Sankashti Chaturthi 2019: आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी आज, जानिए इस व्रत का महत्व और पूजा विधि

आज यानी 20 जून 2019 को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की गणेश संकष्टी चतुर्थी है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी श्रद्धापूर्वक व्रत रखकर गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करता है, भगवान गणेश उनके उनके सभी विघ्नों को हर लेते हैं और उनके जीवन को सुख-समृद्धि से भर देते हैं.

भगवान गणेश (Photo Credits: Pixabay)

Sankashti Chaturthi 2019: भगवान गणेश (Lord Ganesha) को समस्त देवताओं में प्रथम पूजनीय माना जाता है, इसलिए हर शुभ काम की शुरुआत करने से पहले गणेश जी (Bhagwan Ganesh) की पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान गणेश अपने भक्तों के जीवन से समस्त विघ्नों को हर लेते हैं, इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. वैसे तो हर दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए शुभ माना जाता है, लेकिन हर महीने की दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि (Chaturthi Tithi) को उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) कहा जाता है. चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को अति प्रिय है.

आज यानी 20 जून 2019 को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की गणेश संकष्टी चतुर्थी है. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जो भी श्रद्धापूर्वक व्रत रखकर गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करता है. भगवान गणेश उनके उनके सभी विघ्नों को हर लेते हैं और उनके जीवन को सुख-समृद्धि से भर देते हैं. चलिए जानते हैं इस व्रत का महत्व और पूजा की विधि. यह भी पढ़ें: बुधवार का दिन है भगवान गणेश के लिए बेहद खास, इस विधि से पूजा करने से दूर होते हैं जीवन के सारे विघ्न

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

हर महीने की संकष्टी चतुर्थी के दिन जो लोग व्रत रख कर विघ्नहर्ता भगवान गणेश के दर्शन कर उन्हें सिंदूर, दूर्वा और लड्डू अर्पित करते हैं उनके जीवन के सभी संकटों का नाश होता है. कहा जाता है कि महाभारत काल में भगवान गणेश के इस व्रत का वर्णन खुद भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से किया था.

इस विधि से करें पूजा 

जो लोग अपने जीवन में किसी भी प्रकार के संकटों से घिरे हैं उन्हें पूर्णिमा के बाद चतुर्थी तिथि को आने वाली संकष्टी चतुर्थी के दिन इस विधि से पूजा करनी चाहिए.

⦁ चतुर्थी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें.

⦁ पूर्व या उत्तर दिशा में एक चौकी स्थापित करके उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं.

⦁ चौकी पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें और हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें.

⦁ इसके बाद 'ॐ गं गणपतये नम:' मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें.

⦁ अब उनकी प्रतिमा के सामने शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें.

⦁ फिर दूर्व, फूल, अक्षत, सिंदूर अर्पित करते हुए उन्हें लड्डू और मोदक का भोग लगाएं.

⦁ अब व्रत कथा पढ़ें और 108 बार 'ॐ गं गणपतये नम:' मंत्र का जप करें.

⦁ विधिवत पूजा संपन्न करने के बाद भगवान गणेश की आरती करें.

⦁ इसके बाद शाम के वक्त चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें और लड्डू को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और परिवार वालों को भी दें. यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi Vrat in Year 2019: संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने वालों के जीवन से सारे कष्ट दूर करते हैं भगवान गणेश, देखें साल 2019 में पड़नेवाली तिथियों की लिस्ट

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. संकष्टी चतुर्थी के व्रत में सिर्फ फलों का ही सेवन किया जाता है. इसके अलावा मूंगफली और साबूदाना भी खाया जा सकता है. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही इस व्रत को तोड़ा जाता है. कहा जाता है कि अगर पूरी श्रद्धा और भक्तिभाव से इस व्रत को किया जाए तो भगवान गणेश अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

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