Ramzan Chand 2019: दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार में नहीं दिखा रमजान का चांद, मंगलवार को होगा पहला रोजा

रमजान के दौरान पूरे महीने कुरान पढ़ना चाहिए. पैगंबरों के मुताबिक कुरान को इस्लाम के पांच स्तम्भों में से एक माना गया है. रोजे के वक्त कुरान पढ़ने से खुदा बंदों के गुनाह माफ करते हैं और उनके लिए जन्नत का दरवाजा खोलते हैं.

प्रतीकात्मक फोटो (Photo Credit: Getty Images)

Ramzan Chand 2019: रमजान  (Ramadan 2019) के महीने को इबादत का महीना कहा जाता है, जो इस्लामी कैलेंडर के अनुसार नौवें महीने में होता है. अनुमान लगाया जा रहा था कि 5 मई की शाम को रमजान का चांद नजर आएगा मगर अभी तक कई भी चांद नजर आने की खबर नहीं है. उत्तर भारत में कई भी चांद नजर नहीं आया है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत पुरे उत्तर भारत में मंगलवार को पहला रोजा रखा जायेगा. सोमवार रात से तरावीह की नमाज शुरू होगी.

बता दें कि रमजान के दौरान बंदगी करने वाले हर व्यक्ति की ख्वाहिश अल्लाह पूरी करता है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नवां महीना रमजान का होता है. इसमें सभी मुस्लिम समुदाय के लोग एक महीना रोजा रखते हैं. इस बीच राजधानी दिल्ली की हिलाल कमिटी ने ऐलान किया है कि मंगलवार को पहला रोजा होगा.

रोजा को माना गया फर्ध

रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे एक महीने उपवास (रोजा) रखते हैं. इस्लाम में रोजा को फर्ध (अल्लाह के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करना) माना गया है। इस दौरान कुछ लोगों जैसे बीमार होना, यात्रा करने,गर्भावस्था में होने, मासिक धर्म से पीड़ित होने एवं बुजुर्ग होने पर इन्हें रोजा न रखने की छूट होती है।

सुहूर और इफ्तार

रोजे के दौरान रोजेदार पूरे दिन बिना कुछ खाए पिए रहते हैं. हर दिन सुबह सूरज उगने से पहले थोड़ा खाना खाया जाता है. इसे सुहूर (सेहरी) कहते हैं, जबकि शाम ढलने पर रोजेदार जो खाना खाते हैं उसे इफ्तार कहते हैं. रोजेदार अमूमन खजूर खाकर रोजा तोड़ते हैं. एक इस्लामिक साहित्य के मुताबिक अल्लाह के एक दूत को अपना रोजा खजूर से तोड़ने की बात लिखी गई है. इसी आधार पर रोजेदार खजूर खाकर सेहरी एवं इफ्तार मनाते हैं.

रोजेदार पढ़ते हैं कुरान

रमजान के दौरान पूरे महीने कुरान पढ़ना चाहिए. पैगंबरों के मुताबिक कुरान को इस्लाम के पांच स्तम्भों में से एक माना गया है. रोजे के वक्त कुरान पढ़ने से खुदा बंदों के गुनाह माफ करते हैं और उनके लिए जन्नत का दरवाजा खोलते हैं. रमजान के दिनों में रोजेदारों को दान (जकात) देना चाहिए. इससे उन्हें पुण्य मिलता है. कई लोग इस दौरान मस्जिदों में मुफ्त खाना खिलाते हैं. जबकि कई कुछ लोग जरूरतमंदों को जरूरी सामान भी बांटते हैं.

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