Rani Lakshmibai Jayanti 2023: लक्ष्मीबाई अंग्रेजों की कट्टर दुश्मन थीं, लेकिन ऐसे अंग्रेज अफसर भी थे, जिन्होंने उनके कसीदे लिखे!
रानी लक्ष्मीबाई के खिलाफ ब्रिटिश सेना का नेतृत्व करने वाले भारत के पहले वायसराय लॉर्ड कैनिंग ने अपने निजी वक्तव्य में लिखा है, रानी लक्ष्मीबाई ज्यादातर पुरुष वाले कपड़े और पगड़ी पहनती थीं, उन्हीं की तरह घोड़े की सवारी करती थीं, हालांकि वह बहुत सुंदर नहीं थीं, उनके चेहरे पर चेचक का निशान था, हालांकि उनकी आंखें और फिगर आकर्षक थी.
ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ 1857-58 में पहले भारतीय विद्रोह की प्रमुख एवं पराक्रमी सेनानी थीं, ग्वालियर की रानी लक्ष्मीबाई. इतिहासकार बताते हैं कि अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध लड़ते हुए वह अंग्रेजों के खून की प्यासी बन जाती थीं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्रिटिश हुकूमत में ऐसे अफसरों की कमी नहीं थी, जो रानी लक्ष्मीबाई की बहादुरी के गुण गाते नहीं थकते थे? यहां कुछ ऐसे ही अंग्रेज अफसरों की बात करेंगे, जिन्होंने रानी लक्ष्मीबाई की प्रशासनिक क्षमता, बुद्धिमता, बहादुरी, आकर्षण और सुंदरता का बखान अपने लेखों में किया है. आइये जानते हैं, रानी लक्ष्मीबाई की 195 वीं वर्षगांठ पर उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक फैक्ट अंग्रेजों की जुबानी...
रानी पुरुषों जैसे कपड़े पहनती थीं –लॉर्ड कैनिंग
रानी लक्ष्मीबाई के खिलाफ ब्रिटिश सेना का नेतृत्व करने वाले भारत के पहले वायसराय लॉर्ड कैनिंग ने अपने निजी वक्तव्य में लिखा है, रानी लक्ष्मीबाई ज्यादातर पुरुष वाले कपड़े और पगड़ी पहनती थीं, उन्हीं की तरह घोड़े की सवारी करती थीं, हालांकि वह बहुत सुंदर नहीं थीं, उनके चेहरे पर चेचक का निशान था, हालांकि उनकी आंखें और फिगर आकर्षक थी.
* रानी थोड़ी मोटी और सांवली थीं –जॉन लैंग
जॉन लैंग ने वांडरिंग्स इन इंडिया (1859) में रानी लक्ष्मीबाई के बारे में लिखा है कि वह अच्छे नैन-नक्श वाली महिला थीं, थोड़ी मोटी और सांवली थीं. हालांकि उन्हें देखकर इतना अहसास होता है कि बचपन में वह काफी सुंदर रही होंगी. इसके साथ-साथ वह बहुत बुद्धिमान थीं, उनकी नाक और आंख काफी सुंदर थीं, वह ज्यादालक्ष्मीबाई सभ्य, विनम्र, एवं चतुर महिला थीं -सर रॉबर्ट हैमिल्टनतर सफेद मलमल से बने परिधान पहनती थीं. इस परिधान में उनकी काया स्पष्ट दिखती थी. अलबत्ता उनकी आवाज उनके व्यक्तित्व के अनुरूप नहीं थी.
क्रिस्टोफर हिबर्ट के अनुसार रानी ब्रिटिश अधिकारियों के बीच एक अवांछित महिला के रूप में विख्यात थीं, जबकि उनके समकालीन अंग्रेज अफसर सर रॉबर्ट हैमिल्टन हिबर्ट के बयान का विरोध करते हुए लिखा है कि रानी लक्ष्मीबाई अत्यंत सभ्य, विनम्र एवं चतुर महिला थीं, जनरल लॉर्ड डलहौजी द्वारा झांसी पर रानी के अधिकार को निरस्त करने से रानी परेशान हो गई थीं, लेकिन उन्होंने जमकर लोहा लिया.
अद्भुत महिला थीं रानी लक्ष्मीबाई –कॉर्नेट कॉम्बे
थर्ड बॉम्बे लाइट कैवेलरी के कॉर्नेट कॉम्बे के अनुसार लक्ष्मीबाई अद्भुत एवं बहुत निडर महिला थीं, वह अपने किसी भी सैनिक अधिकारी से ज्यादा बहादुर योद्धा थीं. 17 जून को रानी को कोटा की सराय में जब घेर लिया गया, तो उन्होंने घोड़े की लगाम को मुंह से पकड़ा और अंग्रेज सैनिकों पर दोनों हाथों से तलवार से हमला करती रहीं, उनके पास किसी भी अंग्रेज सिपाह की जाने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी. लेकिन तभी पीछे से उसकी पीठ पर किसी अंग्रेज ने गोली मार दी. रानी पीछे मुड़ीं, उस पर गोली चलाई, लेकिन उस सैनिक ने झुककर खुद को बचाते हुए, रानी पर एक और गोली चला दी.