजा और व्रत करने से जीवन में आनेवाली तमाम परेशानियां दूर होती हैं. भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और उनके आशीर्वाद से सौभाग्य, सुख-समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है. चलिए जानते हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और चंद्रोदय का समय.

संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 

चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 8 जून 2020 को शाम 07:56 बजे से,

चतुर्थी तिथि समाप्त- 9 जून 2020 की शाम 07:38 बजे तक.

चंद्रोदय का समय- 8 जून 2020 की रात 09:54 बजे. यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi Vrat In Year 2020: जीवन के सभी संकटों से मुक्ति दिलाता है संकष्टी चतुर्थी का व्रत, देखें साल 2020 में पड़ने वाली तिथियों की पूरी लिस्ट

इस विधि से करें पूजन

  • संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करके व्रत का संकल्प लें.
  • इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करके गणेश जी की पूजा करनी चाहिए.
  • भगवान गणेश की पूजा करते समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें.
  • एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें.
  • अब गणेश जी को दूर्वा, फूल, फल, अर्पित करके धूप और दीप प्रज्जवलित करें.
  • संकष्टी के दिन भगवान गणेश को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं.
  • ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपते नमः मंत्र का जप करें और व्रत कथा पढ़ें या सुनें.
  • शाम को चंद्रमा निकलने पर चांद का दीदार करने के बाद अपना व्रत खोलें.

संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व

संकष्टी चतुर्थी को लेकर प्रचलित धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संकष्टी के दिन गणपति की पूजा-अर्चना करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही इस व्रत को खोला जाता है. कहा जाता है कि अगर पूरी श्रद्धा और भक्तिभाव से इस व्रत को किया जाए तो भगवान गणेश अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इसके साथ इस व्रत के प्रभाव से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सुख-शांति का वास होता है.