Ratha Saptami 2022 HD Images: हैप्पी रथ सप्तमी! प्रियजनों संग शेयर करें ये WhatsApp Stickers, GIF Greetings, Photos SMS और वॉलपेपर्स
रथ सप्तमी के दिन सूर्यदेव अपने सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे और इस सृष्टि को अपने प्रकाश से प्रकाशमय किया था, इसलिए इस दिन सूर्य देव की पूजा का विधान है. इस अवसर पर बधाई संदेश भी भेजे जाते हैं, ऐसे में आप भी इन एचडी इमेजेसे, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, फोटो एसएमएस और वॉलपेपर्स के जरिए हैप्पी रथ सप्तमी विश कर सकते हैं.
Ratha Saptami 2022 HD Images: हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को नवग्रहों के राजा भगवान सूर्य का जन्म हुआ था, इसलिए इस पावन तिथि को हर साल रथ सप्तमी (Ratha Saptami) का त्योहार मनाया जाता है. रथ सप्तमी को सूर्य जयंती (Surya Jayanti), अचला सप्तमी (Achala Saptami), विधान सप्तमी (Vidhan Saptami), आरोग्य सप्तमी (Aarogya Saptami), माघ सप्तमी (Magh Saptami) और माघ जयंती (Magh Jayanti) जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा से ठीक दो दिन बाद सूर्यदेव की उपासना के इस पर्व को मनाया जाता है. इस साल आज यानी 28 जनवरी 2023 को रथ सप्तमी मनाई जा रही है. ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन सूर्य देव की उपासना करता है, उसे धन, आरोग्य, सुख-समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है. इस दिन किसी तीर्थस्थल पर स्नान करने से सात प्रकार के पापों का नाश होता है.
कहा जाता है कि रथ सप्तमी के दिन सूर्यदेव अपने सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे और इस सृष्टि को अपने प्रकाश से प्रकाशमय किया था, इसलिए इस दिन सूर्य देव की पूजा का विधान है. इस अवसर पर बधाई संदेश भी भेजे जाते हैं, ऐसे में आप भी इन एचडी इमेजेसे, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, फोटो एसएमएस और वॉलपेपर्स के जरिए हैप्पी रथ सप्तमी विश कर सकते हैं.
1- सूर्योपासना के पर्व रथ सप्तमी की शुभकामनाएं
2- रथ सप्तमी की हार्दिक बधाई
3- हैप्पी रथ सप्तमी 2023
4- शुभ माघ सप्तमी
5- अचला सप्तमी 2023
रथ सप्तमी के दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए. इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करके सूर्यदेव को अर्घ्य देने और दीपदान करने का विधान है. अर्घ्य देते समय 'ओम् घृणि सूर्याय नम:' मंत्र का जप करना चाहिए. अर्घ्य देने के बाद 'आदित्य हृदय स्तोत्र' और सूर्य चालीसा का पाठ करना चाहिए. आखिर में गाय के घी वाले दीपक से सूर्य देव की आरती करनी चाहिए. पूजा के बाद गेहूं, गुड़, मसूर की दाल और तांबे इत्यादि का दान करना चाहिए.