Rang Panchami 2024 Wishes in Hindi: हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में शुमार होली (Holi) को धूमधाम से मनाए जाने के ठीक पांच दिन बाद रंग पंचमी (Rang Panchami) का त्योहार मनाया जाता है. रंग पंचमी के पर्व को महाराष्ट्र (Maharashtra), मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व से जुड़ी प्रचलित मान्यता के अनुसार, रंग पंचमी पर श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ देवी-देवताओं की पूजा करने पर मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है. रंग पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण (Bhagwan Krishna) और राधा रानी (Radha Rani) की पूजा का विधान है. हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, इस साल 30 मार्च 2024 को रंग पंचमी मनाई जा रही है.
रंग पंचमी पर राधा-कृष्ण की पूजा करने के अलावा उन्हें लाल या गुलाबी रंग के गुलाल को अर्पित करना काफी शुभ माना जाता है. राधा-कृष्ण के अलावा अन्य देवी-देवताओं को भी गुलाल अर्पित कर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं दी जाती हैं. ऐसे में इस खास अवसर पर आप भी इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए अपने प्रियजनों को शुभ रंग पंचमी कह सकते हैं.
1- रंग भरा पैगाम भेजा हैं तुम्हे,
इसे महज गुलाल ना समझना,
ये रंग खुशियों को बयां करते हैं,
इन्हें दिल की गहराईयों से कुबूल करना.
शुभ रंग पंचमी
2- रंगों के त्योहार में नाच रहा हैं मन,
आस लगाए राह तक रहा है मन,
हे ईश्वर कर ऐसी रंगो की बौछार,
खुशियां ही खुशियां हो आज मेरे द्वार.
शुभ रंग पंचमी
3- कोई मारे पिचकारी, कोई लगाए गुलाल,
ये तो है रंगो का त्योहार, हरा-पीला या लाल,
पर संदेश देता है बस खुशियों का,
जमकर मनाओ त्योहार रंगो का.
शुभ रंग पंचमी
4- सतरंगी रंगों की लिए बरसात,
है आई रंग पंचमी की सौगात,
चलो चलाए मिलकर पिचकारी,
न बच पाए कोई भी नर नारी.
शुभ रंग पंचमी
5- जीवन में हैं अनेक रंग,
मिलते हैं जो हर तरंग,
भर दे जो प्रेम के रंग,
वही हैं त्योहरो के सच्चे रंग.
शुभ रंग पंचमी
रंग पंचमी से जुड़ी प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी पावन तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने राधा रानी के साथ होली खेली थी, इसलिए इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा कर उन्हें गुलाल अर्पित किया जाता है. इसके अलावा कहा जाता है कि होलाष्टक के दिन महादेव ने कामदेव को भस्म किया था, लेकिन देवी रती और सभी देवताओं की प्रार्थना पर महादेव ने कामदेव को फिर से जीवित करने का आश्वासन दिया. महादेव के इस आश्वासन से सभी देवी-देवताओं ने प्रसन्न होकर रंगोत्सव मनाया था. ऐसा कहा जाता है कि तब से चैत्र मास के कृष्ण की पंचमी को रंग पंचमी के पर्व को मनाने की परंपरा शुरु हुई.